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चंदौली: बाल यीशु के कैथोलिक चर्च में धूमधाम से मनाया जा रहा क्रिसमस

उत्तर प्रदेश के चंदौली में दीनदयाल नगर स्थित क्राइस्ट द किंग बाल यीशु चर्च में धूमधाम से क्रिसमस मनाया जा रहा है. इस रोमन कैथोलिक चर्च में शाम को मेले का आयोजन भी किया गया है.

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Published : Dec 25, 2019, 6:59 PM IST

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चर्च परिसर में भव्य मेले का आयोजन किया गया है.

चंदौली: क्रिसमस देश भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. जिले में दीनदयाल नगर स्थित क्राइस्ट द किंग बाल यीशु चर्च में भी क्रिसमस पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. यहां शाम को मेले का आयोजन भी किया गया. पूरे चर्च को झालर, मोतियों और रंग-बिरंगे गुब्बारों से सजाया गया है. रोमन कैथोलिक चर्च में देशभर के श्रद्धालुओं का जत्था यहां पहुंचता है.

चर्च परिसर में भव्य मेले का आयोजन किया गया.

चर्च परिसर में मेले का आयोजन
प्रेम के प्रतीक प्रभु यीशु का जन्म मंगलवार की देर रात यहां हुआ. उनके जन्म होते ही मसीही समाज पूरी श्रद्धा से नतमस्तक हो गया और तालियां बजाकर प्रभु का स्वागत किया. साथ ही एक-दूसरे के गले मिलकर क्रिसमस की बधाइयां दीं. इस दौरान गीत गाकर प्रार्थना सभा की गई. इसके बाद बुधवार की सुबह से ही यहां प्रार्थना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. जहां शाम को यहां चर्च परिसर में भव्य मेले का आयोजन किया गया है.

बाल यीशु का चर्च देश में तीन स्थान पर
फादर विपिन के मुताबिक इस चर्च की स्थापना 1930 में की गई थी. बाल यीशु का चर्च पूरे देश में मात्र तीन जगह ही है. नासिक, बंगलुरु और तीसरा मुगलसराय के दीनदयाल नगर में स्थापित है. करीब 2 हजार वर्ष पूर्व मानवता का संदेश देने के लिए ईश्वर ने अपने पुत्र को धरती पर 25 दिसंबर को भेजा था. प्रभु यीशु ने अपने पूरे जीवन काल में मानव को प्रेम संदेश दिया और लोगों का पाप लेकर इस दुनिया से विदा हुए.

ये भी पढ़ें- मेरठ: 200 साल पुराने 'सेंट जॉन्स चर्च' में क्रिसमस की मची धूम

गौशाला में हुआ जन्म
मान्यता है कि प्रभु ने एक कुंवारी लड़की मेरी के पास गैब्रियल दूत को भेजा. गैब्रियल ने मेरी को बताया कि वह प्रभु के पुत्र को जन्म देगी. जिसका नाम जीसस रखा जाएगा. मेरी की सगाई युसूफ नामक बढ़ई से हुई थी. मेरी ने आधी रात को एक गौशाला में जीसस को जन्म दिया. उसके बाद उन्हें एक नाद में लिटा दिया. जीसस के प्रतीक स्वरूप बाल यीशु के जन्मोत्सव की झांकी भी सजाई जाती है.

चंदौली: क्रिसमस देश भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. जिले में दीनदयाल नगर स्थित क्राइस्ट द किंग बाल यीशु चर्च में भी क्रिसमस पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. यहां शाम को मेले का आयोजन भी किया गया. पूरे चर्च को झालर, मोतियों और रंग-बिरंगे गुब्बारों से सजाया गया है. रोमन कैथोलिक चर्च में देशभर के श्रद्धालुओं का जत्था यहां पहुंचता है.

चर्च परिसर में भव्य मेले का आयोजन किया गया.

चर्च परिसर में मेले का आयोजन
प्रेम के प्रतीक प्रभु यीशु का जन्म मंगलवार की देर रात यहां हुआ. उनके जन्म होते ही मसीही समाज पूरी श्रद्धा से नतमस्तक हो गया और तालियां बजाकर प्रभु का स्वागत किया. साथ ही एक-दूसरे के गले मिलकर क्रिसमस की बधाइयां दीं. इस दौरान गीत गाकर प्रार्थना सभा की गई. इसके बाद बुधवार की सुबह से ही यहां प्रार्थना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. जहां शाम को यहां चर्च परिसर में भव्य मेले का आयोजन किया गया है.

