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चंदौली: बुजुर्ग की मौत से गुस्साए ग्रामीणों का हंगामा, प्रशासन पर लगाया ये आरोप - झन्मेजय सिंह एडवोकेट

चंदौली में बुजुर्ग की मौत से गुस्साए ग्रामीणों ने सड़क पर शव रखकर धरना प्रदर्शन किया. ग्रामीणों का आरोप है कि खराब सड़क के चलते बुजुर्ग दुर्घटना में घायल हो गए और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.

ग्रामीणों का हंगामा.
ग्रामीणों का हंगामा.
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Published : Oct 14, 2021, 1:17 PM IST

चंदौली: मुख्यालय से सटे बरठा–पुरवां संपर्क मार्ग निर्माण को लेकर ग्रामीणों व जिला प्रशासन के बीच चल रही खींचतान के बीच एक व्यक्ति की जान चली गई. वृद्ध शेर बहादुर सिंह 3 अक्टूबर को बाइक से अपने गांव पुरवां जा रहे थे. तभी संपर्क मार्ग के अनिर्मित हिस्से में गड्ढे में गिर गए. जिससे उनके कुल्हे व आंत में गंभीर चोट आई थी. उन्हें इलाज के लिए वाराणसी में भर्ती कराया गया. जहां गुरुवार को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.

मौत से गुस्साए ग्रामीणों ने मुख्यालय स्थित धरना स्थल पर शव रखकर जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. धरना–प्रदर्शन की सूचना भारी फोर्स पहुंच गई. साथ ही नायब तहसीलदार ध्रूवेस कुमार भी मौके पर पहुंच गए. उन्होंने ग्रामीणों से शव का अंतिम संस्कार करने की गुजारिश की. साथ ही खस्ताहाल सड़क को दुरुस्त करवाने का आश्वासन दिया. जिसपर ग्रामीणों ने सहमति जताई और धरने को समाप्त किया.

झन्मेजय सिंह एडवोकेट ने बुजुर्ग की मौत के लिए जिला प्रशासन व उसकी जनविरोधी कार्य प्रणाली को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि यदि समय रहते ग्रामीणों की मांग पर सड़क का निर्माण करा दिया गया होता तो पुरवा निवासी शेर बहादुर सिंह को अपनी जान नहीं गंवानी पड़ती. उनकी मौत के लिए जिला प्रशासन व सड़क निर्माण कार्य रोकने वाले कतिपय दबंग व उनके सहयोगी जनप्रतिनिधि पूरी तरह से जिम्मेदार हैं. अब किसी भी हाल में सड़क निर्माण में उदासीनता व लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. यदि अगले दिन से सड़क बननी शुरू नहीं हुई तो ग्रामीण अगला कदम उठाएंगे. आरोप लगाया कि जिला प्रशासन कतिपय दबंगों के आगे पूरी तरह से झूक चुका है. जिला प्रशासन द्वारा भूमाफियाओं को सह दिया जा रहा है‚ जिससे जमीन संबंधित विवाद बढ़ रहे हैं.

इसे भी पढ़ें - शव रखकर प्रदर्शन कर रहे परिजनों को समझाने पहुंचे राजा भैया

चंदौली: मुख्यालय से सटे बरठा–पुरवां संपर्क मार्ग निर्माण को लेकर ग्रामीणों व जिला प्रशासन के बीच चल रही खींचतान के बीच एक व्यक्ति की जान चली गई. वृद्ध शेर बहादुर सिंह 3 अक्टूबर को बाइक से अपने गांव पुरवां जा रहे थे. तभी संपर्क मार्ग के अनिर्मित हिस्से में गड्ढे में गिर गए. जिससे उनके कुल्हे व आंत में गंभीर चोट आई थी. उन्हें इलाज के लिए वाराणसी में भर्ती कराया गया. जहां गुरुवार को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.

मौत से गुस्साए ग्रामीणों ने मुख्यालय स्थित धरना स्थल पर शव रखकर जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. धरना–प्रदर्शन की सूचना भारी फोर्स पहुंच गई. साथ ही नायब तहसीलदार ध्रूवेस कुमार भी मौके पर पहुंच गए. उन्होंने ग्रामीणों से शव का अंतिम संस्कार करने की गुजारिश की. साथ ही खस्ताहाल सड़क को दुरुस्त करवाने का आश्वासन दिया. जिसपर ग्रामीणों ने सहमति जताई और धरने को समाप्त किया.

झन्मेजय सिंह एडवोकेट ने बुजुर्ग की मौत के लिए जिला प्रशासन व उसकी जनविरोधी कार्य प्रणाली को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि यदि समय रहते ग्रामीणों की मांग पर सड़क का निर्माण करा दिया गया होता तो पुरवा निवासी शेर बहादुर सिंह को अपनी जान नहीं गंवानी पड़ती. उनकी मौत के लिए जिला प्रशासन व सड़क निर्माण कार्य रोकने वाले कतिपय दबंग व उनके सहयोगी जनप्रतिनिधि पूरी तरह से जिम्मेदार हैं. अब किसी भी हाल में सड़क निर्माण में उदासीनता व लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. यदि अगले दिन से सड़क बननी शुरू नहीं हुई तो ग्रामीण अगला कदम उठाएंगे. आरोप लगाया कि जिला प्रशासन कतिपय दबंगों के आगे पूरी तरह से झूक चुका है. जिला प्रशासन द्वारा भूमाफियाओं को सह दिया जा रहा है‚ जिससे जमीन संबंधित विवाद बढ़ रहे हैं.

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