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मुरादाबाद: प्रशिक्षण संस्थान की कमी से जूझ रहा उत्तर प्रदेश पुलिस का डॉग स्क्वाड - मुरादाबाद समाचार

उत्तर प्रदेश में पुलिस के डॉग स्क्वाड को प्रशिक्षण देने के लिए कोई संस्थान नहीं है. डॉग स्क्वाड को सेना और पैरामिलिट्री के प्रशिक्षण संस्थानों में ट्रेनिंग दिलाई जाती है.

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डॉग स्क्वायड के जांबाज कुत्ता.
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Published : Dec 17, 2019, 8:05 AM IST

मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश के अधिकांश जनपदों में पुलिस की मदद के लिए डॉग स्क्वाड तैनात किया गया है. हत्या, लूट, डकैती के साथ संदिग्ध वस्तुओं की तलाशी और लावारिश सामानों की जांच के लिए अक्सर पुलिस अपने डॉग स्क्वाड की मदद लेती है.

उत्तर प्रदेश पुलिस के डॉग स्क्वाड को प्रदेश में कोई प्रशिक्षण संस्थान न होने के चलते सेना और पैरामिलिट्री के प्रशिक्षण संस्थानों में ट्रेनिंग दिलाई जाती है. डॉग स्क्वाड से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक अगर अपना प्रशिक्षण संस्थान हो तो डॉग स्क्वाड ज्यादा बेहतर काम कर सकता है.

प्रशिक्षण संस्थान की कमी से जूझ रहा उत्तर प्रदेश पुलिस का डॉग स्क्वायड.
डॉग स्क्वाड के जांबाज कुत्ते
मैदान में संदिग्ध लोगों की पहचान करने से लेकर लावारिश बैग की तलाशी लेते ये उत्तर प्रदेश पुलिस के डॉग स्क्वाड के जांबाज कुत्ते हैं. उत्तर प्रदेश के लगभग पचास जनपदों में तैनात डॉग स्क्वाड आपराधिक वारदातों के बाद मौके पर पहुंचकर सबूत तलाशने का काम करते हैं.

इसे भी पढ़ें:- लखनऊ: CAA को लेकर विरोध-प्रदर्शन के बाद सीएम योगी ने की शांति की अपील, बोले- अफवाहों पर ध्यान न दें

सुबह से शाम तक ट्रेनिंग करने के बाद अपराधियों की पहचान के लिए तैयार डॉग स्क्वाड को कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ता है. डॉग स्क्वाड में तैनात कुत्तों के प्रशिक्षण के लिए अभी तक उत्तर प्रदेश में कोई भी प्रशिक्षण संस्थान नहीं है, जिसके चलते पुलिस को इनकी ट्रेनिंग के लिए सेना और पैरा मिलिट्री फोर्स पर निर्भर रहना पड़ता है.

जांबाज बेजुबानों को दी जाती है आधुनिक ट्रेनिंग
नौ से बारह महीने तक कि ट्रेनिंग के बाद ट्रेंड कुत्तों को डॉग स्क्वाड में शामिल किया जाता है. इनके साथ इन्हें कमांड देने के लिए मास्टर ट्रेनर भी होते है, जो इनका पूरा ख्याल रखते है. अपराध के बदलते तरीकों के बाद डॉग स्क्वाड के इन जांबाज बेजुबानों को आधुनिक ट्रेनिंग के लिए समय-समय पर दोबारा सेना के पास भेजा जाता है. जानकारों के मुताबिक बेहतर प्रशिक्षण से डॉग स्क्वाड अपराधों के खुलासे में बड़ा मददगार साबित हो सकता है.

मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश के अधिकांश जनपदों में पुलिस की मदद के लिए डॉग स्क्वाड तैनात किया गया है. हत्या, लूट, डकैती के साथ संदिग्ध वस्तुओं की तलाशी और लावारिश सामानों की जांच के लिए अक्सर पुलिस अपने डॉग स्क्वाड की मदद लेती है.

उत्तर प्रदेश पुलिस के डॉग स्क्वाड को प्रदेश में कोई प्रशिक्षण संस्थान न होने के चलते सेना और पैरामिलिट्री के प्रशिक्षण संस्थानों में ट्रेनिंग दिलाई जाती है. डॉग स्क्वाड से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक अगर अपना प्रशिक्षण संस्थान हो तो डॉग स्क्वाड ज्यादा बेहतर काम कर सकता है.

प्रशिक्षण संस्थान की कमी से जूझ रहा उत्तर प्रदेश पुलिस का डॉग स्क्वायड.
डॉग स्क्वाड के जांबाज कुत्ते
मैदान में संदिग्ध लोगों की पहचान करने से लेकर लावारिश बैग की तलाशी लेते ये उत्तर प्रदेश पुलिस के डॉग स्क्वाड के जांबाज कुत्ते हैं. उत्तर प्रदेश के लगभग पचास जनपदों में तैनात डॉग स्क्वाड आपराधिक वारदातों के बाद मौके पर पहुंचकर सबूत तलाशने का काम करते हैं.

