मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश के अधिकांश जनपदों में पुलिस की मदद के लिए डॉग स्क्वाड तैनात किया गया है. हत्या, लूट, डकैती के साथ संदिग्ध वस्तुओं की तलाशी और लावारिश सामानों की जांच के लिए अक्सर पुलिस अपने डॉग स्क्वाड की मदद लेती है.
उत्तर प्रदेश पुलिस के डॉग स्क्वाड को प्रदेश में कोई प्रशिक्षण संस्थान न होने के चलते सेना और पैरामिलिट्री के प्रशिक्षण संस्थानों में ट्रेनिंग दिलाई जाती है. डॉग स्क्वाड से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक अगर अपना प्रशिक्षण संस्थान हो तो डॉग स्क्वाड ज्यादा बेहतर काम कर सकता है.
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सुबह से शाम तक ट्रेनिंग करने के बाद अपराधियों की पहचान के लिए तैयार डॉग स्क्वाड को कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ता है. डॉग स्क्वाड में तैनात कुत्तों के प्रशिक्षण के लिए अभी तक उत्तर प्रदेश में कोई भी प्रशिक्षण संस्थान नहीं है, जिसके चलते पुलिस को इनकी ट्रेनिंग के लिए सेना और पैरा मिलिट्री फोर्स पर निर्भर रहना पड़ता है.
जांबाज बेजुबानों को दी जाती है आधुनिक ट्रेनिंग
नौ से बारह महीने तक कि ट्रेनिंग के बाद ट्रेंड कुत्तों को डॉग स्क्वाड में शामिल किया जाता है. इनके साथ इन्हें कमांड देने के लिए मास्टर ट्रेनर भी होते है, जो इनका पूरा ख्याल रखते है. अपराध के बदलते तरीकों के बाद डॉग स्क्वाड के इन जांबाज बेजुबानों को आधुनिक ट्रेनिंग के लिए समय-समय पर दोबारा सेना के पास भेजा जाता है. जानकारों के मुताबिक बेहतर प्रशिक्षण से डॉग स्क्वाड अपराधों के खुलासे में बड़ा मददगार साबित हो सकता है.