चंदौलीः विशेष न्यायाधीश पॉक्सो अधिनियम राजेंद्र प्रसाद की अदालत ने नाबालिग किशोरी के साथ बलात्कार के मामले की सुनवाई की. इस दौरान गवाहों के मुकरने के बाद भी डीएनए रिपोर्ट के आधार पर विशेष न्यायाधीश ने आरोपी युवक को 22 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई. वहीं, 10 हजार रुपये जुर्माना लगाया. जुर्माना अदा न करने पर छह माह की अतिरिक्त सजा भुगतने का निर्देश दिया.
अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष अधिवक्ता पाक्सो शमशेर बहादुर सिंह, अवधेश नारायण सिंह, रमाकांत उपाध्याय ने तर्क प्रस्तुत किया. अधिवक्ता शमशेर बहादुर सिंह ने बताया कि बलुआ थाना क्षेत्र के एक गांव की 13 वर्षीय पीड़िता के चाचा ने 7 अप्रैल 2020 को इस आशय की रिपार्ट दर्ज करायी. आरोप लगाया कि 5 अप्रैल 2020 को गांव का ही रितेश पांडेय उर्फ गोलू ने उसकी भतीजी को बहला-फुसलाकर अपने घर पर ले गया. इसके बाद दो दिन तक कमरे में बंद रखा और भतीजी के साथ बलात्कार किया.
इसके बाद पीड़िता को उसके घर के बाहर छोड़कर भाग गया. इस मामले में पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत किया. विशेष न्यायाधीश पाक्सो की अदालत में मामले की सुनवाई हुई. इसमें पीड़िता के बयान के साथ ही चार गवाह पेश किए गए. इस दौरान पीड़िता अपने बयान से पलट गई. वहीं, सभी गवाह भी आरोपी के पक्ष में अपना बयान दर्ज कराया, लेकिन विवेचक के लिए गए डीएनए नमूने सकारात्मक पाए गए. कोर्ट में जांच के बाद मैच किए गए डीएनए रिपोर्ट प्रस्तुत हुआ. इसके आधार पर कोर्ट में फैसला सुनाया गया.
विशेष न्यायाधीश राजेंद्र प्रसाद ने आरोपी को धारा 3/4 (2) पॉक्सो अधिनियम में 22 साल की कठोर कारावास की सजा सुनायी. साथ ही 10 हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया. अदा न करने पर छह माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. इसके अतिरिक्त धारा-363 आईपीसी में चार वर्ष की सजा और पांच हजार रुपये जुर्माना, धारा-506 में एक साल की जेल और एक हजार रुपये जुर्माना लगाया. जुर्माना न देने में अतिरिक्त सजा भुगतने का फैसला सुनाया.