चन्दौलीः जिले की सकलडीहा विधानसभा सीट राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण रही है. आजादी के बाद जब पहली विधानसभा का चुनाव हुआ तो इस विधानसभा का नाम धानापुर था. बाद में नए परिसीमन के अनुसार इसका नाम धानापुर से बदलकर सकलडीहा विधानसभा रख दिया गया. इस क्षेत्र को शहीदों की धरती भी कहा जाता है. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इस इलाके के क्रांतिकारियों ने देश की आजादी में अहम भूमिका निभाई थी. यह विधानसभा क्षेत्र प्रमुख रूप से कृषि प्रधान इलाका है.
पहली बार इस सीट पर कांग्रेस पार्टी के कामता प्रसाद विद्यार्थी विधायक निर्वाचित हुए थे. दूसरे विधानसभा चुनाव में भी फिर वही विजयी हुए. तीसरे चुनाव में कांग्रेस के राजनरायन ने सोशलिस्ट पार्टी के सदानंद को हराया था.
1967 में सोशलिस्ट पार्टी के बैजनाथ ने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के सदानंद को हराकर अपनी जीत दर्ज की. अगले चुनाव में एक बार फिर से बैजनाथ को जीत मिली. अबकी बार वे भारतीय किसान दल के टिकट पर उतरे थे. बैजनाथ ने दूसरी बार कांग्रेस के लोकनाथ को हराया था.
छठवें विधानसभा चुनाव में भारतीय किसान दल के उम्मीदवार बैजनाथ ने जीत हासिल की. इसी के साथ ही वह जीत की हैट्रिक बनाने वाले दूसरे नेता बन गए.
सातवें विधानसभा में जनता पार्टी के उम्मीदवार के रुप में कैलाशनाथ सिंह ने कांग्रेस पार्टी के नरेन्द्र शास्त्री को हराया. आठवें विधानसभा चुनाव में रामजनम ने सीटिंग विधायक कैलाशनाथ सिंह को हराया. नवें विधानसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस के रामजनम ने जनता पार्टी के कैलाशनाथ सिंह को हराया. दसवें विधानसभा चुनाव में जनता दल के दयाशंकर ने कांग्रेस के गिरिजापति सिंह यादव को पराजित किया.
इसके अगले विधानसभा चुनाव में जनता दल के टिकट पर कैलाशनाथ सिंह यादव फिर विजयी रहे. कैलाशनाथ सिंह ने भाजपा के सुरेन्द्र सिंह को हराया. 12वें विधानसभा चुनाव में बसपा के रामजीत भारद्वाज ने जीत हासिल की. 13वें चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रभु नारायण सिंह यादव ने बसपा के ज्ञानेन्द्र कुमार को हराया. 14वें चुनाव में सपा के प्रभु नारायण सिंह यादव ने बसपा के सुशील सिंह को कांटे की टक्कर में मात्र 26 वोटों से हरा दिया था.
2007 में बसपा के सुशील कुमार सिंह ने जेल से पर्चा भरकर चुनाव लड़ा और समाजवादी पार्टी के प्रभु नारायण सिंह यादव को 17,239 वोटों से हराकर जीत का परचम लहराया. 2012 में सोलहवीं विधानसभा के चुनाव के दौरान में इस सीट का नाम बदल कर (381) सकलडीहा हो गया. इस सीट से बसपा से टिकट कटने के बाद एक बार फिर से सुशील सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतरे और समाजवादी पार्टी के प्रभु नारायण सिंह यादव को दोबारा हरा दिया. 2017 में सकलडीहा सीट से समाजवादी पार्टी के प्रभु नारायण यादव एक बार फिर विधायक चुने गए.
ये रहे वोटर
पुरुष मतदाता | 176828 |
महिला मतदाता | 148754 |
कुल मतदाता | 3,25,588 |
जातिगत आंकड़ा
हरिजन | 55 हजार |
यादव | 50 हजार |
क्षत्रिय | 37 हजार |
ब्राह्मण | 29 हजार |
राजभर | 23 हजार |
मुस्लिम | 20 हजार |
वैश्य | 18 हजार |
चौहान | 15 हजार |
मौर्या | 15 हजार |
केवट | 10 हजार |
खरवार | 5 हजार |
खटीक-धोबी | 10 हजार |
कोहार-लोहार | 10 हजार |
मुसहर | 7 हजार |
अन्य | 20 हजार |
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2017 में चंदौली की तीन सीटें भाजपा के खाते में आईं
2014 में लोकसभा चुनाव से ही पूरे देश में मोदी लहर चल रही थी. 2017 में जब उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव हुआ तो एक बार फिर मोदी लहर ने अपना काम किया और चंदौली जिले की 4 सीटों में से 3 सीटें भाजपा के खाते में गई. लेकिन सकलडीहा विधानसभा ऐसी एकमात्र सीट थी. जहां पर समाजवादी पार्टी ने अपना परचम लहराया. इस विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के प्रभु नारायण यादव ने भारतीय जनता पार्टी के सूर्यमुनि तिवारी को करारी शिकस्त दी थी.
पिछले चुनाव पर एक नजर
- 2017 में 2,02,392 वोट पड़े.
- मतदान का प्रतिशत 63.69 रहा.
- सपा के प्रभु नारायण यादव को 79875 वोट मिले.
- बसपा के उपेंद्र सिंह को 52175 वोट मिले.
विधायक प्रभु नारायण यादव मूल रूप से सकलडीहा विधानसभा क्षेत्र के कैलावर गांव के रहने वाले हैं. वह दो बार सपा से विधायक रह चुके हैं. स्नातक प्रभु नारायण यादव 1986 में अपने गांव के प्रधान चुने गए. बाद में दो बार जिला पंचायत सदस्य भी चुने गए.
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