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अनलॉक-1.0 से भी किसानों को नहीं मिली राहत, खेतों में पेठा फल हो रहे बर्बाद - loss of petha fruit farmer

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में पेठा फल की खेती करने वाले किसान काफी परेशान हैं. लॉकडाउन ने किसानों की कमर तोड़ रखी थी, वहीं अनलॉक से किसान राहत की उम्मीद में थे. वहीं आगरा की मशहूर मिठाई पेठा को बनाने के लिए ये पेठा फल आगरा तक नहीं पहुंच पा रहे, जिससे किसानों के फल खेत में ही बर्बाद हो जा रहे.

Petha fruit farmers are in loss
पेठा फल किसान परेशान
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Published : Jun 14, 2020, 1:05 PM IST

मुरादाबाद: कोरोना के चलते पूरे देश में लागू लॉकडाउन ने जहां किसानों को भारी नुकसान पहुंचाया है, वहीं अनलॉक पार्ट 1.0 में भी किसानों को ज्यादा राहत मिलती नजर नहीं आ रही. जनपद से बहने वाली रामगंगा नदी किनारे किसान गर्मियों के मौसम में पेठा फल की खेती करते हैं. हर साल सैकड़ों किसान जमीन किराए पर लेकर तपती गर्मी में पेठा फल उगाकर उसे आगरा और अन्य शहरों को भेजते हैं.

कोरोना के चलते जहां इस साल फलों को ग्राहक नहीं मिल रहे, वहीं फसल खेतों में ही बर्बाद होने लगी है. किसानों के मुताबिक मॉनसून शुरू होते ही पेठा फल की सप्लाई बंद हो जाती है. ऐसे में किसानों के पास ज्यादा वक्त नहीं रह गया है. पेठा फल से आगरा की मशहूर पेठा मिठाई बनाई जाती है.

पेठा फल किसान परेशान

किसानों के लिए रामगंगा नदी जीवनदायिनी
पहाड़ों से होकर मैदानी क्षेत्रों में बहने वाली रामगंगा नदी किसानों के लिए किसी जीवनदायिनी से कम नहीं है. मुरादाबाद से होकर बहने वाली इस नदी के किनारे बड़े पैमाने पर सब्जी और फल उगाए जाते हैं. अगवानपुर मोहल्ले के सैकड़ों किसान हर साल रामगंगा नदी किनारे पेठा फल का उत्पादन करते आए हैं.

नवंबर-दिसंबर के महीने में नदी की रेतीली मिट्टी में गड्ढे खोदकर उसमें बीज बोकर खाद लगाई जाती है और इसके साथ ही मेहनत का एक दौर शुरू हो जाता है. गर्मियों के मौसम में पेठा फल तैयार होकर बिक्री के लिए आगरा, दिल्ली, हापुड़ और पश्चिमी यूपी के कई शहरों को सप्लाई किया जाता है. इस साल कोरोना संकट के चलते लागू लॉकडाउन में मिठाइयों की दुकान बंद रहने से पेठा फल नहीं बिक पाया.

अनलॉक से किसानों को थी उम्मीद
अनलॉक शुरू होने के बाद किसानों को राहत की उम्मीद थी, लेकिन अब भी किसान परेशान हैं. किसानों के मुताबिक 2500 रुपये कुंतल बिकने वाला पेठा फल इस समय दो सौ रुपये किलों भी नहीं बिक रहा.

रामगंगा नदी किनारे दो हजार बीघा जमीन में पेठा फल उगाया जाता है और हर साल लगभग एक हजार कुंतल से ज्यादा फल यहां से मंडियों में पहुंचता है. एक बीघा जमीन पर पेठा उगाने में किसानों को दस हजार रुपये की लागत आती है, जिसमें जमीन का तीन हजार रुपये किराया भी शामिल होता है. फसल के दाम अच्छे मिलने पर मुनाफा होता है, जिससे किसान परिवार की साल भर की जरूरतों को पूरा करते हैं.

