चंदौली: धान के कटोरे चंदौली की ब्लैक राइस अब देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी धूम मचाएगी. औषधीय गुणों से युक्त ब्लैक राइस की उपज को उचित दाम के साथ बड़ा बाजार मिला है. इंटरनेशनल एक्सपोर्टर सुखबीर एग्रो एनर्जी लिमिटेड ने 80 मीट्रिक टन काला धान की फसल खरीदी है, जिसे सोमवार को कमिश्नर वाराणसी दीपक अग्रवाल ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इस दौरान ब्लैक राइस की खेती को चंदौली के किसानों के लिए मील का पत्थर बताया. वहीं ब्लैक राइस की खेती करने वाले किसान विदेशों में एक्सपोर्ट होने की बात से खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.
नवीन कृषि मंडी में चंदौली काला चावल समिति के सदस्यों ने जिले में उत्पादित 80 मीट्रिक टन काला धान सुखबीर एग्रो एनर्जी लिमिटेड गाजीपुर को 85 रुपये किलो की दर से विक्रय किया. सोमवार को आयोजित कार्यक्रम के तहत कमिश्नर द्वारा काले धान से लोड ट्रकों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया. साथ ही उन्होंने सुखबीर एग्रो लिमिटेड से प्राप्त धनराशि 68 लाख रुपये का डेमो चेक समिति के सदस्यों को प्रदान किया.
कमिश्नर वाराणसी ने की सराहना
कमिश्नर वाराणसी ने चंदौली के किसानों, कृषि विभाग और जिला प्रशासन की सराहना करते हुए आगामी खरीफ वर्ष 2020 के लिए शुभकामनाएं दीं. साथ ही बताया कि सुखबीर एग्रो लिमिटेड क्रय किए गए इन काले धान से निर्मित काले चावल को ऑस्ट्रेलिया में निर्यात करेगा. उन्होंने कृषकों को आश्वासन दिया की निर्यात की मांग के आधार पर अगले वित्तीय वर्ष में गुणवत्तापूर्ण धान और अधिक मूल्य पर क्रय किया जाएगा. काला चावल की आकर्षक पैकेजिंग कराई जाएगी. ताकि इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी उतारा जा सके.
किसान स्वयं कर सकेंगे ट्रेडिंग
कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने कहा कि इस डील के बाद देश और विदेश में काला चावल निर्यातक के रूप में चंदौली को एक अलग पहचान मिलेगी. खरीफ सीजन में समुचित प्रशिक्षण लेकर किसान अधिक से अधिक काला धान की खेती करें. उन्होंने किसानों को भरोसा दिलाया कि आगे आने वाले समय में किसानों द्वारा खरीदारों को खुद विक्रय किया जा सकेगा. इसमें कहीं भी बिचौलियों की भूमिका नहीं होगी. इससे किसानों को सीधे लाभ मिलेगा. इस दिशा में प्रशासन द्वारा प्रयास जारी है. काला चावल निर्यातक के लिए एक सशक्त समिति बनाएं और अच्छी गुणवत्ता वाले चावल के निर्यात में आगे आये.
किसानों को दिया जाएगा प्रशिक्षण
चंदौली में उत्पादित काला धान का सफलतापूर्वक विक्रय किया जा रहा है. इसकी निरंतरता बनी रहे, इसके लिए समय-समय पर कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा किसानों से संपर्क कर प्रशिक्षण दिया जाए. ताकि अन्य किसान काला धान की फसल लगाकर अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकें. साथ ही ब्लैक गुणवत्ता भी बनी रहे.
इस सीजन 500 हेक्टेयर खेती का लक्ष्य
एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट चन्दौली में 2 साल पूर्व अभिनव प्रयोग के तौर पर 30 प्रगतिशील किसानों से इसकी शुरुआत की गई थी. जो दूसरे साल ढाई सौ हेक्टेयर में तब्दील हो गई. लेकिन अब इसकी सफलता को देखते हुए आगामी सीजन में ब्लैक राइस की खेती 500 हेक्टेयर में करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. यह उत्पादन पूर्णतया जैविक और गुणवत्तापूर्ण बनी रहे, इसके लिए किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा.
एक्सपोर्ट होने से किसान गदगद
ब्लैक राइस का उचित दाम मिलने के साथ ही विदेशों में एक्सपोर्ट होने से चंदौली के किसान न सिर्फ उत्साहित हैं, बल्कि बेहद खुश हैं. उन्होंने कहा कि आर्थिक फायदे के साथ-साथ ब्लैक राइस प्रदेश-देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी जानी जाएगी. जो चंदौली के किसानों के लिए गौरवान्वित करने वाला पल है.
औषधीय गुणों से परिपूर्ण है ब्लैक राइस
ब्लैक राइस को सुगर फ्री चावल भी कहा जाता है, जो कि औषधीय गुणों से भरपूर है. इस चावल में प्रोटीन और एंटी ऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. वहीं फैट की मात्रा बेहद कम है, जिससे यह मधुमेह, कैंसर, हृदय संबंधी रोगों में फायदेमंद होता है.
अभिनव प्रयोग के तौर पर हुई थी शुरुआत
चन्दौली को एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट की सूची में शामिल किए जाने के बाद तत्कालीन केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने ब्लैक राइस की खेती का सुझाव दिया था. इसे अमल में लाते हुए मणिपुर से इसके लिए बीज मंगाई गई और इसकी खेती कराई गई. क्रॉप कटिंग के दौरान इंटरनेशनल राइस रिसर्च सेंटर की टीम ने इसका निरीक्षण किया और इसके उत्पाद की सराहना की थी.
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