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चंदौलीः एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग के शोध छात्र ने आविष्कार किया माइक्रोकंट्रोलर ऑटोमेटिक नल

यूपी के चंदौली जिले में एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग के शोध छात्र ने ऑटोमेटिक माइक्रोकंट्रोलर नल का आविष्कार किया है. शोध छात्र अभिषेक का कहना है कि इसे आसानी से किसी भी पुराने नल की जगह लगाया जा सकता है. साथ ही यह बाजार में सस्ते दामों पर भी उपलब्ध होगी.

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शोध छात्र ने आविष्कार किया माइक्रोकंट्रोलर ऑटोमेटिक नल.
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Published : Oct 17, 2020, 12:04 AM IST

चंदौलीः एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग के शोध छात्र अभिषेक कुमार ने कोरोना वायरस से लड़ने और पानी बचाने के लिए एक खास किस्म का ऑटोमेटिक माइक्रोकंट्रोलर आधारित नल तैयार किया है. इसे बहुत ही आसानी से किसी भी पुराने नल की जगह लगाया जा सकता है. अभिषेक का कहना है कि बाजार में पहले से उपलब्ध इस तरह की तकनीक से यह बेहद सस्ती है, जिसका फाइल भी पेटेंट किया जा चुका है और उद्यमी संपर्क भी कर रहे हैं.

1000 रुपये में हो जाता है तैयार
अभिषेक के मुताबिक, पहले से मौजूद इस तरीके के ऑटोमेटिक नलों के मुकाबले यह काफी सस्ता है. बाजार में इस तरह की तकनीक 5 से 10 हजार रुपये में उपलब्ध है, जबकि उनके द्वारा तैयार किया गया यह नल महज 1000 रुपये में ही तैयार हो जाएगा. इसे वॉश बेसिन और हैंड सेनीटाइजर के रूप में बखूबी इस्तेमाल किया जा सकता है.

शोध छात्र ने आविष्कार किया.
बेहद कम बिजली की खपत
इस ऑटोमेटिक नल को चलाने के लिए 5 वॉट से भी कम बिजली लगती है. इस उपकरण को घर की बिजली से dc-ac, 12 वोल्ट की बैटरी से या मिनी इनवर्टर से भी चला सकते हैं. कोरोना संक्रमण काल में इसका उपयोग सुरक्षा के लिए तो होगा ही साथ ही साथ इससे हमें साफ पानी की बचत भी रहेगी. इस स्वचालित नल का प्रयोग जरूरत के मुताबिक स्कूल, अस्पतालों, रेलवे स्टेशन समेत अन्य सार्वजनिक स्थानों पर किया जा सकता है.

अल्ट्रासोनिक सेंसर पर करता है काम
अभिषेक के मुताबिक, यह ऑटोमेटिक नल अल्ट्रासोनिक सेंसर तकनीक पर काम करता है. जैसे ही किसी वस्तु या हाथ को नल के नीचे ले जाएंगे, पानी देने लगेगा. इस प्रकार बिना नल को छुए अपने हाथों की सफाई कर पाएंगे. इसमें लगे खास किस्म के सेंसर के नीचे हाथ रखते ही एक्टिव मोड में आ जाता है और पानी देना शुरू कर देगा.

अल्ट्रा रेज भी है कारगर
यही नहीं इन्होंने माइक्रो कंट्रोलर सिस्टम की मदद से एल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर भी बनाया है. अल्ट्रा रेज टेक्निक के सहारे यह काम करती है. जैसे ही कोई व्यक्ति इसके सामने अपना हाथ ले जाएगा. सेंसर एक्टिव होकर हाथों पर स्प्रे करना शुरू कर देगा और बिना छुए हाथ सैनिटाइज हो जाएगा. साथ ही हाथ हटाते ही यह बंद हो जाएगी. ऐसे में कोरोना से बचाव के साथ ही पानी की भी बचत होगी.

करा लिया इंडियन पेटेंट
शोध छात्र अभिषेक ने इन दोनों ऑटोमेटिक सिस्टम को इंडियन पेटेंट भी करा लिया है. इसके बाद उद्यमी इनसे संपर्क साध रहे हैं, लेकिन अभिषेक फिलहाल अपनी पीएचडी कंप्लीट करने में जुटे हैं. अभिषेक ने एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में बीटेक और एमटेक किया है. इसके बाद वर्धा यूनिवर्सिटी भोपाल से पीएचडी की पढ़ाई कर रहे हैं. उन्होंने गेट, नेट और जेआरएफ और अन्य राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भी अच्छी रैंक हासिल की है.

लॉकडाउन के दौरान किया तैयार
इस इन्वेंशन की खास बात यह है कि अभिषेक ने इस तकनीक को कोरोना काल में ही तैयार किया है. लॉकडाउन के दौरान आपदा को अवसर में बदलते हुए मेक इन इंडिया की तर्ज पर यह सेंसर युक्त ऑटोमेटिक नल बनाया, जिसका पिछले 3 महीने से वह खुद इस्तेमाल भी कर रहे हैं.

