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पुराने सीमेंट के स्लीपर से रेलवे मालगोदाम की बनवाई सड़क, सीनियर DCM के सुझाव से करोड़ों का फायदा

मुरादाबाद रेल मंडल में मालगोदाम की सड़के सीमेंट के पुराने स्लीपर से तैयार की गई है. करोड़ों रुपये की लागत से बनने वाली सड़क मालगोदाम के भारी वाहनों की वजह से टूट जाती थी. सीमेंट के पुराने स्लीपर से सड़क तैयार होने से करोड़ों रुपये का फायदा हुआ है. सीनियर डीसीएम के इस सुझाव से मुरादाबाद रेलवे मंडल सभी मालगोदाम पर अब सीमेंट के स्लीपर से ही सड़कों करेगा.

पुराने सीमेंट के स्लीपर से रेलवे मालगोदाम की बनवाई सड़क
पुराने सीमेंट के स्लीपर से रेलवे मालगोदाम की बनवाई सड़क
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Published : Jul 15, 2021, 10:30 AM IST

मुरादाबाद: जिले के रेल मंडल में मालगोदाम की सड़कों को सीमेंट के पुराने स्लीपर से तैयार किया गया है. करोड़ों रुपये की लागत से बनने वाली सड़क मालगोदाम के भारी वाहनों की वजह से टूट जाती थी. सीमेंट के पुराने स्लीपर से सड़क तैयार होने से करोड़ों रुपये का फायदा हुआ है. रेलवे ट्रेक से कुछ साल बाद सीमेंट के स्लीपर निकालकर रेलवे इनकी नीलामी कर देता था. सीनियर डीसीएम के इस सुझाव से मुरादाबाद रेलवे मंडल के सभी मालगोदाम पर अब सीमेंट के स्लीपर से ही सड़कों को तैयार किया जाएगा. इस सड़क की उम्र लगभग 30 साल होगी.

पटरियों पर ट्रेन को दौड़ते समय पटरियों पर झटके महसूस न हो और कोई घटना न घटे इसके लिए पटरियों के नीचे लगने वाले सीमेंट के स्लीपर को बदल दिया जाता है. जिसको बाद में टेंडर निकालकर नीलाम कर दिया जाता था. लेकिन रेलवे की सीनियर डीसीएम के एक सुझाव से इन सीमेंट के स्लीपर को रेलवे की मालगोदाम की सड़क बनाने के लिए किया जा रहा है. मालगोदाम की सड़के भारी वाहनों की वजह से जल्द टूट जाती थी. जिसकी वजह से वाहनों को भी बहुत नुकसान होता था. इसके लिए मुरादाबाद के मालगोदाम की सड़कों का निर्माण सीमेंट के इन पुराने स्लीपर से तैयार किया गया है. सीमेंट के स्लीपर से तैयार इस सड़क का लगभग 30 साल तक चलने की मियाद है.

पुराने सीमेंट के स्लीपर से रेलवे मालगोदाम की बनवाई सड़क

मालगोदाम की सीमेंट के स्लीपर से बनने के बाद प्रदूषण में भी कमी आई
सीनियर डीसीएम रेखा शर्मा ने बताया कि टूटी सड़क पर दिन भर वाहन चलने से वहां पर धूल उड़ने से मुरादाबाद का एयर क्वालिटी इंडेक्स भी खराब हो रहा था. एनजीटी ने भी मुरादाबाद में बढ़ते AQI के लेवल के बाद रेलवे को इस समस्या का समाधान करने के निर्देश दिए थे. सीमेंट के पुराने स्लीपर से सड़क तैयार होने के बाद प्रदूषण में बहुत कमी आई है.

मालगोदाम की सड़कों को बनाने पर हर तीन साल में करोड़ो रुपये होते थे खर्च
सीनियर डीसीएम रेखा शर्मा के मुताबिक रेलवे माल गोदाम की सड़क भारी वाहन चलने से टूट जाती थी. जिसकी वजह से हर तीन चार साल बाद इस सड़क को रेलवे को बनवाना पड़ता था. मुरादाबाद मंडल के कई माल गोदाम की सड़कों का यही हाल था. उन्हें बनवाने में करोड़ों रुपये खर्च हो रहे थे. रेखा शर्मा ने माल गोदाम के आस-पास रखे टूटे व खराब सीमेंटेड रेलवे स्लीपर से ट्रायल के तौर पर 100 मीटर का रोड बनवा कर देखा. उस 100 मीटर के स्लीपर से बनी रोड पर मालगोदाम में चलने वाले वाहन चालकों को भी काफी राहत मिली है.

