चंदौलीः भारतीय नारियों की पसंद और दुनियाभर में मशहूर बनारसी साड़ी अब बीते दिनों की बात हो सकती है. क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार ने बुनकरों को मिलने वाली फ्लैट रेट बिजली को बंद कर नई मीटरिंग प्रणाली लागू करने की नीति बना रही है. बिजली बिल को लेकर सरकार और बुनकरों के प्रतिनिधिमंडल की बातचीत लगातार जारी है. यदि सरकार ने बुनकरों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए फैसला नहीं लिया तो बुनकर अपना कारोबार बंद करने को मजबूर होंगे. ऐसे में बुधवार को होने वाली सरकार और बुनकरों के बीच मीटिंग काफी महत्वपूर्ण होंगी.
व्यावसायिक बिजली रेट चुका पाने में असमर्थ
पावरलूम संचालकों और बुनकरों की सरकार से मांग है कि बिजली का बिल पहले की तरह से फ्लैट रेट से लिया जाए. क्योंकि वह बिजली का बिल व्यवसायिक दर से चुका पाने में असमर्थ हैं. बुनकरों का कहना है कि दिनभर मेहनत के बाद भी उनकी कमाई इतनी नहीं हो पाती की वह व्यावसायिक दरों पर लागू किये बिजली दरों का भुगतान कर सकें.
सरकार की नई नीति से बिक जाएंगे पॉवरलूम
बुनकरों का कहना है कि महंगाई के अनुसार बिजली का रेट भले ही बढ़ा दिया जाए. लेकिन सिस्टम पहले की तरह से फ्लैट रेट का ही रखा जाए. पॉवरलूम संचालकों औऱ बुनकरों का कहना है कि यदि सरकार कुछ संशोधनों के साथ पुरानी फ्लैट रेट नीति को आगे नहीं बढ़ाती है तो वे आगे काम नहीं कर पाएंगे. मजबूरन उन्हें पॉवरलूम बेचना पड़ेगा.
सरकार की नई नीति से पड़ेगा कई गुना भार
पावरलूम संचालकों और बुनकरों का कहना है कि सरकार पहले उनसे बिजली का फ्लैट रेट लेती थी जो काफी कम हुआ करता था. पिछले कई महीनों से सरकार ने पावरलूम की बिजली का रेट व्यवसायिक दर से लगाना शुरू कर दिया है. जिसके चलते उनके ऊपर पहले की अपेक्षा वर्तमान में कई गुना ज्यादा भार पड़ेगा.
बुनकरों का छलका दर्द
ईटीवी से बात करते हुए वैश्विक महामारी की कोरोना की मार झेल रहे बुनकरों का दर्द छलक पड़ा. उन्होंने कहा कि एक तरफ लॉकडाउन के चलते पहले से ही उनका व्यवसाय ठप पड़ा हुआ है. ऐसे में बिजली के रेट को कमर्शियल कर देने से उनका कारोबार चौपट होने के कगार पर पहुंच गया है. यदि सरकार उनके पक्ष में फैसला नहीं लेती है तो वो भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे.
चंदौली में एक हजार से ज्यादा पावरलूम
बता दें कि चंदौली विश्व प्रसिद्ध बनारसी साड़ी का मुख्य उत्पादक क्षेत्र है. देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में इस साड़ी की काफी डिमांड है. लेकिन सरकार की नई प्रस्तावित नीति से यह कारीगरी, दस्तकारी बिलुप्त हो जाएगी. इस क्षेत्र की बड़ी आबादी बुनकरी के कारोबार से जुड़ी हुई है. यहां एक हजार से ज्यादा लूम चलते हैं.
2006 के शासनादेश को जारी रखने की मांग
गौरतलब है कि बुधवार को सरकार के कपड़ा मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह और बुनकर पॉवरलूम संचालकों के बैठक होनी है. बैठक में बुनकरों की तरफ से इस मांग को रखा जाएगा कि तत्कालीन सरकार द्वारा 2006 में जो शासनादेश था उसे जारी रखा जाए. उस वक्त इस काम और रोजगार को बढ़ाने के लिए किसानों की भांति बुनकरों को जीवन भर पोषण के लिए यह सुविधा दी जाए.