बाल यीशु का चर्च देश में तीन स्थान पर
फादर विपिन के मुताबिक इस चर्च की स्थापना 1930 में की गई थी. बाल यीशु का चर्च पूरे देश में मात्र तीन जगह ही है. नासिक, बंगलुरु और तीसरा मुगलसराय के दीनदयाल नगर में स्थापित है. करीब 2 हजार वर्ष पूर्व मानवता का संदेश देने के लिए ईश्वर ने अपने पुत्र को धरती पर 25 दिसंबर को भेजा था. प्रभु यीशु ने अपने पूरे जीवन काल में मानव को प्रेम संदेश दिया और लोगों का पाप लेकर इस दुनिया से विदा हुए.

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गौशाला में हुआ जन्म
मान्यता है कि प्रभु ने एक कुंवारी लड़की मेरी के पास गैब्रियल दूत को भेजा. गैब्रियल ने मेरी को बताया कि वह प्रभु के पुत्र को जन्म देगी. जिसका नाम जीसस रखा जाएगा. मेरी की सगाई युसूफ नामक बढ़ई से हुई थी. मेरी ने आधी रात को एक गौशाला में जीसस को जन्म दिया. उसके बाद उन्हें एक नाद में लिटा दिया. जीसस के प्रतीक स्वरूप बाल यीशु के जन्मोत्सव की झांकी भी सजाई जाती है.

Intro:चन्दौली - ईसाइयों का सबसे बड़ा त्योहार क्रिसमस डे देश भर में हर्षोल्लास के साथ वमनाया जा रहा है. दीनदयाल नगर स्थित क्राइस्ट द किंग बाल यीशु चर्च में भी क्रिसमस डे पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. जहां शाम को मेले का आयोजन भी किया गया है. उसको लेकर यहां तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. पूरे चर्च को झालर मोतियों से रंग-बिरंगे गुब्बारों से सजाया गया है रोमन कैथोलिक चर्च में देशभर के श्रद्धालुओं का जत्था यहां पहुंचता है.


Body:प्रेम के प्रतीक प्रभु यीशु का जन्म मंगलवार की देर रात यहां हुआ. उनके जन्म होते ही मसीही समाज पूरी श्रद्धा से नतमस्तक हो गया और तालियां बजाकर प्रभु का स्वागत किया. साथ ही एक दूसरे के गले मिलकर क्रिसमस की बधाइयां दी. इस दौरान करो गीत गाकर प्रार्थना सभा की. इसके बाद बुधवार की सुबह से ही यहां प्रे के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. जहां शाम को यहां चर्च परिसर में भव्य मेले का आयोजन किया गया है.

फादर विपिन की मानें तो इस चर्च की स्थापना 1930 में की गई थी. बाल यीशु का चर्च पूरे देश में मात्र तीन जगह ही है. नासिक बंगलुरु और तीसरा दिन दयाल नगर में स्थापित है. करीब 2 हजार वर्ष पूर्व प्रेम मानवता का संदेश देने के लिए ईश्वर ने अपने पुत्र को धरती पर 25 दिसंबर को भेजा था. प्रभु यीशु अपने पूरे जीवन काल में मानव को प्रेम का संदेश दिया और लोगों का पाप लेकर इस दुनिया से विदा हुए.

मान्यता है कि प्रभु ने मेरी नामक एक कुंवारी लड़की मेरी के पास गैब्रियल दूत को भेजा. गैब्रियल ने मेरी को बताया कि वह प्रभु के पुत्र को जन्म देगी. जिसका नाम जीसस रखा जाएगा. मेरी की सगाई युसूफ नमक बढ़ई से हुई थी. मेरी ने आधी रात को एक गौशाला में जीसस को जन्म दिया. उसके बाद उन्हें एक नाद में लिटा दिया. जिसस के प्रतीक स्वरूप बाल यीशु के जन्मोत्सव की झांकी भी गौशाला के रूप में सजाई जाती है.

वॉक थ्रू कमलेश



Conclusion:कमलेश गिरी
चन्दौली
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