किताबी ज्ञान को प्रैक्टिकल में बदलें
अभिषेक ने ईटीवी भारत से बात करते हुए देश के युवाओं से आह्वान किया कि सिर्फ किताब पढ़ कर परीक्षा पास न करें. बल्कि जिन सिद्धांतों को वे पढ़ें. उनका जीवन में प्रैक्टिल इस्तेमाल करने पर भी जोर दें. इससे मेक इन इंडिया की तर्ज पर देश का तकनीकी विकास भी होगा और स्वरोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.

चंदौलीः एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग के शोध छात्र अभिषेक कुमार ने कोरोना वायरस से लड़ने और पानी बचाने के लिए एक खास किस्म का ऑटोमेटिक माइक्रोकंट्रोलर आधारित नल तैयार किया है. इसे बहुत ही आसानी से किसी भी पुराने नल की जगह लगाया जा सकता है. अभिषेक का कहना है कि बाजार में पहले से उपलब्ध इस तरह की तकनीक से यह बेहद सस्ती है, जिसका फाइल भी पेटेंट किया जा चुका है और उद्यमी संपर्क भी कर रहे हैं.

1000 रुपये में हो जाता है तैयार
अभिषेक के मुताबिक, पहले से मौजूद इस तरीके के ऑटोमेटिक नलों के मुकाबले यह काफी सस्ता है. बाजार में इस तरह की तकनीक 5 से 10 हजार रुपये में उपलब्ध है, जबकि उनके द्वारा तैयार किया गया यह नल महज 1000 रुपये में ही तैयार हो जाएगा. इसे वॉश बेसिन और हैंड सेनीटाइजर के रूप में बखूबी इस्तेमाल किया जा सकता है.

शोध छात्र ने आविष्कार किया.
बेहद कम बिजली की खपत
इस ऑटोमेटिक नल को चलाने के लिए 5 वॉट से भी कम बिजली लगती है. इस उपकरण को घर की बिजली से dc-ac, 12 वोल्ट की बैटरी से या मिनी इनवर्टर से भी चला सकते हैं. कोरोना संक्रमण काल में इसका उपयोग सुरक्षा के लिए तो होगा ही साथ ही साथ इससे हमें साफ पानी की बचत भी रहेगी. इस स्वचालित नल का प्रयोग जरूरत के मुताबिक स्कूल, अस्पतालों, रेलवे स्टेशन समेत अन्य सार्वजनिक स्थानों पर किया जा सकता है.

अल्ट्रासोनिक सेंसर पर करता है काम
अभिषेक के मुताबिक, यह ऑटोमेटिक नल अल्ट्रासोनिक सेंसर तकनीक पर काम करता है. जैसे ही किसी वस्तु या हाथ को नल के नीचे ले जाएंगे, पानी देने लगेगा. इस प्रकार बिना नल को छुए अपने हाथों की सफाई कर पाएंगे. इसमें लगे खास किस्म के सेंसर के नीचे हाथ रखते ही एक्टिव मोड में आ जाता है और पानी देना शुरू कर देगा.

अल्ट्रा रेज भी है कारगर
यही नहीं इन्होंने माइक्रो कंट्रोलर सिस्टम की मदद से एल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर भी बनाया है. अल्ट्रा रेज टेक्निक के सहारे यह काम करती है. जैसे ही कोई व्यक्ति इसके सामने अपना हाथ ले जाएगा. सेंसर एक्टिव होकर हाथों पर स्प्रे करना शुरू कर देगा और बिना छुए हाथ सैनिटाइज हो जाएगा. साथ ही हाथ हटाते ही यह बंद हो जाएगी. ऐसे में कोरोना से बचाव के साथ ही पानी की भी बचत होगी.

करा लिया इंडियन पेटेंट
शोध छात्र अभिषेक ने इन दोनों ऑटोमेटिक सिस्टम को इंडियन पेटेंट भी करा लिया है. इसके बाद उद्यमी इनसे संपर्क साध रहे हैं, लेकिन अभिषेक फिलहाल अपनी पीएचडी कंप्लीट करने में जुटे हैं. अभिषेक ने एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में बीटेक और एमटेक किया है. इसके बाद वर्धा यूनिवर्सिटी भोपाल से पीएचडी की पढ़ाई कर रहे हैं. उन्होंने गेट, नेट और जेआरएफ और अन्य राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भी अच्छी रैंक हासिल की है.

लॉकडाउन के दौरान किया तैयार
इस इन्वेंशन की खास बात यह है कि अभिषेक ने इस तकनीक को कोरोना काल में ही तैयार किया है. लॉकडाउन के दौरान आपदा को अवसर में बदलते हुए मेक इन इंडिया की तर्ज पर यह सेंसर युक्त ऑटोमेटिक नल बनाया, जिसका पिछले 3 महीने से वह खुद इस्तेमाल भी कर रहे हैं.

किताबी ज्ञान को प्रैक्टिकल में बदलें
अभिषेक ने ईटीवी भारत से बात करते हुए देश के युवाओं से आह्वान किया कि सिर्फ किताब पढ़ कर परीक्षा पास न करें. बल्कि जिन सिद्धांतों को वे पढ़ें. उनका जीवन में प्रैक्टिल इस्तेमाल करने पर भी जोर दें. इससे मेक इन इंडिया की तर्ज पर देश का तकनीकी विकास भी होगा और स्वरोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.

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