चन्दौली: श्री राम जन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट की घोषणा के बाद तपस्वी छावनी अयोध्या के महंत परमहंस दास चंदौली में अनशन पर बैठ गए. उनकी मांग है कि केंद्र की मोदी सरकार संघ प्रमुख मोहन भागवत को इस ट्रस्ट का संरक्षक बनाए. यदि सरकार उनकी मांग को अनसुना करेगी तो वे अनशन को आमरण अनशन में तब्दील कर देंगे.
जानिए कौन हैं महंत परमहंस दास
महंत परमहंस दास एमपी के सीधी जिले के रहने वाले हैं. वह 12वीं में शिक्षा के दौरान परिवार से विरक्त होकर साधु बन गए. हालांकि एक बार घर वापस गए. मां ने कहा कि देश की सेवा गौरव के साथ करें. वे 35 साल से वे साधु के रूप में हैं. इनके प्रथम गुरु गोपाल दास जी रहे और उनके साथ विरक्त जीवन ग्रहण किया. कई सालों तक बाघादरी जंगल में तपस्या की, जिसके बाद वे अयोध्या आ गए. यहां मधुकरी सम्प्रदाय में थे, जो सरयू के किनारे भिक्षाटन कर एक टाइम भोजन करना और भजन करना था.
रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की मांग की थी
ये कुछ दिनों तक मथुरा में भी रहे. ऋषिकेश में स्वामी रामसुखद रामजानकी मठ में भी वर्षों रहवास किया. तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास सामाजिक मुद्दों पर भी मुखर रहे हैं. निर्भया कांड को लेकर वाराणसी में 17 दिनों तक आमरण अनशन किया था. प्रयागराज कुम्भ में एक महीने तक सिर्फ जल अनशन पर रहे. धारा 370, 35A हटाने की मांग के साथ रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की मांग की थी.
राम मंदिर निर्माण के लिए किए थे अनशन
परमहंस दास तपस्वी छावनी के महंत हैं और राम मंदिर निर्माण के लिए 12 दिनों तक आमरण अनशन कर चर्चा में आए थे. अपने कार्यकलापों से हमेशा चर्चा में रहने वाले परमहंस दास ने कई अहम मुद्दों पर खुलकर अपनी प्रतिक्रिया दी. साथ ही कई बार परमहंस दास ने कई अहम मुद्दों पर संतों के साथ हवन और पूजन भी किया है.
चंद दिनों पहले ही वापस आए थे अयोध्या
बीते दिनों महंत परमहंस दास को जगतगुरु परमहंस आचार्य घोषित किया गया. न्यास अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के खिलाफ एक वायरल ऑडियो में नृत्य गोपाल दास पर अभद्र टिप्पणी के कारण भी चर्चा में रहे, जिसके बाद न्यास अध्यक्ष के समर्थकों में इन पर हमला बोला. इस घटना के बाद अयोध्या के संतों ने इन्हें अयोध्या संत समाज से निष्कासित कर दिया था. परमहंस दास के गुरु सर्वेश्वर दास ने इस वाकये के बाद परमहंस दास को तपस्वी छावनी से भी बाहर का रास्ता दिखाया था. लगातार अयोध्या से बाहर चल रहे परमहंस दास महज चंद दिनों पहले ही अयोध्या वापस आए थे.
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