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सुबह से शाम तक ट्रेनिंग करने के बाद अपराधियों की पहचान के लिए तैयार डॉग स्क्वाड को कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ता है. डॉग स्क्वाड में तैनात कुत्तों के प्रशिक्षण के लिए अभी तक उत्तर प्रदेश में कोई भी प्रशिक्षण संस्थान नहीं है, जिसके चलते पुलिस को इनकी ट्रेनिंग के लिए सेना और पैरा मिलिट्री फोर्स पर निर्भर रहना पड़ता है.

जांबाज बेजुबानों को दी जाती है आधुनिक ट्रेनिंग
नौ से बारह महीने तक कि ट्रेनिंग के बाद ट्रेंड कुत्तों को डॉग स्क्वाड में शामिल किया जाता है. इनके साथ इन्हें कमांड देने के लिए मास्टर ट्रेनर भी होते है, जो इनका पूरा ख्याल रखते है. अपराध के बदलते तरीकों के बाद डॉग स्क्वाड के इन जांबाज बेजुबानों को आधुनिक ट्रेनिंग के लिए समय-समय पर दोबारा सेना के पास भेजा जाता है. जानकारों के मुताबिक बेहतर प्रशिक्षण से डॉग स्क्वाड अपराधों के खुलासे में बड़ा मददगार साबित हो सकता है.

Intro:एंकर: मुरादाबाद: आपराधिक मामलों का खुलासा करने में पुलिस के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाला डॉग स्क्वायड बेहतर प्रशिक्षण संस्थान की कमी से जूझ रहा है. उत्तर प्रदेश के अधिकांश जनपदों में पुलिस की मदद के लिए डॉग स्क्वायड तैनात किया गया है. हत्या,लूट,डकैती के साथ संदिग्ध वस्तुओं की तलाशी और लावारिश सामानों की जांच के लिए अक्सर पुलिस अपने डॉग स्क्वायड की मदद लेती है. उत्तर प्रदेश पुलिस के डॉग स्क्वायड को प्रदेश में कोई प्रशिक्षण संस्थान न होने के चलते सेना और पैरामिलिट्री के प्रशिक्षण संस्थानों में ट्रेनिंग दिलाई जाती है. डॉग स्क्वायड से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक अगर अपना प्रशिक्षण संस्थान हो तो डॉग स्क्वायड ज्यादा बेहतर काम कर सकता है.


Body:वीओ वन: मैदान में संदिग्ध लोगों की पहचान करने से लेकर लावारिश बैग की तलाशी लेते ये है उत्तर प्रदेश पुलिस के डॉग स्क्वायड के जांबाज कुत्ते. उत्तर प्रदेश के लगभग पचास जनपदों में तैनात डॉग स्क्वायड आपराधिक वारदातों के बाद मौके पर पहुंचकर सबूत तलाशने का काम करती है. हत्या, लूट,डकैती जैसे संगीन मामलों में कई बार डॉग स्क्वायड की मदद से खुलासा भी किया जाता रहा है. सुबह से शाम तक ट्रेनिंग करने के बाद अपराधियो की पहचान के लिए तैयार डॉग स्क्वायड को कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ता है. डॉग स्क्वायड में तैनात कुत्तों के प्रशिक्षण के लिए अभी तक उत्तर प्रदेश में कोई भी प्रशिक्षण संस्थान नही है जिसके चलते पुलिस को इनकी ट्रेनिंग के लिए सेना और पैरा मिलिट्री फोर्स पर निर्भर रहना पड़ता है.
बाईट: राजकुमार शर्मा: लॉजिस्टिक सदस्य डीजी कार्यालय

वीओ टू: नौ से बारह महीने तक कि ट्रेनिंग के बाद ट्रेंड कुत्तों को डॉग स्क्वायड में शामिल किया जाता है. इनके साथ इन्हें कमांड देने के लिए मास्टर ट्रेनर भी होते है जो इनका पूरा ख्याल रखते है. अपराध के बदलते तरीकों के बाद डॉग स्क्वायड के इन जांबाज बेजुबानों को आधुनिक ट्रेनिंग के लिए समय समय पर दुबारा सेना के पास भेजा जाता है. अपराधियों द्वारा स्क्वायड में शामिल कुत्ते को भोजन देकर मारने या फिर भौंकने से विस्फोटकों में धमाका होने के चलते अब इन्हें नए तरीके सिखाये जाते है. जानकारों के मुताबिक बेहतर प्रशिक्षण से डॉग स्क्वायड अपराधों के खुलासे में बड़ा मददगार साबित हो सकता है.
बाईट: राजकुमार शर्मा:लॉजिस्टिक सदस्य डीजी कार्यालय


Conclusion:वीओ तीन: कानून व्यवस्था की दृष्टि से अतिसंवेदनशील उत्तर प्रदेश में डॉग स्क्वायड की अपनी अहम भूमिका है. संदिग्धों की तलाशी से लेकर लावारिश सामानों की जांच और विस्फोटकों की जानकारी देने में डॉग स्क्वायड पुलिस का सबसे बड़ा मददगार है. ऐसे में एक अदद प्रशिक्षण संस्थान यूपी पुलिस की इस स्क्वायड को और बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभा सकता है.
भुवन चन्द्र
ईटीवी भारत
मुरादाबाद
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