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रेलवे ने चीनी कंपनी से करार किया रद्द, डीडीयू से कानपुर के बीच होना था सिग्नलिंग का काम

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Published : Jun 18, 2020, 10:43 PM IST

भारत-चीन के बीच तनाव को लेकर देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच रेलवे ने एक बड़ा कदम उठाया है. रेलवे ने चीनी कंपनी बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट ऑफ सिगनल एंड कम्युनिकेशन ग्रुप के साथ हुए करार को रद्द कर दिया है. रेलवे के चेयरपर्सन ने इसके लिए 4 सालों में कार्य में संतोषजनक प्रगति न होने के कारण करार रद्द करने की बात कही है.

चीनी कंपनी से करार किया रद्द.
चीनी कंपनी से करार किया रद्द.

चंदौली: भारत-चीन सीमा पर हुई हिंसक झड़प के बाद देशभर के लोगों में उबाल है. जगह-जगह चीन के नेताओं के पुतले और चीनी सामान को जलाया जा रहा है, लोग चीनी सामान का बहिष्कार कर रहे हैं. इन सबके बीच रेलवे ने चीन को बड़ा झटका दिया है. रेलवे ने दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से कानपुर के बीच 417 किलोमीटर के चल रहे प्रोजेक्ट के करार को रद्द कर दिया है. रेल लाइनों में सिग्नल सिस्टम स्थापित करने का यह अनुबंध बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट ऑफ सिगनल एंड कम्युनिकेशन ग्रुप कंपनी को दिया गया था. उसका अनुबंध डीएफसीसीआईएल द्वारा गुरुवार को समाप्त कर दिया गया.

चीनी कंपनी से करार किया रद्द.

4 साल में मात्र 20 फीसद हुआ काम

दरअसल वर्ष 2016 में यह करार किया गया था. चाइना रेलवे सिग्नल एंड कम्युनिकेशन (सीआरएससी) कारपोरेशन से ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रंट कॉरिडोर पर 400 किलोमीटर से अधिक रेल लाइनों में सिग्नल सिस्टम स्थापित करने का यह अनुबंध था. 4 साल पहले काम दिए जाने के बावजूद परियोजना में अब तक मात्र 20 फीसदी की ही प्रगति हुई. इतने समय में काम में संतोषजनक वृद्धि न होने के कारण यह टेंडर ही कैंसिल कर दिया गया.

जानकारी देते रेलवे के चेयर पर्सन वीके यादव.

इसलिए कैंसिल हुआ टेंडर

रेलवे बोर्ड ने टेंडर कैंसिल किये जाने के बाबत इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के लॉजिक डिजाइन जैसे तकनीकी दस्तावेज को प्रस्तुत करने में की अनिच्छा, साइट पर कंपनी के इंजीनियर और अधिकृत कर्मियों की अनुपलब्धता जैसे कारण बताए हैं. इसके साथ ही रेलवे के चेयरपर्सन वीके यादव ने बताया कि चीनी कंपनी का स्थानीय एजेंसियों के साथ कोई संबंध नहीं होने के कारण भौतिक कार्यों में प्रगति नहीं हो पा रही थी. वहीं सामग्री खरीद भी पूरी ईमानदारी से नहीं की गई. सभी संभावित स्थलों पर बार-बार इस बाबत हुई बैठकों के बावजूद भी काम की प्रगति में कोई सुधार नहीं हुआ. इन सब कारणों के कारण रेलवे ने यह कदम उठाया है.

  • In view of poor progress, it is decided by Dedicated Freight Corridor Corporation of India (DFCCIL) to terminate the contract with Beijing National Railway Research and Design Institute of Signal and Communication Group Co. Ltd. pic.twitter.com/CZerMVSwIf

    — ANI (@ANI) June 18, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

इस प्रोजेक्ट में एकमात्र चीनी कंपनी थी शामिल

मेगा भारतीय रेलवे परियोजना में यह एकमात्र चीनी कंपनी शामिल थी. इस कंपनी के साथ यूपी के कानपुर से डीडीयू सेक्शन में लगभग 500 करोड़ रुपए की लागत से डिजाइनिंग, कंस्ट्रक्शन, टेस्टिंग, सप्लाई, टेलीकम्युनिकेशन के साथ-साथ 413 किलोमीटर की दो लाइनों के लिए जुड़े काम को लेकर करार किया गया था. इसकी फंडिंग डेडिकेटेड फ्रंट कोरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के निवेदन पर वर्ल्ड बैंक कर रही है.

