चंदौलीः चकिया में बीडीओ रहे रविन्द्र प्रताप यादव व 2 ग्राम पंचायत अधिकारी समेत 7 लोगों के खिलाफ फर्जीवाड़ा समेत अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है. कोर्ट के आदेश पर इन सभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. पूरा मामला कुटुंब रजिस्टर में गलत तरीक़े से नाम दर्ज कर संपत्ति का वारिस बनने से जुड़ा है. बीडीओ के खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने से प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मचा है.
आरोप है कि खंड विकास अधिकारी रविन्द्र प्रताप सिंह, ग्राम विकास अधिकारी श्रीचन्द, ग्राम विकास अधिकारी अश्विनी कुमार गौतम के साथ मिलकर कूट रचना करके व कराकर प्रार्थी के पिता स्व सतेन्द्र कुमार का विधिक वारिस बनकर विकास खण्ड चकिया के परिवार रजिस्टर के पृष्ठ सं0 120 मकान नं0 132 / अ पर प्रार्थी व प्रार्थी की बहन काजल का नाम कटवाकर रामनिवास दत्तक पुत्र स्व. रामकेश करा कर दिया.
इसके अलावा उसी कूट रचित कागजात के आधार पर प्रार्थी के पिता स्व. सतेन्द्र की सम्पत्ति पर अभियुक्त गामा अपने मेली मददगार, मुसई व केदार के जरिये अपने बेटे रामनिवास का नाम दर्ज कागजात खतौनी करा लिया. इसकी जानकारी होने पर प्रार्थी के संरक्षक रामदेव द्वारा राजस्व न्यायालय तहसीलदार चकिया के न्यायालय में नामान्तरण आदेश के विरुद्ध रेस्टोरेशन प्रार्थना पत्र दाखिल किया है,जो विचाराधीन है.
प्रशासनिक लापरवाही का आलम यह रहा कि इस फर्जीवाड़े की जानकारी के बाद प्रार्थी द्वारा खण्ड विकास अधिकारी चकिया से अपने व अपने बहन काजल व अपने पिता सतेन्द्र कुमार के परिवार रजिस्टर की सत्य प्रतिलिपि मांगी गई. इस पर खंड विकास अधिकारी व ग्राम विकास अधिकारी बार बार टाल-मटोल व हिला हवाली करते रहे. बाद में कड़ी मशक्कत के बाद जन सूचना अधिनियम अधिकार 2005 के तहत मांगने पर इसका खुलासा हुआ.
इस पूरे प्रकरण को ध्यान में रखते हुए सीजेएम कोर्ट ने तत्कालीन खंड विकास अधिकारी रविन्द्र प्रताप यादव, ग्राम विकास अधिकारी श्रीचन्द, ग्राम विकास अधिकारी अश्विनी कुमार गौतम के अलावा मुजफ्फरपुर निवासी रामनिवास पुत्र गामा, गामा पुत्र शिवधनी, और शिकारगंज गांव निवासी मुसई पुत्र मिठाई, केदार पुत्र सीता के खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने के बाबत चकिया पुलिस को आदेश दिया है.
इस बाबत चकिया इंस्पेक्टर मिथिलेश तिवारी ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर 156 (3) तहत खंड विकास अधिकारी रविन्द्र प्रताप यादव, दो ग्राम पंचायत अधिकारी समेत 7 लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420,467,468,471, 323, 504,506, 392 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.
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