चन्दौली: यूपी-बिहार बॉर्डर स्थित कर्मनाशा पुल टूटने के मामले में निर्माण एजेंसियों की अनियमितता सामने आई है. शनिवार को पुल टूटने के बाद सेंट्रल रोड रिसर्च ऑफ इंडिया की टीम नौबतपुर पहुंची, जहां तीन सदस्यीय विशेषज्ञों की टीम ने पुल का मुआयना किया. टीम के अनुसार, पुल का 100 मीटर से ज्यादा का हिस्सा क्षतिग्रस्त है.
निर्माण में बरती गई अनियमितता
पीसीएल कंपनी ने 400 करोड़ से ज्यादा की लागत से बनने वाले इस पुल का निर्माण 2003 में शुरू किया था, जबकी इस पुल पर आवागमन की शुरुआत 2009 में हुई थी, लेकिन घटिया निर्माण के चलते यह पुल 10 साल में ही टूट गया. इस पुल के सेंटर पिलर के दोनों विंग टूट गए हैं, जबकि अगल-बगल वाले दोनों पिलर में भी दरार आ गई है.
विशेषज्ञों ने किया दौरा
मंगलवार को ब्रिज कंस्ट्रक्शन एंड इन्फ्राट्रक्चर के एमडी आलोक भौमिक के नेतृत्व में 2 सदस्यीय टीम ने मौके पर पहुंचकर स्थलीय निरीक्षण किया. इस दौरान आलोक भौमिक और राजीव आहूजा दोनों ही विशेषज्ञों ने हाइड्रोलिक के जरिए टूटे हुए हिस्से का नजदीक से अवलोकन भी किया. इसके अलावा ब्रिज के ऊपरी हिस्से का भी अवलोकन किया.
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जांच टीम ने मानी बरती गई लापरवाही
जांच टीम ने बातचीत के दौरान बताया की टूटे हुए हिस्से को देखकर प्रथम दृष्टया यह प्रतीत हो रहा है कि इसके निर्माण में अनियमितता बरती गई है. पिलर निर्माण में इस्तेमाल किए गए सरिए की संख्या और क्वालिटी दोनों में अनियमितता है. उसकी वजह से यह पुल टूटा है. इसके अलावा दूसरी वजह ओवरलोडिंग को भी बताया.
शनिवार की अलसुबह तेज आवाज के साथ पुल का मध्य पिलर टूट गया, जिससे यह कर्मनाशा पुल का मध्य हिस्सा करीब 50 एमएम तक बैठ गया. सूचना पर पहुंचे आला अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर जायजा लिया और आवागमन पर रोक लगा दी. फिलहाल वैकल्पिक तौर पर जीटी रोड स्थित पुराने पुल से यात्री और छोटी गाड़ियां गुजारी जा रही हैं, जबकि बड़े वाहन जहां तहां रोक दिए गए हैं. वहीं दोनों तरफ अस्थाई पुल का निर्माण भी कराया जा रहा है, जिसे शुरू होने दो सप्ताह का वक्त लग सकता है.