चंदौली: श्री रामजन्म भूमि की आधारशिला पूजन कार्यक्रम के प्रमुख आचार्य रहे चंदौली जिले के आचार्य जयप्रकाश त्रिपाठी ने भूमि पूजन के अपने अनुभव साझा किए. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को पूजन कराया और इस ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन के साक्षी बने. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत से अपने अनुभव को साझा किया और प्रधानमंत्री को सच्चा राम भक्त बताया.
राम मंदिर भूमि पूजन में शामिल आचार्य जयप्रकाश ने PM मोदी को बताया सच्चा रामभक्त
5 अगस्त को अयोध्या में हुए राम जन्मभूमि पूजन में सम्मिलित आचार्य जयप्रकाश त्रिपाठी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सच्चा राम भक्त बताया. उन्होंने भूमि पूजन के अनुभव साझा करते हुए बताया कि उस पल की कल्पना हम लोगों ने नहीं की थी.
आचार्य जयप्रकाश त्रिपाठी से खास बातचीत.
चंदौली: श्री रामजन्म भूमि की आधारशिला पूजन कार्यक्रम के प्रमुख आचार्य रहे चंदौली जिले के आचार्य जयप्रकाश त्रिपाठी ने भूमि पूजन के अपने अनुभव साझा किए. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को पूजन कराया और इस ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन के साक्षी बने. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत से अपने अनुभव को साझा किया और प्रधानमंत्री को सच्चा राम भक्त बताया.
आचार्य जयप्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि यहां शामिल होने का उनका जो अनुभव था. उसकी हमलोगों ने कभी कल्पना भी नहीं की थी. इस क्षण का हम लोगों ने भरपूर आनंद लिया और भगवान के प्रति हम लोगों का आचरण से, ज्ञान से उसका पूरा भरपूर आनंद मिला.
9 शिलाओं का पूजन किया गया
उन्होंने बताया कि जहां भूमि पूजन करना था. वहां गणेश और अंबिका का पूजन अर्चन किया और सभी 9 शिलाओं का पूजन किया गया. इसके बाद जो गर्त है, जहां पर शिला स्थापित करना था. वहां पर गणेश और शेषनाग, वाराह और कुर्म भगवान का आह्वान कर उनका पूजन किया गया. मध्य में पृथ्वी देवी की पूजन के पश्चात उपशिला रखी गई. इसके ऊपर 9 कलशों को स्थापित किया गया.आचार्य जयप्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि मोदी जी को तो सिर्फ शिला प्रतिष्ठित करना था. पीएम मोदी आए और उन्होंने देश के प्रतिनिधि के रूप में संकल्प लिया. संकल्प करने के पश्चात शिला का पूजन-अर्चन किया. इसके बाद विधि विधान से सभी ब्राह्मणों ने वैदिक मंत्रोच्चार (एताः शिलाहः शुभ प्रतिष्ठितः संतु) के साथ ही प्राण प्रतिष्ठा कर शिला को वहां प्रतिष्ठित कर आधारशिला पूजन को पूर्ण कर लिया गया.
शुभ मुहूर्त में हुआ शिला प्रतिष्ठित
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के धार्मिक गुरु की तरफ से निकाले गए शुभ मुहूर्त में ही शिला प्रतिष्ठित की गई. शुभ मुहूर्त मात्र 32 सेकंड का ही था. 12 बजकर 44 मिनट 8 सेकंड से लेकर 12 बजकर 44 मिनट 40 सेकंड तक के बीच में ही तय मुहूर्त में पीएम मोदी ने आधारशिला प्रतिस्थापित करनी थी और इसी तय मुहूर्त में शिला प्रतिष्ठापित की गई.
मोदी अच्छे रामभक्त
इस धार्मिक अनुष्ठान के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के व्यवहार कुशलता को देखते हुए उन्होंने बताया कि वे न सिर्फ अच्छे राजनैतिक व्यक्ति हैं, बल्कि एक अच्छे राम भक्त भी हैं. देशवासियों का सौभाग्य है कि उन्हें एक सुसंस्कारित व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति प्रधानमंत्री के रूप में मिले हैं. उन्हें संस्कृति का भी अच्छा ज्ञान है और पौराणिक ज्ञान भी. साथ ही वह आधुनिकता के भी ज्ञानी हैं.
