चंदौली: वैश्विक महामारी कोरोना से देश की अर्थव्यवस्था पर तगड़ा असर पड़ा है. अर्थव्यवस्था पर पड़े असर को देखते हुए सरकार ने नगर निकाय के 15वें वित्त की धनराशि के खर्च पर रोक लगा दी है. वहीं 14वें वित्त की धनराशि से कर्मचारियों के वेतन का भुगतान कर दिया गया. इस कारण चंदौली में विकास कार्य ठप पड़े हैं. वहीं बोर्ड फंड का बजट भी बेहद कम है. इस कारण भी विकास कार्य रुके हुए हैं. जनपद में विकास कार्य न होने से लोग परेशान हैं. उसमें भी खासतौर पर वे वार्ड जो गांवों से सटे हैं, वहां समस्या ज्यादा है.
कोरोना ने विकास कार्यों पर लगाया ब्रेक
दीनदयाल उपाध्याय नगर का नाम एकात्ममानव वाद के प्रणेता और अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुंचाने की बात कहने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रखा गया है. जब मुगलसराय का नाम बदला गया था तो लोगों में उम्मीद की किरण जगी थी कि विकास में तेजी आएगी, लेकिन कोरोना वायरस ने विकास की गाड़ी पर ऐसा ब्रेक लगाया की बिजली, पानी, सड़क, नाली, खड़ंजा सब काम बंद हो गए. अब यहां खराब सड़कें और अधूरे पड़े विकास कार्य मुंह चिढ़ा रहे हैं.
जनप्रतिनिधियों की भी हो रही है फजीहत
दीनदयाल नगर में विकास कार्य बाधित होने से जनता को तो परेशान होना ही पड़ रहा है साथ ही क्षेत्रीय सभासदों की भी काफी फजीहत हो रही है. आधारभूत सुविधाओं से मरहूम जनता शिकायतों का अंबार लिए पार्षदों के यहां पहुंच रही है, लेकिन बजट की कमी के चलते पार्षद हाथ खड़ कर देते हां. मैनाताली के पार्षद बृजेश गुप्ता ने बताया कि कोरोना काल में विकास बिल्कुल ठप हो गया है. जनता त्राहिमाम कर रही है. वहीं चेयरमैन काम करने के बजाय सिर्फ बजट का रोना रो रहे हैं.
सैलरी देने में ही खत्म हो गई 14 वें वित्त की धनराशि
दीनदयाल उपाध्याय नगर पालिका के चेयरमैन संतोष खरवार से ईटीवी भारत ने बात की. उन्होंने भी कोरोना का हवाला देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 15वें वित्त वर्ष की धनराशि के खर्च पर रोक लगा दी है, जिससे नगर के सभी विकास कार्य ठप पड़े हैं. यही नहीं 14वें वित्त की धनराशि में जो धनराशि शेष बची थी. उस धनराशि का उपयोग नगर पालिका कर्मियों की सैलरी में ही खत्म हो गई, बल्कि कम पड़ गई. वहीं बोर्ड फंड का बजट भी बेहद कम है. इससे विकास कार्य रुके हैं.
सभी को बजट का इन्तजार
रुपयों के अभाव में ठप पड़े विकास कार्यों से जनता में आक्रोश है. वहीं दूसरी तरफ जनप्रतिनिधि जनता के सवालों के जवाब नहीं दे पा रहे हैं. इसके साथ ही पेमेंट के अभाव में ठेकेदारों ने क्षेत्र में कार्य करने से इनकार कर दिया है. ऐसे में अब सभी को इंतजार है कि शासन की ओर से कब धन आवंटित हो और क्षेत्र में विकास की गाड़ी एक बार फिर चले.