चंदौली : जिले में एक तरफ कोरोना संक्रमितों को बेहतर उपचार नहीं मिल पा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों को भी समय से उपचार नहीं मिल पा रहा है. बेहतर इलाज के अभाव में भी लोग दम तोड़ रहे हैं. चकिया कोतवाली में इलाज के अभाव में दादा और पोती की मौत हो गई, जिससे परिजनों में आक्रोश है.
यह है पूरा मामला
बता दें कि चकिया कोतवाली क्षेत्र के दिरेहूं गांव में सोमवार की सुबह लगभग 10 बजे उपचार के अभाव में दादा ने दम तोड़ दिया. वहीं रात में पोती की भी अचानक तबीयत बिगड़ने और उपचार नहीं मिलने से मौत हो गई. एक ही परिवार में 2 मौत से पूरे गांव में मातम छा गया. कोतवाली क्षेत्र के दिरेहूं गांव निवासी बुल्लू सोनकर की पत्नी आरती सोनकर क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रही थी. सोमवार को क्षेत्र में जब मतदान हो रहा था, उसी दौरान सुबह उनके ससुर प्यारे लाल सोनकर (75) की तबीयत बिगड़ गई. बुल्लू अपने पिता को उपचार के लिए कई जगह ले गये लेकिन कोविड महामारी के चलते उन्हें उपचार नहीं मिल सका. इसके चलते उनकी मौत हो गई. वहीं परिजन इस गम से ऊबर भी नहीं पाए थे कि अचानक रात में बुल्लू की बेटी अंकिता (13 वर्ष) की भी तबीयत बिगड़ गयी. उसे रात में उपचार के लिए कई चिकित्सकों के यहां ले जाया गया. लेकिन उपचार नहीं मिल सका और उसकी भी मृत्यु हो गई.
कोविड के डर से नहीं मिला इलाज
परिवार वालों ने आरोप लगाया है कि किसी भी चिकित्सक ने उसे नहीं देखा. सभी कोरोना के डर से इलाज करने से इनकार कर दिया. चिकित्सक कोविड के भय के चलते अन्य मरीजों को भी नहीं देख रहे हैं. रात में लगभग 2 बजे उनकी बेटी ने भी दम तोड़ दिया. 16 घंटे के भीतर 2 मौतों ने पूरे परिवार को तोड़ कर रख दिया. वहीं परिवार समेत पूरा गांव मातम में डूबा हुआ है.
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