मोदी को धार्मिक संस्कृति का भी है ज्ञान
उन्होंने बताया कि हम लोगों ने अब तक किसी भी राजनीतिक व्यक्ति को इस तरह साष्टांग प्रणाम करते नहीं देखा. संस्कृति के अनुरूप पोशाक धारण करना, धार्मिक मान्यता के अनुसार सिल्क की पीताम्बर पहनकर दुपट्टा लेकर पूरे चित्त मन से वे बैठे थे. प्रधानमंत्री मोदी को पूजन प्रक्रिया का भी पूरा ज्ञान और ध्यान है. उन्हें वैदिक मंत्रों की जानकारी है. क्योंकि वहां बैठे ब्राह्मणों और आचार्य के साथ मोदी भी मध्यम-मध्यम मंत्रोच्चारण कर रहे थे. यह सौभाग्य की बात है कि जब ब्राह्मण और जजमान दोनों ही समान हों. ऐसे पूजन से महत्व बढ़ जाता है.
राम-लक्ष्मण की जोड़ी की तरह मोदी और योगी
आचार्य ने बताया कि शिलापूजन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ही नहीं, बल्कि योगी भी पूरी तरह से पूजन में लीन दिखे. या यूं कहें कि श्री राम जन्मभूमि परिसर में खुद राम-लक्ष्मण की जोड़ी मौजूद है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.
धार्मिक आयोजन में शामिल होना ही अनमोल दक्षिणा है
कहते हैं कि बिना दक्षिणा के पूजन पूरा नहीं होता है? इस सवाल पर आचार्य जयप्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि जहां प्रधानमंत्री मोदी जैसे यशस्वी सम्राट खुद बैठे हों और जिस देश के हम निवासी हैं, यही हम लोगों के लिए गौरव की बात है. ऐसे ऐतिहासिक पल का साक्षी होना, ऐसे धार्मिक आयोजन में सहभागी होना ही सौभाग्यशाली होना है. यही हम लोगों के लिए दक्षिणा के समान है. इससे बहुमूल्य तो कुछ और हो भी नहीं सकता.इस ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन के साक्षी बनने और आचार्य के रूप में सम्मिलित होने पर खुद को सौभाग्यशाली बताते हुए आचार्य न कहा कि इससे जो आत्मीय खुशी मिली है, इसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है. आचार्य ने कहा कि इस धार्मिक आयोजन में सम्मिलित होकर उनका जीवन धन्य हो गया.
आचार्य जयप्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि यहां शामिल होने का उनका जो अनुभव था. उसकी हमलोगों ने कभी कल्पना भी नहीं की थी. इस क्षण का हम लोगों ने भरपूर आनंद लिया और भगवान के प्रति हम लोगों का आचरण से, ज्ञान से उसका पूरा भरपूर आनंद मिला.
9 शिलाओं का पूजन किया गया
उन्होंने बताया कि जहां भूमि पूजन करना था. वहां गणेश और अंबिका का पूजन अर्चन किया और सभी 9 शिलाओं का पूजन किया गया. इसके बाद जो गर्त है, जहां पर शिला स्थापित करना था. वहां पर गणेश और शेषनाग, वाराह और कुर्म भगवान का आह्वान कर उनका पूजन किया गया. मध्य में पृथ्वी देवी की पूजन के पश्चात उपशिला रखी गई. इसके ऊपर 9 कलशों को स्थापित किया गया.आचार्य जयप्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि मोदी जी को तो सिर्फ शिला प्रतिष्ठित करना था. पीएम मोदी आए और उन्होंने देश के प्रतिनिधि के रूप में संकल्प लिया. संकल्प करने के पश्चात शिला का पूजन-अर्चन किया. इसके बाद विधि विधान से सभी ब्राह्मणों ने वैदिक मंत्रोच्चार (एताः शिलाहः शुभ प्रतिष्ठितः संतु) के साथ ही प्राण प्रतिष्ठा कर शिला को वहां प्रतिष्ठित कर आधारशिला पूजन को पूर्ण कर लिया गया.
