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मुरादाबाद: ग्रामीण आजीविका मिशन से प्रवासी मजदूरों को मिलेगा रोजगार

मुरादाबाद जिला प्रशासन ने प्रवासी मजदूरों को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के जरिये रोजगार से जोड़ने की पहल की है. इसमें मजदूरों की पहले कार्यकुशलता पहचानी जाएगी, फिर उसी के आधार पर रोजगार दिया जाएगा.

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सीडीओ मुरादाबाद
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Published : Jun 23, 2020, 6:06 PM IST

मुरादाबाद: कोविड-19 से जहां कारोबारी गतिविधियां ठप हुई हैं, वहीं रोजगार सबसे बड़ी जरूरत बन गया है. शहरों से पलायन कर प्रवासी मजदूर अपने घर वापस आ गए, लेकिन रोजगार न होने के चलते उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. जिले में वापस लौटे 12 हजार प्रवासी मजदूरों को प्रशासन ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के जरिये रोजगार देने की पहल की है. मजदूरों की पहचान का कार्य पूरा होने के बाद अब उन्हें स्वयं सहायता समूहों से जोड़कर उनकी कार्य कुशलता के आधार पर रोजगार देने का प्रयास चल रहा है. जनपद में लगभग तीन हजार स्वयं सहायता समूह हैं, जिन्हें प्रशिक्षण देने के बाद रोजगार से जोड़ा गया है.

समूहों को रोजगार देने के लिए प्रशासन ने इस साल बेसिक स्कूलों के छात्रों की लगभग एक लाख साठ हजार स्कूली ड्रेस सिलाने का काम इन समूहों को दिया है. जिला विकास अधिकारी एसके उपाध्याय के मुताबिक 150 लोगों को वर्तमान में सिलाई का प्रशिक्षण देकर उन्हें स्कूली ड्रेस तैयार करने का काम दिया जाएगा.

जिला विकास अधिकारी के मुताबिक जनपद में अभी तक 12666 प्रवासी मजदूरों की पहचान की गई है. साथ ही इनकी कार्य कुशलता और शिक्षा का डाटा भी जमा कर लिया गया है. प्रशासन इन प्रवासी मजदूरों को सहायता समूहों से जोड़कर इनकी इच्छानुसार कार्य तलाश कर रहा है. सहायता समूहों के जरिये इनसे सिलाई-कड़ाई, फलों का आचार, मुरब्बा बनाने, एलईडी बल्ब बनाने, जैविक खाद तैयार करने जैसे कामों में रोजगार की संभावना तलाशी जा रही है. जिला प्रशासन ने 12 विभागों से प्रवासी मजदूरों के रोजगार के लिए कार्ययोजना तैयार करने को कहा है, जिसके बाद सहायता समूहों के जरिये रोजगार की कार्य योजना तैयार कर जिलाधिकारी को सौंपी गई है.

मुरादाबाद: कोविड-19 से जहां कारोबारी गतिविधियां ठप हुई हैं, वहीं रोजगार सबसे बड़ी जरूरत बन गया है. शहरों से पलायन कर प्रवासी मजदूर अपने घर वापस आ गए, लेकिन रोजगार न होने के चलते उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. जिले में वापस लौटे 12 हजार प्रवासी मजदूरों को प्रशासन ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के जरिये रोजगार देने की पहल की है. मजदूरों की पहचान का कार्य पूरा होने के बाद अब उन्हें स्वयं सहायता समूहों से जोड़कर उनकी कार्य कुशलता के आधार पर रोजगार देने का प्रयास चल रहा है. जनपद में लगभग तीन हजार स्वयं सहायता समूह हैं, जिन्हें प्रशिक्षण देने के बाद रोजगार से जोड़ा गया है.

समूहों को रोजगार देने के लिए प्रशासन ने इस साल बेसिक स्कूलों के छात्रों की लगभग एक लाख साठ हजार स्कूली ड्रेस सिलाने का काम इन समूहों को दिया है. जिला विकास अधिकारी एसके उपाध्याय के मुताबिक 150 लोगों को वर्तमान में सिलाई का प्रशिक्षण देकर उन्हें स्कूली ड्रेस तैयार करने का काम दिया जाएगा.

जिला विकास अधिकारी के मुताबिक जनपद में अभी तक 12666 प्रवासी मजदूरों की पहचान की गई है. साथ ही इनकी कार्य कुशलता और शिक्षा का डाटा भी जमा कर लिया गया है. प्रशासन इन प्रवासी मजदूरों को सहायता समूहों से जोड़कर इनकी इच्छानुसार कार्य तलाश कर रहा है. सहायता समूहों के जरिये इनसे सिलाई-कड़ाई, फलों का आचार, मुरब्बा बनाने, एलईडी बल्ब बनाने, जैविक खाद तैयार करने जैसे कामों में रोजगार की संभावना तलाशी जा रही है. जिला प्रशासन ने 12 विभागों से प्रवासी मजदूरों के रोजगार के लिए कार्ययोजना तैयार करने को कहा है, जिसके बाद सहायता समूहों के जरिये रोजगार की कार्य योजना तैयार कर जिलाधिकारी को सौंपी गई है.

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