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कुछ ऐसे बनकर तैयार होती है जीवन रक्षक 'ऑक्सीजन' - chandauli news

कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार के साथ ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत भी बढ़ रही है. कोरोना पीड़ितों की जान बचाने के लिए ऑक्सीजन बहुत उपयोगी है. ETV भारत की टीम ने चंदौली में एक ऑक्सीजन बनाने वाली फैक्ट्री में जाकर यह जानने की कोशिश की कि मरीजों के लिए ऑक्सीजन कैसे तैयार की जाती है. देखें रिपोर्ट-

ऑक्सीजन
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Published : Apr 19, 2021, 11:39 AM IST

चंदौली : कोविड-19 (coronavirus) एक बार फिर से देशभर में पैर पसार चुका है. देश के हर राज्य से डराने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं. कहीं अस्पतालों में बेड की कमी है, तो कहीं ऑक्सीजन की कमी. कोविड-19 के मरीजों के लिए मेडिकल ऑक्सीजन सबसे अहम चीजों में से एक है. ऐसे में हम आपको बताते हैं कि ये जीवनदायिनी मेडिकल ऑक्सीजन क्या होती है. कैसे बनती है और कैसे अस्पतालों तक पहुंचती है-

जानें कैसे बनती है जीवन रक्षक 'ऑक्सीजन'

इसे भी पढ़ें- यूपी में कोरोना का कहरः 30596 संक्रमित मरीज मिले और 129 की मौत

ऐसे बनती है मेडिकल ऑक्सीजन

यूं तो ऑक्सीजन हवा और पानी दोनों में मौजूद है. हवा में 21 प्रतिशत ऑक्सीजन होती है और 78 प्रतिशत नाइट्रोजन होती है. लेकिन, प्लांट में ये ऑक्सीजन कैसी तैयार की जाती है, इसे जानने के लिए हम पहुंचे चंदौली जिले में ऑक्सीजन बनाने वाली इंडियन एयर गैसेस (Indian Air Gases). जहां इन दिनों तेजी से ऑक्सीजन बनाए जाने का कार्य चल रहा है.

Oxygen Making Machines.
ऑक्सीजन बनाने वाली मशीनें.

ETV भारत की टीम ने कंपनी के मैनेजर और कर्मचारी से बात कर जानकारी हासिल की है. इस बारे में प्लांट के प्रोडक्शन मैनेजर अशोक बताते है कि हवा में से ऑक्सीजन को अलग कर लिया जाता है. इसके लिए एयर सप्रेशन तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. यानी हवा को कंप्रेस किया जाता है और फिर फिल्टर किया जाता है, ताकि अशुद्धियां उसमें से निकल जाएं.

अस्पतालों में पहुंचाने के लिए ऑक्सीजन टैंकर तैयार.
अस्पतालों में पहुंचाने के लिए ऑक्सीजन टैंकर तैयार.

फिल्टर हुई हवा को कई चरणों से गुजारा जाता है

अब इस फिल्टर हुई हवा को ठंडा किया जाता है, जिसके कई चरणों से गुजारा जाता है. इसके बाद इस हवा को डिस्टिल किया जाता है, ताकि ऑक्सीजन को बाकी गैसों से अलग किया जा सके. इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन लिक्विड बन जाती है और इसी स्थिति में ही उसे इकट्ठा किया जाता है.

इसे भी पढे़ं- कोरोना के बढ़ते आंकड़ों के बीच यात्रा करनी हो, तो इन रिपोर्टों को हमेशा रखें अपने साथ

सांस के मरीजों के लिए जीवन रक्षक 'ऑक्सीजन'.
सांस के मरीजों के लिए जीवन रक्षक 'ऑक्सीजन'.

अस्पतालों तक कैसे पहुंचती है ?

इस ऑक्सीजन को बड़े और छोटे कैप्सूलनुमा टैंकर में भरकर अस्पताल पहुंचा दिया जाता है. अस्पताल में इसे मरीजों तक पहुंच रहे पाइप्स से जोड़ दिया जाता है, लेकिन हर अस्पताल में तो ये सुविधा होती नहीं है. ऐसे में इन सिलेंडरों में ऑक्सीजन भरी जाती है और इनको सीधे मरीज के बिस्तर के पास पहुंचाया जाता है.

चंदौली : कोविड-19 (coronavirus) एक बार फिर से देशभर में पैर पसार चुका है. देश के हर राज्य से डराने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं. कहीं अस्पतालों में बेड की कमी है, तो कहीं ऑक्सीजन की कमी. कोविड-19 के मरीजों के लिए मेडिकल ऑक्सीजन सबसे अहम चीजों में से एक है. ऐसे में हम आपको बताते हैं कि ये जीवनदायिनी मेडिकल ऑक्सीजन क्या होती है. कैसे बनती है और कैसे अस्पतालों तक पहुंचती है-

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ऐसे बनती है मेडिकल ऑक्सीजन

यूं तो ऑक्सीजन हवा और पानी दोनों में मौजूद है. हवा में 21 प्रतिशत ऑक्सीजन होती है और 78 प्रतिशत नाइट्रोजन होती है. लेकिन, प्लांट में ये ऑक्सीजन कैसी तैयार की जाती है, इसे जानने के लिए हम पहुंचे चंदौली जिले में ऑक्सीजन बनाने वाली इंडियन एयर गैसेस (Indian Air Gases). जहां इन दिनों तेजी से ऑक्सीजन बनाए जाने का कार्य चल रहा है.

Oxygen Making Machines.
ऑक्सीजन बनाने वाली मशीनें.

ETV भारत की टीम ने कंपनी के मैनेजर और कर्मचारी से बात कर जानकारी हासिल की है. इस बारे में प्लांट के प्रोडक्शन मैनेजर अशोक बताते है कि हवा में से ऑक्सीजन को अलग कर लिया जाता है. इसके लिए एयर सप्रेशन तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. यानी हवा को कंप्रेस किया जाता है और फिर फिल्टर किया जाता है, ताकि अशुद्धियां उसमें से निकल जाएं.

अस्पतालों में पहुंचाने के लिए ऑक्सीजन टैंकर तैयार.
अस्पतालों में पहुंचाने के लिए ऑक्सीजन टैंकर तैयार.

फिल्टर हुई हवा को कई चरणों से गुजारा जाता है

अब इस फिल्टर हुई हवा को ठंडा किया जाता है, जिसके कई चरणों से गुजारा जाता है. इसके बाद इस हवा को डिस्टिल किया जाता है, ताकि ऑक्सीजन को बाकी गैसों से अलग किया जा सके. इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन लिक्विड बन जाती है और इसी स्थिति में ही उसे इकट्ठा किया जाता है.

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सांस के मरीजों के लिए जीवन रक्षक 'ऑक्सीजन'.
सांस के मरीजों के लिए जीवन रक्षक 'ऑक्सीजन'.

अस्पतालों तक कैसे पहुंचती है ?

इस ऑक्सीजन को बड़े और छोटे कैप्सूलनुमा टैंकर में भरकर अस्पताल पहुंचा दिया जाता है. अस्पताल में इसे मरीजों तक पहुंच रहे पाइप्स से जोड़ दिया जाता है, लेकिन हर अस्पताल में तो ये सुविधा होती नहीं है. ऐसे में इन सिलेंडरों में ऑक्सीजन भरी जाती है और इनको सीधे मरीज के बिस्तर के पास पहुंचाया जाता है.

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