शुभ मुहूर्त में हुआ शिला प्रतिष्ठित
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के धार्मिक गुरु की तरफ से निकाले गए शुभ मुहूर्त में ही शिला प्रतिष्ठित की गई. शुभ मुहूर्त मात्र 32 सेकंड का ही था. 12 बजकर 44 मिनट 8 सेकंड से लेकर 12 बजकर 44 मिनट 40 सेकंड तक के बीच में ही तय मुहूर्त में पीएम मोदी ने आधारशिला प्रतिस्थापित करनी थी और इसी तय मुहूर्त में शिला प्रतिष्ठापित की गई.
मोदी अच्छे रामभक्त
इस धार्मिक अनुष्ठान के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के व्यवहार कुशलता को देखते हुए उन्होंने बताया कि वे न सिर्फ अच्छे राजनैतिक व्यक्ति हैं, बल्कि एक अच्छे राम भक्त भी हैं. देशवासियों का सौभाग्य है कि उन्हें एक सुसंस्कारित व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति प्रधानमंत्री के रूप में मिले हैं. उन्हें संस्कृति का भी अच्छा ज्ञान है और पौराणिक ज्ञान भी. साथ ही वह आधुनिकता के भी ज्ञानी हैं.
मोदी को धार्मिक संस्कृति का भी है ज्ञान
उन्होंने बताया कि हम लोगों ने अब तक किसी भी राजनीतिक व्यक्ति को इस तरह साष्टांग प्रणाम करते नहीं देखा. संस्कृति के अनुरूप पोशाक धारण करना, धार्मिक मान्यता के अनुसार सिल्क की पीताम्बर पहनकर दुपट्टा लेकर पूरे चित्त मन से वे बैठे थे. प्रधानमंत्री मोदी को पूजन प्रक्रिया का भी पूरा ज्ञान और ध्यान है. उन्हें वैदिक मंत्रों की जानकारी है. क्योंकि वहां बैठे ब्राह्मणों और आचार्य के साथ मोदी भी मध्यम-मध्यम मंत्रोच्चारण कर रहे थे. यह सौभाग्य की बात है कि जब ब्राह्मण और जजमान दोनों ही समान हों. ऐसे पूजन से महत्व बढ़ जाता है.
राम-लक्ष्मण की जोड़ी की तरह मोदी और योगी
आचार्य ने बताया कि शिलापूजन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ही नहीं, बल्कि योगी भी पूरी तरह से पूजन में लीन दिखे. या यूं कहें कि श्री राम जन्मभूमि परिसर में खुद राम-लक्ष्मण की जोड़ी मौजूद है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.
धार्मिक आयोजन में शामिल होना ही अनमोल दक्षिणा है
कहते हैं कि बिना दक्षिणा के पूजन पूरा नहीं होता है? इस सवाल पर आचार्य जयप्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि जहां प्रधानमंत्री मोदी जैसे यशस्वी सम्राट खुद बैठे हों और जिस देश के हम निवासी हैं, यही हम लोगों के लिए गौरव की बात है. ऐसे ऐतिहासिक पल का साक्षी होना, ऐसे धार्मिक आयोजन में सहभागी होना ही सौभाग्यशाली होना है. यही हम लोगों के लिए दक्षिणा के समान है. इससे बहुमूल्य तो कुछ और हो भी नहीं सकता.इस ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन के साक्षी बनने और आचार्य के रूप में सम्मिलित होने पर खुद को सौभाग्यशाली बताते हुए आचार्य न कहा कि इससे जो आत्मीय खुशी मिली है, इसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है. आचार्य ने कहा कि इस धार्मिक आयोजन में सम्मिलित होकर उनका जीवन धन्य हो गया.
Last Updated : Aug 7, 2020, 3:38 PM IST