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चंदौली: कब बनकर होगा तैयार महेन्द्र नाथ पांडेय का ड्रीम प्रोजेक्ट

ETV BHARAT लगातार आपको चंदौली स्वास्थ्य महकमे से रूबरू करा रहा है. 'वेंटिलेटर पर स्वास्थ्य विभाग' पार्ट 4 में ETV BHARAT ने आपको रूबरू कराया था डॉट्स सेंटर से. पार्ट-5 में आज जानिए चंदौली ट्रॉमा सेंटर की हालत.

अधर में लटका चंदौला का ट्रॉमा सेंटर.
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Published : Sep 22, 2019, 4:33 PM IST

चंदौली: जिले में स्वास्थ्य महकमे का बुरा हाल है और ये हाल तब है, जब चंदौली एस्पेरेशनल डिस्ट्रिक्ट में चयनित है और स्वास्थ्य उसके प्रमुख इंडिकेटर में शामिल. बावजूद इसके जिले में कई स्वास्थ्य परियोजनाएं लंबित पड़ी है. चंदौली के सांसद और केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय की ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल ट्रॉमा सेंटर का काम आज भी अधर में लटका हुआ है.

अधर में लटका चंदौला का ट्रॉमा सेंटर.
इस ट्रॉमा सेंटर की प्रारंभिक लागत 312 लाख रुपये अनुमानित थी, जिसमें 10 बेड का ट्रॉमा सेंटर बनना था ताकि सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल और बीमार लोगों को इलाज की सुविधा मिल सके, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता की वजह से केंद्रीय मंत्री का ये ड्रीम प्रोजेक्ट भी परवान नहीं चढ़ सका.

ये भी पढ़ें- चंदौली डॉट्स सेंटर के बजट का आधा पैसा खर्च, नींव तक भी नहीं पहुंचा निर्माण

शिलान्यास के वक्त स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इसकी लागत बढ़ाकर 10 करोड़ कर दी. साथ ही इसे ग्रेड एक से ग्रेड दो स्तर वाले 30 बेड के ट्रॉमा सेंटर की घोषणा की. इसके बाद भी 9 महीने से भवन निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है. इसके निर्माण के लिए 18 महीने का समय दिया गया था. जून 2020 तक इसका काम पूरा करने के लिए कार्यदाई संस्था सीएनडीएस को जिम्मेदारी दी गई थी.

ये भी पढ़ें- चंदौली: 3 साल से ICU तैयार पर मयस्सर नहीं इलाज, जिम्मेदार कौन

चुनावी साल में ट्रॉमा सेंटर की घोषणा तो कर दी गई, लेकिन इसके संचालन की बेहतर प्लानिंग नहीं हो पाई. जिससे ये प्रोजेक्ट अधर में लटका पड़ा है. इसके संचालन की जिम्मेदारी बीएचयू को दी गई थी, लेकिन अब बीएचयू ने यह कहते हुए इसके संचालन से हाथ खींच लिया है कि ट्रॉमा सेंटर में चिकित्सक एवं स्टाफ के रहने लिए सुविधा नहीं है. ऐसे में ये देखना होगा कि केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय का ये ड्रीम प्रोजेक्ट कब परवान चढ़ता है या ये भी जिले की अन्य परियोजनाओं की तरह कागजों में ही दम तोड़ जाता है.

चंदौली: जिले में स्वास्थ्य महकमे का बुरा हाल है और ये हाल तब है, जब चंदौली एस्पेरेशनल डिस्ट्रिक्ट में चयनित है और स्वास्थ्य उसके प्रमुख इंडिकेटर में शामिल. बावजूद इसके जिले में कई स्वास्थ्य परियोजनाएं लंबित पड़ी है. चंदौली के सांसद और केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय की ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल ट्रॉमा सेंटर का काम आज भी अधर में लटका हुआ है.

अधर में लटका चंदौला का ट्रॉमा सेंटर.
इस ट्रॉमा सेंटर की प्रारंभिक लागत 312 लाख रुपये अनुमानित थी, जिसमें 10 बेड का ट्रॉमा सेंटर बनना था ताकि सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल और बीमार लोगों को इलाज की सुविधा मिल सके, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता की वजह से केंद्रीय मंत्री का ये ड्रीम प्रोजेक्ट भी परवान नहीं चढ़ सका.

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शिलान्यास के वक्त स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इसकी लागत बढ़ाकर 10 करोड़ कर दी. साथ ही इसे ग्रेड एक से ग्रेड दो स्तर वाले 30 बेड के ट्रॉमा सेंटर की घोषणा की. इसके बाद भी 9 महीने से भवन निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है. इसके निर्माण के लिए 18 महीने का समय दिया गया था. जून 2020 तक इसका काम पूरा करने के लिए कार्यदाई संस्था सीएनडीएस को जिम्मेदारी दी गई थी.

