चंदौलीः इन दिनों उत्तर प्रदेश में डेंगू और मलेरिया का कहर देखने को मिल रहा है. इससे बचाव के लिए दीनदयाल नगर पालिका प्रशासन एक अनोखी मुहिम चला रहा है. जिससे नगर वासियों को इन खतरनाक मच्छरों से निजात मिल सके. मच्छरों से बचाव के लिए नगर पालिका प्रशासन की ओर से बड़े-बड़े तालाबों में गैम्बुसिया मछली छोड़ी जा रही है. इस मछली की खासियत यह है कि पानी में पनपने वाले मच्छरों के लार्वा को खा जाती हैं. ऐसे में इस मछली के सहारे डेंगू और मलेरिया के मच्छर पनपने से पहले उसे लार्वा के स्तर पर समाप्त करने में मदद मिलेगी.
डेंगू और मलेरिया का रोकथाम
बारिश के मौसम में डेंगू और मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों का प्रकोप काफी बढ़ जाता है. ऐसे में मच्छरों का नाश करने के लिए नालियों में तमाम तरह की दवाईयों का छिड़काव किया जाता है. जबकि तालाब में दवाईयां डालने से अन्य जलीय जीवों को नुकसान होने का डर बना रहता है. ऐसे में डेंगू फैलाने वाले मादा ऐडीज मच्छर और मलेरिया फैलाने वाले मादा एनाफिलीज मच्छरों को फैलने से रोकने के लिए तालाबों के पानी में ‘गैम्बुसिया’ नामक मछली छोड़ी जा रही है. यह मछली मच्छरों के लार्वा को अपना भोजन बनाती हैं. जिससे पानी में पनपने वाले मच्छरों के लार्वा के स्तर पर ही समाप्त हो जाने से नगर और आसपास के क्षेत्रों में डेंगू और मलेलिया जैसी बीमारियों पर नियंत्रण लगेगा.
चार से पांच साल तक जिंद रह सकती है मछली
खास बात यह है कि गैम्बुसिया मछली 24 घंटे में 100 से 300 लार्वा खा सकती है. गैम्बुसिया मछली को बढ़ने में तीन से छह महीने का वक्त लगता है. इस मछली की सबसे खास बात ये है कि यह अंडे नहीं देती, बल्कि बच्चे देती है. यह मछली 14 डिग्री सेल्सियस से 38 डिग्री तक बहुत ही आराम से रह जाती है. एक मछली करीब चार से पांच साल जिंदा रह सकती है.
दीनदयाल नगर पालिका में हैं 25 वार्ड
बता दें कि, दीनदयाल नगर पालिका में 25 वार्ड है. जहां डेढ़ लाख से अधिक आबादी निवास करती है. वहीं क्षेत्र में काफी संख्या में छोटे और बड़े तालाब मौजूद हैं. तालाबों में पनपने वाले डेंगू और मलेरिया के मच्छरों को समाप्त करने के लिए पालिका के अधिकारियों की ओर से इन मछलियों का सहारा लिया जा रहा है.
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दीनदयाल नगर के अधिशासी अधिकारी कृष्ण चंद्र ने बताया की डेंगू के प्रकोप को देखते हुए नगर के प्रमुख तालाबों और जलजमाव वाले इलाकों को चिन्हित कर वहां गैंबुसिया मछली डाल रहे है. जो डेंगू और मलेरिया के लार्वा को खा जाती है. इस प्रयोग के जरिए डेंगू को फैलने से रोकने का प्रयास किया जा रहा है. इसके अलावा साफ-सफाई और दवाओं का छिड़काव भी सतत रूप से किया जा रहा है. पालिका की ओर से अब तक चार-पांच तालाबों में गैम्बुसिया मछली छोड़ी जा चुकी है.