चंदौली: कहते हैं कि सच्चे मन से की गई मेहनत को मुकाम मिल ही जाता है. कुछ ऐसा ही नजारा जिले के पुलिस महकमे में देखने को मिला है. यहां तैनात चार पुलिसकर्मियों का चयन शिक्षक के तौर पर हुआ है. लोगों की सुरक्षा में लगे ये सभी लोग अब बच्चों को शिक्षा देंगे. सभी ने पुलिस की नौकरी से इस्तीफा देकर विभिन्न जिलों में शिक्षक पद पर जॉइन कर लिया है.
पुलिस की कठिन ड्यूटी लक्ष्य में बन रही थी बाधक
पुलिस से शिक्षक बने सभी लोगों ने बताया कि पुलिस बनना कभी उनका लक्ष्य नहीं रहा. जल्द नौकरी की चाह और आर्थिक विषमता के चलते उन्होंने पुलिस की ड्यूटी जॉइन कर ली. पुलिस की कठिन ड्यूटी के चलते उनका लक्ष्य प्रभावित हो रहा है. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में बाधा उत्पन्न हो रही थी, लेकिन अब शिक्षण कार्य के बाद मिलने वाले समय का उपयोग प्रशासनिक पद की होने वाली परीक्षाओं की तैयारी के लिए करेंगे.
तीन पुरुष और एक महिला पुलिसकर्मी बने शिक्षक
चंदौली में तैनात तीन पुरुष और एक महिला पुलिसकर्मी का चयन शिक्षक के पद पर हुआ है. सभी ने पुलिस विभाग से इस्तीफा देकर चयनित जिलों में बतौर शिक्षक जॉइन भी कर लिया है. अब उन्हें उम्मीद है कि शिक्षक की नौकरी के दौरान वे प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी आसानी से कर सकेंगे.
प्रशासनिक सेवा में जाने की इच्छा
आजमगढ़ निवासी प्रियंका यादव अलीनगर स्थित महिला थाने में तैनात थी. उनका चयन गोरखपुर जिले में शिक्षक पद पर हुआ है. उन्होंने बताया कि वह आगे प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी करना चाहती हैं. ऐसे में शिक्षक की नौकरी उनके लिए सबसे उपयुक्त है.
सिविल सर्विसेज है लक्ष्य
भदोही के ज्ञानपुर निवासी अमृतांशु मिश्रा सर्विलांस विभाग में तैनात थे. उनकी माने तो वह शुरू से ही सिविल सर्विसेज में जाना चाहते थे, लेकिन पुलिस की नौकरी में समय के अभाव में तैयारी नहीं कर पा रहा थे. शिक्षक बनने के बाद उम्मीद है कि उन्हें तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा.
शिक्षक बनना ही लक्ष्य था
जौनपुर के मूल निवासी अनूप मौर्या को देवरिया जिले में शिक्षक पद पर तैनाती मिली है. जोकि जिले में डायल 112 में तैनात थे. अनूप मौर्या ने बताया कि वह शुरू से ही शिक्षक बनना चाहते थे. इसी बीच उनका चयन पुलिस में हो गया, लेकिन वह हमेशा शिक्षक बनने के लिए ही प्रयासरत रहे.
प्रतियोगी परीक्षा में जुट गए
आजमगढ़ निवासी विवेक राय को जौनपुर जिले में शिक्षक पद पर तैनाती मिली है, जोकि डायल 112 में तैनात थे. अब शिक्षक बनने के बाद अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में लगे हुए हैं.
पे-स्केल बेहतर, छुट्टी भी मिलेगी
पुलिस की नौकरी में 15 घंटे तक एक पुलिसकर्मी को औसतन ड्यूटी करनी पड़ती है. इसके साथ ही छुट्टी न मिलने के कारण भी पुलिसकर्मी परेशान रहते हैं. वहीं, शिक्षक की नौकरी में सुविधाएं ज्यादा हैं. एक शिक्षक का पे-ग्रेड 4200 रुपये होता है, जबकि पुलिस कर्मी का पे-ग्रेड उससे आधा दो हजार रुपये का है.
बेहतर नौकरी की चाहत हर किसी को होती है. ऐसे में अगर किसी को भी बेहतर विकल्प मिलता है, तो वह नौकरी छोड़ने का फैसला ले लेता है. जिले में अभी तक चार पुलिसकर्मियों के इस्तीफे स्वीकार कर उन्हें रिलीव किया गया है. इनका चयन शिक्षक के लिए हुआ है. पुलिसकर्मियों की सुविधाओं और हितों के लिए लगातार काम किया जा रहा है.
-अमित कुमार, एसपी
पहले कर रहे थे लोगों की सुरक्षा, अब देंगे बच्चों को शिक्षा
चंदौली जिले में तैनात चार पुलिसकर्मियों का चयन शिक्षक के पद पर हो गया है. सभी ने पुलिस की नौकरी से इस्तीफा देकर विभिन्न जिलों में शिक्षक पद पर जॉइन कर लिया है.
