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चंदौली में मिलीं खंडित मूर्तियां: तीन हजार साल पहले मिले मानव सभ्यता के साक्ष्य - Director of Archaeological Team

पुरातत्व विभाग की तरफ से उत्खनन का कार्य कराया जा रहा है. खोदाई में मिले खंडित मूर्तियों और अन्य अवशेषों की फोटोग्राफी भी कराई जा रही है. खोदाई में मिले अवशेष इसकी प्रमाणिकता को सिद्ध कर रहे हैंं.

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चंदौली में मिलीं खण्डित मूर्तियां
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Published : Mar 16, 2022, 7:04 PM IST

चंदौली. जिले का माटीगांव स्थित प्राचीन भांडेश्वरनाथ शिव मंदिर परिसर में पौराणिक सभ्यता के अवशेष मिले हैं. यहां पुरातत्व विभाग की ओर से उत्खनन कराया जा रहा है. इस दौरान कई पुरातन खंडित मूर्तियां मिलीं. खुदाई में मिलीं मूर्तियों और अन्य अवशेषों की फोटोग्राफी भी कराई गई है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि गांव में तीन हजार वर्ष पहले भी एक विकसित मानव सभ्यता थी जिसके अब प्रमाण मिल रहे हैं. खोदाई में मिले अवशेष इसकी प्रमाणिकता को सिद्ध कर रहे हैं.

पुरातात्विक दल के निदेशक डॉ. विनय कुमार ने बताया कि पिछले कई दिनों से उत्खनन किया जा रहा है. खोदाई के दौरान सैकड़ों वर्ष पुराने मंदिर का प्रमाण मिला है. खंडित मूर्ति सहित अन्य वस्तुएं तीन हजार से भी अधिक वर्ष पुरानी सभ्यता के प्रमाण हैं. इन मूर्तियों को एकत्रकर उसकी फोटोग्राफी कराई जा रही है. मौके पर शोध छात्र परमजीत पटेल, राघव साहनी, शिव शंकर प्रजापति, उत्खनन कर्मी रामानंद, संजीव, लालता प्रसाद उपस्थित रहे.

इसे भी पढ़ेंः काशी में श्रद्धालुओं ने निकाली खाटू श्याम की शोभायात्रा...

गौरतलब है कि माटीगांव में दो दिन पहले काशी हिंदू विश्वविद्यालय के शोध छात्रों ने दौरा किया था. छात्रों ने उत्खनन को बारीकी से अध्ययन किया. वहीं, प्राचीन इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. ओमकारनाथ सिंह ने छात्रों को पुरातत्व के महत्व से अवगत कराया. बताया कि गांव में तीन हजार वर्ष पहने मानव सभ्यता काफी समृद्ध थी. खोदाई के दौरान मिले साक्ष्य इसको प्रमाणिक कर रहे हैं.

महीनों पूर्व हुई खोदाई में भी पौराणिक समय के पात्र बर्तन और खण्डित मूर्तियां मिली थीं जिसकी जांच पड़ताल के लिए बीएचयू की रिसर्च टीम जुटी हफ्तों तक जुटी रही. इसे कोरोना के चलते रोक दिया गया था. अब फिर खोदाई और रिसर्च का काम शुरू हो गया है.

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चंदौली. जिले का माटीगांव स्थित प्राचीन भांडेश्वरनाथ शिव मंदिर परिसर में पौराणिक सभ्यता के अवशेष मिले हैं. यहां पुरातत्व विभाग की ओर से उत्खनन कराया जा रहा है. इस दौरान कई पुरातन खंडित मूर्तियां मिलीं. खुदाई में मिलीं मूर्तियों और अन्य अवशेषों की फोटोग्राफी भी कराई गई है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि गांव में तीन हजार वर्ष पहले भी एक विकसित मानव सभ्यता थी जिसके अब प्रमाण मिल रहे हैं. खोदाई में मिले अवशेष इसकी प्रमाणिकता को सिद्ध कर रहे हैं.

पुरातात्विक दल के निदेशक डॉ. विनय कुमार ने बताया कि पिछले कई दिनों से उत्खनन किया जा रहा है. खोदाई के दौरान सैकड़ों वर्ष पुराने मंदिर का प्रमाण मिला है. खंडित मूर्ति सहित अन्य वस्तुएं तीन हजार से भी अधिक वर्ष पुरानी सभ्यता के प्रमाण हैं. इन मूर्तियों को एकत्रकर उसकी फोटोग्राफी कराई जा रही है. मौके पर शोध छात्र परमजीत पटेल, राघव साहनी, शिव शंकर प्रजापति, उत्खनन कर्मी रामानंद, संजीव, लालता प्रसाद उपस्थित रहे.

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गौरतलब है कि माटीगांव में दो दिन पहले काशी हिंदू विश्वविद्यालय के शोध छात्रों ने दौरा किया था. छात्रों ने उत्खनन को बारीकी से अध्ययन किया. वहीं, प्राचीन इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. ओमकारनाथ सिंह ने छात्रों को पुरातत्व के महत्व से अवगत कराया. बताया कि गांव में तीन हजार वर्ष पहने मानव सभ्यता काफी समृद्ध थी. खोदाई के दौरान मिले साक्ष्य इसको प्रमाणिक कर रहे हैं.

महीनों पूर्व हुई खोदाई में भी पौराणिक समय के पात्र बर्तन और खण्डित मूर्तियां मिली थीं जिसकी जांच पड़ताल के लिए बीएचयू की रिसर्च टीम जुटी हफ्तों तक जुटी रही. इसे कोरोना के चलते रोक दिया गया था. अब फिर खोदाई और रिसर्च का काम शुरू हो गया है.

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