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महिला दिवस: साइन बोर्ड बनाकर खुद के लिए रोजगार जुटा रहीं ग्रामीण महिलाएं

यूपी के मुरादाबाद जिला मुख्यालय से बारह किलोमीटर दूर मदनीपुर गांव आजकल यहां रहने वाली महिलाओं के प्रयासों से चर्चा में है. देहात क्षेत्र में स्थित इस गांव में महिलाओं ने समूह बनाकर सीमेंट के साइन बोर्ड बनाने का काम शुरू किया है, जिससे वह खुद को आत्मनिर्भर बना रही हैं.

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स्वरोजगार जुटा रहीं महिलाएं.
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Published : Mar 7, 2020, 1:41 PM IST

मुरादाबाद: इंसान मन में कुछ करने की ठान ले तो कोई राह मुश्किल नहीं होती. जी हां कुछ ऐसी ही कहानी है मुरादाबाद जिले के देहात क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं की, जो अपने प्रयासों से लोगों को प्रेरणा दे रही हैं. जिले के मदनीपुर गांव में रहने वाली महिलाओं ने स्वरोजगार के लिए अपना समूह तैयार कर सीमेंट के साइन बोर्ड बनाने का फैसला किया है.

सीमेंट के साइनबोर्ड बनाकर स्वरोजगार जुटा रहीं महिलाएं.

नए ऑर्डर मिलने से खुश हैं महिलाएं

महिलाएं हर रोज खुद इन बोर्डों को तैयार कर रही हैं. ढाई कुंतल वजनी बोर्ड बनाने के लिए सीमेंट बजरी का मिक्सर तैयार करने से लेकर बोर्ड की रंगाई-पुताई तक का काम ये महिलाएं खुद कर रही हैं. शुरुआती दिनों से ही महिलाओं को ऑर्डर भी मिलने लगे थे, जिसके बाद वह बेहद खुश हैं. हालांकि ये काम शुरू करने के वक्त लोगों के ताने भी सुनने पड़े, लेकिन जैसे-जैसे कारोबार में बढ़ोतरी हो रही है, वैसे ग्रामीण इनकी सराहना भी करने लगे हैं.

परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधार रहीं महिलाएं

साइन बोर्ड के जरिये महिलाएं न सिर्फ रोजगार जुटा रहीं है, बल्कि अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को भी सुधार रही हैं. साइन बोर्ड बनाने के लिए सीमेंट-बजरी का मिक्सर तैयार करने से लेकर उसको आकार देने का काम यही महिलाएं करती हैं. साइन बोर्ड को रंगने और उसमें जानकारियां लिखने का काम भी इसी महिला समूह के जिम्मे है. ढाई कुंतल वजनी साइन बोर्ड को पांच हजार रुपये में बेचा जाता है.

भविष्य में बड़े स्तर पर कार्य करने की योजना

राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं को दर्शाते ये बोर्ड ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में नजर आते हैं. महिलाओं के पास कुछ दिन पहले चालीस साइन बोर्ड तैयार करने की डिमांड भी आई है, जिसके बाद यह दोगुने उत्साह से अपने काम में जुटी हैं. देहात क्षेत्र में रहने के चलते घर परिवार की जिम्मेदारी निभाने के बाद महिलाएं एक साथ इस काम को करने में जुटती हैं. कमजोर आर्थिक हालत होने के चलते महिलाएं इस रोजगार से परिवार की आय तो बढ़ा रही हैं. साथ ही भविष्य में बड़े स्तर पर कार्य करने की योजना भी बना रही हैं.

अधिकारियों ने पूर्ण सहयोग का किया वादा

समूह की महिलाओं को अब अपने परिवारों के साथ ग्रामीणों का भी सहयोग हासिल हो रहा है. समूह बनने के बाद अधिकारियों ने भी इनसे पूर्ण सहयोग का वादा किया है. ग्रामीण क्षेत्र में अपने प्रयासों से खुद के लिए रोजगार जुटा रहीं महिलाओं का यह सफर किसी प्रेरणा से कम नहीं है.

मुरादाबाद: इंसान मन में कुछ करने की ठान ले तो कोई राह मुश्किल नहीं होती. जी हां कुछ ऐसी ही कहानी है मुरादाबाद जिले के देहात क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं की, जो अपने प्रयासों से लोगों को प्रेरणा दे रही हैं. जिले के मदनीपुर गांव में रहने वाली महिलाओं ने स्वरोजगार के लिए अपना समूह तैयार कर सीमेंट के साइन बोर्ड बनाने का फैसला किया है.

सीमेंट के साइनबोर्ड बनाकर स्वरोजगार जुटा रहीं महिलाएं.

नए ऑर्डर मिलने से खुश हैं महिलाएं

महिलाएं हर रोज खुद इन बोर्डों को तैयार कर रही हैं. ढाई कुंतल वजनी बोर्ड बनाने के लिए सीमेंट बजरी का मिक्सर तैयार करने से लेकर बोर्ड की रंगाई-पुताई तक का काम ये महिलाएं खुद कर रही हैं. शुरुआती दिनों से ही महिलाओं को ऑर्डर भी मिलने लगे थे, जिसके बाद वह बेहद खुश हैं. हालांकि ये काम शुरू करने के वक्त लोगों के ताने भी सुनने पड़े, लेकिन जैसे-जैसे कारोबार में बढ़ोतरी हो रही है, वैसे ग्रामीण इनकी सराहना भी करने लगे हैं.

परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधार रहीं महिलाएं

साइन बोर्ड के जरिये महिलाएं न सिर्फ रोजगार जुटा रहीं है, बल्कि अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को भी सुधार रही हैं. साइन बोर्ड बनाने के लिए सीमेंट-बजरी का मिक्सर तैयार करने से लेकर उसको आकार देने का काम यही महिलाएं करती हैं. साइन बोर्ड को रंगने और उसमें जानकारियां लिखने का काम भी इसी महिला समूह के जिम्मे है. ढाई कुंतल वजनी साइन बोर्ड को पांच हजार रुपये में बेचा जाता है.

भविष्य में बड़े स्तर पर कार्य करने की योजना

राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं को दर्शाते ये बोर्ड ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में नजर आते हैं. महिलाओं के पास कुछ दिन पहले चालीस साइन बोर्ड तैयार करने की डिमांड भी आई है, जिसके बाद यह दोगुने उत्साह से अपने काम में जुटी हैं. देहात क्षेत्र में रहने के चलते घर परिवार की जिम्मेदारी निभाने के बाद महिलाएं एक साथ इस काम को करने में जुटती हैं. कमजोर आर्थिक हालत होने के चलते महिलाएं इस रोजगार से परिवार की आय तो बढ़ा रही हैं. साथ ही भविष्य में बड़े स्तर पर कार्य करने की योजना भी बना रही हैं.

अधिकारियों ने पूर्ण सहयोग का किया वादा

समूह की महिलाओं को अब अपने परिवारों के साथ ग्रामीणों का भी सहयोग हासिल हो रहा है. समूह बनने के बाद अधिकारियों ने भी इनसे पूर्ण सहयोग का वादा किया है. ग्रामीण क्षेत्र में अपने प्रयासों से खुद के लिए रोजगार जुटा रहीं महिलाओं का यह सफर किसी प्रेरणा से कम नहीं है.

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