चंदौली: कहते हैं कि सच्चे मन से की गई मेहनत को मुकाम मिल ही जाता है. कुछ ऐसा ही नजारा जिले के पुलिस महकमे में देखने को मिला है. यहां तैनात चार पुलिसकर्मियों का चयन शिक्षक के तौर पर हुआ है. लोगों की सुरक्षा में लगे ये सभी लोग अब बच्चों को शिक्षा देंगे. सभी ने पुलिस की नौकरी से इस्तीफा देकर विभिन्न जिलों में शिक्षक पद पर जॉइन कर लिया है.
पुलिस की कठिन ड्यूटी लक्ष्य में बन रही थी बाधक
पुलिस से शिक्षक बने सभी लोगों ने बताया कि पुलिस बनना कभी उनका लक्ष्य नहीं रहा. जल्द नौकरी की चाह और आर्थिक विषमता के चलते उन्होंने पुलिस की ड्यूटी जॉइन कर ली. पुलिस की कठिन ड्यूटी के चलते उनका लक्ष्य प्रभावित हो रहा है. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में बाधा उत्पन्न हो रही थी, लेकिन अब शिक्षण कार्य के बाद मिलने वाले समय का उपयोग प्रशासनिक पद की होने वाली परीक्षाओं की तैयारी के लिए करेंगे.
तीन पुरुष और एक महिला पुलिसकर्मी बने शिक्षक
चंदौली में तैनात तीन पुरुष और एक महिला पुलिसकर्मी का चयन शिक्षक के पद पर हुआ है. सभी ने पुलिस विभाग से इस्तीफा देकर चयनित जिलों में बतौर शिक्षक जॉइन भी कर लिया है. अब उन्हें उम्मीद है कि शिक्षक की नौकरी के दौरान वे प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी आसानी से कर सकेंगे.
प्रशासनिक सेवा में जाने की इच्छा
आजमगढ़ निवासी प्रियंका यादव अलीनगर स्थित महिला थाने में तैनात थी. उनका चयन गोरखपुर जिले में शिक्षक पद पर हुआ है. उन्होंने बताया कि वह आगे प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी करना चाहती हैं. ऐसे में शिक्षक की नौकरी उनके लिए सबसे उपयुक्त है.
सिविल सर्विसेज है लक्ष्य
भदोही के ज्ञानपुर निवासी अमृतांशु मिश्रा सर्विलांस विभाग में तैनात थे. उनकी माने तो वह शुरू से ही सिविल सर्विसेज में जाना चाहते थे, लेकिन पुलिस की नौकरी में समय के अभाव में तैयारी नहीं कर पा रहा थे. शिक्षक बनने के बाद उम्मीद है कि उन्हें तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा.
शिक्षक बनना ही लक्ष्य था
जौनपुर के मूल निवासी अनूप मौर्या को देवरिया जिले में शिक्षक पद पर तैनाती मिली है. जोकि जिले में डायल 112 में तैनात थे. अनूप मौर्या ने बताया कि वह शुरू से ही शिक्षक बनना चाहते थे. इसी बीच उनका चयन पुलिस में हो गया, लेकिन वह हमेशा शिक्षक बनने के लिए ही प्रयासरत रहे.
प्रतियोगी परीक्षा में जुट गए
आजमगढ़ निवासी विवेक राय को जौनपुर जिले में शिक्षक पद पर तैनाती मिली है, जोकि डायल 112 में तैनात थे. अब शिक्षक बनने के बाद अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में लगे हुए हैं.
पे-स्केल बेहतर, छुट्टी भी मिलेगी
पुलिस की नौकरी में 15 घंटे तक एक पुलिसकर्मी को औसतन ड्यूटी करनी पड़ती है. इसके साथ ही छुट्टी न मिलने के कारण भी पुलिसकर्मी परेशान रहते हैं. वहीं, शिक्षक की नौकरी में सुविधाएं ज्यादा हैं. एक शिक्षक का पे-ग्रेड 4200 रुपये होता है, जबकि पुलिस कर्मी का पे-ग्रेड उससे आधा दो हजार रुपये का है.
बेहतर नौकरी की चाहत हर किसी को होती है. ऐसे में अगर किसी को भी बेहतर विकल्प मिलता है, तो वह नौकरी छोड़ने का फैसला ले लेता है. जिले में अभी तक चार पुलिसकर्मियों के इस्तीफे स्वीकार कर उन्हें रिलीव किया गया है. इनका चयन शिक्षक के लिए हुआ है. पुलिसकर्मियों की सुविधाओं और हितों के लिए लगातार काम किया जा रहा है.
-अमित कुमार, एसपी