ये भी पढ़ें- चंदौली: 3 साल से ICU तैयार पर मयस्सर नहीं इलाज, जिम्मेदार कौन

चुनावी साल में ट्रॉमा सेंटर की घोषणा तो कर दी गई, लेकिन इसके संचालन की बेहतर प्लानिंग नहीं हो पाई. जिससे ये प्रोजेक्ट अधर में लटका पड़ा है. इसके संचालन की जिम्मेदारी बीएचयू को दी गई थी, लेकिन अब बीएचयू ने यह कहते हुए इसके संचालन से हाथ खींच लिया है कि ट्रॉमा सेंटर में चिकित्सक एवं स्टाफ के रहने लिए सुविधा नहीं है. ऐसे में ये देखना होगा कि केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय का ये ड्रीम प्रोजेक्ट कब परवान चढ़ता है या ये भी जिले की अन्य परियोजनाओं की तरह कागजों में ही दम तोड़ जाता है.

Intro:Note - सुधीर सर और राहुल तिवारी जी के ध्यानार्थ.... विशेष इनपुट स्टोरी

चंदौली - चन्दौली में स्वास्थ्य महकमे का बुरा हाल है. और ये हाल तब है जब चंदौली एस्पेरेशनल डिस्ट्रिक्ट में चयनित है और स्वास्थ्य उसके प्रमुख इंडिकेटर में शामिल है. बावजूद इसके यहां करीब आधा दर्जन स्वास्थ्य परियोजनाएं लंबित पड़ी है. चन्दौली से सांसद और केंद्रीय मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पांडेय के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक नियामताबाद में बनने वाला ट्रामा सेंटर का काम भी रुका पड़ा है. ड्रीम प्रोजेक्ट इसलिए भी है क्योंकि सपा सरकार में घोषित चंदौली मेडिकल कालेज सूबे में बीजेपी सरकार आने के बाद मिर्जापुर हस्तान्तरित हो गया. जिसके बाद हमलवार हुई विपक्ष को जवाब देने के लिए चुनावी वर्ष में 8 दिसंबर 2018 को तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जय प्रकाश नड्डा ने यहाँ ट्रामा सेंटर की घोषणा की थी.



Body:इस ट्रामा सेंटर की प्रारंभिक लागत 312 लाख रुपये अनुमानित थी. जिसमें 10 बेड का ट्रामा सेंटर बनना था. ताकि सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल और बीमार लोगों को एनएच 2 पर स्थित ट्रामा सेंटर परबेहतर चिकित्सकीय सुविधा मिल सके. लेकिन स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के केंद्रीय मंत्री का ये ड्रीम प्रोजेक्ट भी परवान नहीं चढ़ सका. जिसके चलते 9 महीने बाद भी भवन निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है. इसके निर्माण के लिए 18 महीने का समय दिया गया था. जून 2020 तक इसका काम पूरा करने के लिए कार्यदाई संस्था सीएनडीएस को जिम्मेदारी दी गई थी.

वीओ 2 - गौरतलब है कि 2 बीघे में बनने वाले ट्रामा सेंटर का निर्माण पहले 312 लाख रुपए के खर्च से 10 बेड का बनना था. लेकिन शिलान्यास के वक्त स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने मंच से इसकी लागत बढ़ाकर 10 करोड़ कर दी. साथ ही इसे ग्रेड 1 से ग्रेड 2 स्तर वाले 30 बेड के ट्रामा सेंटर की घोषणा की.

वॉक थ्रू

गौरतलब है कि चुनावी वर्ष में ट्रामा सेंटर की घोषणा तो कर दी गई. लेकिन इसके संचालन की बेहतर प्लानिंग नहीं कि गई. चुनावी जुमलेबाजी में सिर्फ ट्रामा सेंटर बनने का ख्याल रखा गया.लेकिन इसके संचालन व अन्य जरूरी चीजों का ख्याल नहीं रखा गया. जिससे प्रोजेक्ट भी अधर में लटका पड़ा है. इसके संचालन की जिम्मेदारी बीएचयू को दी गई थी. लेकिन अब बीएचयू ने यह कहते हुए इसके संचालन से हाथ खींच लिया है कि ट्रामा सेंटर में उसके चिकित्सक एवं स्टाफ के रहने लिए सुविधा नहीं है. उनके लिए आवासीय सुविधाएं उपलब्ध ना होने की वजह से बीएचयू ने इसके संचालन से इंकार कर दिया है. जिसकी वजह से यह पूरा प्रोजेक्ट अधर में पड़ा है और अब ट्रामा सेंटर बिल्डिंग बनाने से पूर्व आवासीय प्लाट की खोजबीन जारी है. फिलहाल पिछले कई दिनों से काम बंद पड़ा है.

बाइट -रामजी (केयरटेकर)

बाइट - डॉ आरके मिश्रा (सीएमओ)

एफवीओ - ऐसे ये देखना होगा कि केंद्रीय मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पांडेय का ये ड्रीम प्रोजेक्ट कब परवान चढ़ता है. या ये भी जिले की अन्य परियोजनाओं की तरह कागजों में ही दम तोड़ जाता है.Conclusion:Kamalesh giri
Chandauli
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