इसे भी पढ़ें-जनसंख्या नीति को हिन्दू-मुस्लिम का मुद्दा बनाकर चुनावी लाभ लेने की कोशिशः एसटी हसन

रेलवे हेड क्वार्टर से अनुमति मिलने के बाद सड़कों निर्माण कराया जाएगा
मुरादाबाद रेलवे मालगोदाम में 100 मीटर की सड़क बनाने के बाद और इस सड़क का अच्छा रिजल्ट मिलने के बाद आगे सभी मुरादाबाद रेलवे मंडल के गोदाम, शाहजहांपुर के रोजा में रेलवे माल गोदाम, सहारनपुर रेलवे माल गोदाम और गजरौला माल गोदाम में मालगोदाम की सड़कों का निर्माण सीमेंट के स्लीपर द्वारा किया जाएगा. इसके लिए मुरादाबाद रेलवे मंडल ने रेलवे हेड क्वार्टर को पत्र लिखकर रेलवे में रखे 1 लाख पुराने सीमेंट के स्लीपर से सड़क अनुमति मांगी थी, जिसकी अनुमति मिल गई है.

मुरादाबाद: जिले के रेल मंडल में मालगोदाम की सड़कों को सीमेंट के पुराने स्लीपर से तैयार किया गया है. करोड़ों रुपये की लागत से बनने वाली सड़क मालगोदाम के भारी वाहनों की वजह से टूट जाती थी. सीमेंट के पुराने स्लीपर से सड़क तैयार होने से करोड़ों रुपये का फायदा हुआ है. रेलवे ट्रेक से कुछ साल बाद सीमेंट के स्लीपर निकालकर रेलवे इनकी नीलामी कर देता था. सीनियर डीसीएम के इस सुझाव से मुरादाबाद रेलवे मंडल के सभी मालगोदाम पर अब सीमेंट के स्लीपर से ही सड़कों को तैयार किया जाएगा. इस सड़क की उम्र लगभग 30 साल होगी.

पटरियों पर ट्रेन को दौड़ते समय पटरियों पर झटके महसूस न हो और कोई घटना न घटे इसके लिए पटरियों के नीचे लगने वाले सीमेंट के स्लीपर को बदल दिया जाता है. जिसको बाद में टेंडर निकालकर नीलाम कर दिया जाता था. लेकिन रेलवे की सीनियर डीसीएम के एक सुझाव से इन सीमेंट के स्लीपर को रेलवे की मालगोदाम की सड़क बनाने के लिए किया जा रहा है. मालगोदाम की सड़के भारी वाहनों की वजह से जल्द टूट जाती थी. जिसकी वजह से वाहनों को भी बहुत नुकसान होता था. इसके लिए मुरादाबाद के मालगोदाम की सड़कों का निर्माण सीमेंट के इन पुराने स्लीपर से तैयार किया गया है. सीमेंट के स्लीपर से तैयार इस सड़क का लगभग 30 साल तक चलने की मियाद है.

पुराने सीमेंट के स्लीपर से रेलवे मालगोदाम की बनवाई सड़क

मालगोदाम की सीमेंट के स्लीपर से बनने के बाद प्रदूषण में भी कमी आई
सीनियर डीसीएम रेखा शर्मा ने बताया कि टूटी सड़क पर दिन भर वाहन चलने से वहां पर धूल उड़ने से मुरादाबाद का एयर क्वालिटी इंडेक्स भी खराब हो रहा था. एनजीटी ने भी मुरादाबाद में बढ़ते AQI के लेवल के बाद रेलवे को इस समस्या का समाधान करने के निर्देश दिए थे. सीमेंट के पुराने स्लीपर से सड़क तैयार होने के बाद प्रदूषण में बहुत कमी आई है.

मालगोदाम की सड़कों को बनाने पर हर तीन साल में करोड़ो रुपये होते थे खर्च
सीनियर डीसीएम रेखा शर्मा के मुताबिक रेलवे माल गोदाम की सड़क भारी वाहन चलने से टूट जाती थी. जिसकी वजह से हर तीन चार साल बाद इस सड़क को रेलवे को बनवाना पड़ता था. मुरादाबाद मंडल के कई माल गोदाम की सड़कों का यही हाल था. उन्हें बनवाने में करोड़ों रुपये खर्च हो रहे थे. रेखा शर्मा ने माल गोदाम के आस-पास रखे टूटे व खराब सीमेंटेड रेलवे स्लीपर से ट्रायल के तौर पर 100 मीटर का रोड बनवा कर देखा. उस 100 मीटर के स्लीपर से बनी रोड पर मालगोदाम में चलने वाले वाहन चालकों को भी काफी राहत मिली है.

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रेलवे हेड क्वार्टर से अनुमति मिलने के बाद सड़कों निर्माण कराया जाएगा
मुरादाबाद रेलवे मालगोदाम में 100 मीटर की सड़क बनाने के बाद और इस सड़क का अच्छा रिजल्ट मिलने के बाद आगे सभी मुरादाबाद रेलवे मंडल के गोदाम, शाहजहांपुर के रोजा में रेलवे माल गोदाम, सहारनपुर रेलवे माल गोदाम और गजरौला माल गोदाम में मालगोदाम की सड़कों का निर्माण सीमेंट के स्लीपर द्वारा किया जाएगा. इसके लिए मुरादाबाद रेलवे मंडल ने रेलवे हेड क्वार्टर को पत्र लिखकर रेलवे में रखे 1 लाख पुराने सीमेंट के स्लीपर से सड़क अनुमति मांगी थी, जिसकी अनुमति मिल गई है.

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