मुरादाबाद: अगर हौसले बुलंद हो और मंजिल पर निगाह हो तो कोई राह मुश्किल नहीं होती, जी हां इस कहावत को एक बार फिर सही साबित किया है, मुरादाबाद के रहने वाले मोहम्मद जावेद ने. ग्रामीण क्षेत्र में अपना स्कूल चला रहे मोहम्मद जावेद ने लोगों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया और अपने स्कूल के जरिये न सिर्फ बच्चों को बल्कि उनके परिजनों को भी शिक्षित किया. मोहम्मद जावेद के इस प्रयास को सराहते हुए भारत सरकार ने भी उनको पुरुस्कृत किया है साथ ही मोहम्मद जावेद की इस मुहिम को देश भर में लागू करने की सिफारिश भी की है.
मोहम्मद जावेद की एक मुहिम से सैकड़ों निरक्षरों के जीवन में जगी नई उम्मीद
जनपद के कुंदरकी ब्लॉक स्थित लालपुर गंगवारी गांव में रहने वाले मोहम्मद जावेद की एक मुहिम से सैकड़ों निरक्षरों के जीवन में एक नई उम्मीद जग गई. ग्रामीण क्षेत्र में साक्षरता दर कम होने के चलते मोहम्मद जावेद ने अपने स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के जरिये उनके परिजनों को साक्षर करने का सपना देखा और स्कूल में गांव के बुजुर्ग निरक्षरों के लिए विशेष क्लास संचालित की. स्कूल में मिले होमवर्क के जरिये बच्चें अपने बुजुर्गों को भी अपने साथ बैठाकर पढ़ाने लगे, जिसके बाद गांव के कई निरक्षरों के जीवन में ऐसे बदलाव आए, जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी.
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स्कूल में बुजुर्गों ने भी लिया दाखिला
ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा की इस मुहिम के चलते निरक्षरों को नई राह नजर आई तो अन्य गांवों के निरक्षर भी इस मुहिम का हिस्सा बनते नजर आए. बिना किसी सरकारी सहायता के चल रहीं इस मुहिम के जरिये अब तक सैकड़ों महिलाएं और बुजुर्ग साक्षर हो गए है और कई घरों में बच्चे अपने बुजुर्गों को पड़ा रहें है.
साक्षरता की मुहिम चलाने के लिए मो. जावेद को मिला सरकार से सम्मान
साक्षरता के लिए इस विशेष मुहिम को चलाने वाले मोहम्मद जावेद को मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा सम्मानित भी किया गया है और उनकी मुहिम को देश के अन्य राज्यो में एक मॉडल के तौर पर पेश करने की सिफारिश की गई है. मुहम्मद जावेद के मुताबिक शुरुआती दिक्कतों के बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अब वे अपनी इस मुहिम से जनपद के अन्य विद्यालयों को जोड़ने की तैयारी कर रहे हैं.