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मुरादाबाद: कोरोना संकट में दाने-दाने को मोहताज है कबूतर, उड़ान पर भी लगा लॉकडाउन

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Published : Apr 28, 2020, 4:23 AM IST

कोरोना संकट के चलते देश में लागू लॉकडाउन से पशु-पक्षी भी बेहाल नजर आ रहें है. उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में लोग बड़े पैमाने पर कबूतर पालते है. लेकिन लॉकडाउन के दौरान कई परिवारों के लिए कबूतरों के भोजन की व्यवस्था करना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में वो इन कबूतरों को आजाद कर रहे हैं.

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छत पर बैठे कबूतर

मुरादाबाद: जनपद के कुंदरकी थाना क्षेत्र स्थित कायस्थान मोहल्ले में रहने वाले दो भाइयों दिलशाद और इरशाद को बचपन से ही कबूतर पालने का शौक था. दोनों भाई हर रोज मेहनत-मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते है और इसके साथ कबूतरों की भी देखरेख करते थे.

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लॉकडाउन के कारण अपने कबूतरों को उड़ाने को मजबूर दो भाई

लेकिन कोरोना संकट के चलते देश में लॉकडाउन लागू होने के बाद दोनों भाइयों की दैनिक मजदूरी बंद हो गयी है. जिसके बाद उनके लिए परिवार का पालन-पोषण करना चुनौती बन गया. ऐसे मुश्किल वक्त में दोनों भाई कबूतरों के लिए भोजन की व्यवस्था नहीं कर पा रहें है. लिहाजा अपने शौक को किनारे रखकर ये आजकल अपने पालतू कबूतरों को आजाद करने की कोशिश में लगे है. लेकिन भूख से तड़पते कबूतर थोड़ी देर आसमान में उड़ने के बाद वापस इनकी छत पर उतर आते है.


पिछले कई सालों से कबूतर पाल रहें दोनों भाइयों के मुताबिक एक दिन में कबूतरों को पांच किलो अनाज-दाना चाहिए होता है लेकिन लॉकडाउन में काम न मिलने के चलते कबूतरों को अनाज की व्यवस्था नहीं हो पा रहीं हैं. सामान्य दिनों में सुबह-शाम पांच किलो अनाज खाने वाले कबूतर आजकल एक किलो अनाज से काम चला रहे हैं. दोनों भाई इस मुश्किल समय में कबूतरों को आजाद करने की कोशिश कर रहें है लेकिन कबूतर इनका साथ छोड़ने को तैयार नहीं है.

इरशाद के मुताबिक कबूतर पालना उनका सबसे बड़ा शौक है. लेकिन अब जब अनाज की व्यवस्था नहीं है तो कबूतरों को भूखे मरना देखना उनके बस की बात नहीं है. ऐसे में दोनों भाई कबूतर पालने के शौक को हमेशा के लिए अलविदा कहने को तैयार है.

मुरादाबाद जनपद में कई लोग कबूतरों को अपने घर में पालते है और हर दिन कबूतरों के भोजन पर बड़ी रकम खर्च करते हैं. लॉकडाउन के चलते जहां लोगों के सामने खुद के परिवार की आर्थिक जरूरतें खड़ी है वहीं कबूतरों को आजाद करना मजबूरी बनता जा रहा हैं.

मुरादाबाद: जनपद के कुंदरकी थाना क्षेत्र स्थित कायस्थान मोहल्ले में रहने वाले दो भाइयों दिलशाद और इरशाद को बचपन से ही कबूतर पालने का शौक था. दोनों भाई हर रोज मेहनत-मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते है और इसके साथ कबूतरों की भी देखरेख करते थे.

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लॉकडाउन के कारण अपने कबूतरों को उड़ाने को मजबूर दो भाई

लेकिन कोरोना संकट के चलते देश में लॉकडाउन लागू होने के बाद दोनों भाइयों की दैनिक मजदूरी बंद हो गयी है. जिसके बाद उनके लिए परिवार का पालन-पोषण करना चुनौती बन गया. ऐसे मुश्किल वक्त में दोनों भाई कबूतरों के लिए भोजन की व्यवस्था नहीं कर पा रहें है. लिहाजा अपने शौक को किनारे रखकर ये आजकल अपने पालतू कबूतरों को आजाद करने की कोशिश में लगे है. लेकिन भूख से तड़पते कबूतर थोड़ी देर आसमान में उड़ने के बाद वापस इनकी छत पर उतर आते है.


पिछले कई सालों से कबूतर पाल रहें दोनों भाइयों के मुताबिक एक दिन में कबूतरों को पांच किलो अनाज-दाना चाहिए होता है लेकिन लॉकडाउन में काम न मिलने के चलते कबूतरों को अनाज की व्यवस्था नहीं हो पा रहीं हैं. सामान्य दिनों में सुबह-शाम पांच किलो अनाज खाने वाले कबूतर आजकल एक किलो अनाज से काम चला रहे हैं. दोनों भाई इस मुश्किल समय में कबूतरों को आजाद करने की कोशिश कर रहें है लेकिन कबूतर इनका साथ छोड़ने को तैयार नहीं है.

इरशाद के मुताबिक कबूतर पालना उनका सबसे बड़ा शौक है. लेकिन अब जब अनाज की व्यवस्था नहीं है तो कबूतरों को भूखे मरना देखना उनके बस की बात नहीं है. ऐसे में दोनों भाई कबूतर पालने के शौक को हमेशा के लिए अलविदा कहने को तैयार है.

मुरादाबाद जनपद में कई लोग कबूतरों को अपने घर में पालते है और हर दिन कबूतरों के भोजन पर बड़ी रकम खर्च करते हैं. लॉकडाउन के चलते जहां लोगों के सामने खुद के परिवार की आर्थिक जरूरतें खड़ी है वहीं कबूतरों को आजाद करना मजबूरी बनता जा रहा हैं.

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