भारत-चीन सीमा पर तनाव के बीच यह पहली बड़ी कार्रवाई हुई है. ऐसे में यह देखना होगा कि सीमा पर चीन के अड़ियल रवैये के बाद भारत सरकार और कौन-कौन से कदम उठाती है.

चंदौली: भारत-चीन सीमा पर हुई हिंसक झड़प के बाद देशभर के लोगों में उबाल है. जगह-जगह चीन के नेताओं के पुतले और चीनी सामान को जलाया जा रहा है, लोग चीनी सामान का बहिष्कार कर रहे हैं. इन सबके बीच रेलवे ने चीन को बड़ा झटका दिया है. रेलवे ने दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से कानपुर के बीच 417 किलोमीटर के चल रहे प्रोजेक्ट के करार को रद्द कर दिया है. रेल लाइनों में सिग्नल सिस्टम स्थापित करने का यह अनुबंध बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट ऑफ सिगनल एंड कम्युनिकेशन ग्रुप कंपनी को दिया गया था. उसका अनुबंध डीएफसीसीआईएल द्वारा गुरुवार को समाप्त कर दिया गया.

चीनी कंपनी से करार किया रद्द.

4 साल में मात्र 20 फीसद हुआ काम

दरअसल वर्ष 2016 में यह करार किया गया था. चाइना रेलवे सिग्नल एंड कम्युनिकेशन (सीआरएससी) कारपोरेशन से ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रंट कॉरिडोर पर 400 किलोमीटर से अधिक रेल लाइनों में सिग्नल सिस्टम स्थापित करने का यह अनुबंध था. 4 साल पहले काम दिए जाने के बावजूद परियोजना में अब तक मात्र 20 फीसदी की ही प्रगति हुई. इतने समय में काम में संतोषजनक वृद्धि न होने के कारण यह टेंडर ही कैंसिल कर दिया गया.

जानकारी देते रेलवे के चेयर पर्सन वीके यादव.

इसलिए कैंसिल हुआ टेंडर

रेलवे बोर्ड ने टेंडर कैंसिल किये जाने के बाबत इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के लॉजिक डिजाइन जैसे तकनीकी दस्तावेज को प्रस्तुत करने में की अनिच्छा, साइट पर कंपनी के इंजीनियर और अधिकृत कर्मियों की अनुपलब्धता जैसे कारण बताए हैं. इसके साथ ही रेलवे के चेयरपर्सन वीके यादव ने बताया कि चीनी कंपनी का स्थानीय एजेंसियों के साथ कोई संबंध नहीं होने के कारण भौतिक कार्यों में प्रगति नहीं हो पा रही थी. वहीं सामग्री खरीद भी पूरी ईमानदारी से नहीं की गई. सभी संभावित स्थलों पर बार-बार इस बाबत हुई बैठकों के बावजूद भी काम की प्रगति में कोई सुधार नहीं हुआ. इन सब कारणों के कारण रेलवे ने यह कदम उठाया है.

  • In view of poor progress, it is decided by Dedicated Freight Corridor Corporation of India (DFCCIL) to terminate the contract with Beijing National Railway Research and Design Institute of Signal and Communication Group Co. Ltd. pic.twitter.com/CZerMVSwIf

    — ANI (@ANI) June 18, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

इस प्रोजेक्ट में एकमात्र चीनी कंपनी थी शामिल

मेगा भारतीय रेलवे परियोजना में यह एकमात्र चीनी कंपनी शामिल थी. इस कंपनी के साथ यूपी के कानपुर से डीडीयू सेक्शन में लगभग 500 करोड़ रुपए की लागत से डिजाइनिंग, कंस्ट्रक्शन, टेस्टिंग, सप्लाई, टेलीकम्युनिकेशन के साथ-साथ 413 किलोमीटर की दो लाइनों के लिए जुड़े काम को लेकर करार किया गया था. इसकी फंडिंग डेडिकेटेड फ्रंट कोरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के निवेदन पर वर्ल्ड बैंक कर रही है.

भारत-चीन सीमा पर तनाव के बीच यह पहली बड़ी कार्रवाई हुई है. ऐसे में यह देखना होगा कि सीमा पर चीन के अड़ियल रवैये के बाद भारत सरकार और कौन-कौन से कदम उठाती है.

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