खेत में खराब हो रहे पेठा फल
मिठाइयों का काम लॉकडाउन में बंद रहा, लिहाजा अनलॉक उम्मीद का सहारा था. किसानों के मुताबिक आगरा में अभी भी काम पूरी तरह शुरू होने में वक्त लगेगा. इसके चलते ऑर्डर नहीं मिल पा रहें हैं. किसानों के सामने दिक्कत यह भी है कि बारिश शुरू होते ही पेठा फल खराब होना शुरू हो जाता है. ऐसे में अब महज एक सप्ताह ही किसानों के पास बचा हुआ है.

सरकार की ओर से किसानों को तैयार फसल बेचने के लिए अनुमति दी गई है, लेकिन जब फलों की बाजार में मांग ही नहीं है तो किसान भला करे तो क्या करे. जून के महीने की तपती धूप में फसल बचाने के लिए खेतों में किसानों की मेहनत जारी है. एक तरफ परिवार का जीवन यापन और दूसरी तरफ फसल लगाने के लिए लिया कर्जा इन मेहनतकशों की नींद उड़ाए हुए है.

मुरादाबाद: कोरोना के चलते पूरे देश में लागू लॉकडाउन ने जहां किसानों को भारी नुकसान पहुंचाया है, वहीं अनलॉक पार्ट 1.0 में भी किसानों को ज्यादा राहत मिलती नजर नहीं आ रही. जनपद से बहने वाली रामगंगा नदी किनारे किसान गर्मियों के मौसम में पेठा फल की खेती करते हैं. हर साल सैकड़ों किसान जमीन किराए पर लेकर तपती गर्मी में पेठा फल उगाकर उसे आगरा और अन्य शहरों को भेजते हैं.

कोरोना के चलते जहां इस साल फलों को ग्राहक नहीं मिल रहे, वहीं फसल खेतों में ही बर्बाद होने लगी है. किसानों के मुताबिक मॉनसून शुरू होते ही पेठा फल की सप्लाई बंद हो जाती है. ऐसे में किसानों के पास ज्यादा वक्त नहीं रह गया है. पेठा फल से आगरा की मशहूर पेठा मिठाई बनाई जाती है.

पेठा फल किसान परेशान

किसानों के लिए रामगंगा नदी जीवनदायिनी
पहाड़ों से होकर मैदानी क्षेत्रों में बहने वाली रामगंगा नदी किसानों के लिए किसी जीवनदायिनी से कम नहीं है. मुरादाबाद से होकर बहने वाली इस नदी के किनारे बड़े पैमाने पर सब्जी और फल उगाए जाते हैं. अगवानपुर मोहल्ले के सैकड़ों किसान हर साल रामगंगा नदी किनारे पेठा फल का उत्पादन करते आए हैं.

नवंबर-दिसंबर के महीने में नदी की रेतीली मिट्टी में गड्ढे खोदकर उसमें बीज बोकर खाद लगाई जाती है और इसके साथ ही मेहनत का एक दौर शुरू हो जाता है. गर्मियों के मौसम में पेठा फल तैयार होकर बिक्री के लिए आगरा, दिल्ली, हापुड़ और पश्चिमी यूपी के कई शहरों को सप्लाई किया जाता है. इस साल कोरोना संकट के चलते लागू लॉकडाउन में मिठाइयों की दुकान बंद रहने से पेठा फल नहीं बिक पाया.

अनलॉक से किसानों को थी उम्मीद
अनलॉक शुरू होने के बाद किसानों को राहत की उम्मीद थी, लेकिन अब भी किसान परेशान हैं. किसानों के मुताबिक 2500 रुपये कुंतल बिकने वाला पेठा फल इस समय दो सौ रुपये किलों भी नहीं बिक रहा.

रामगंगा नदी किनारे दो हजार बीघा जमीन में पेठा फल उगाया जाता है और हर साल लगभग एक हजार कुंतल से ज्यादा फल यहां से मंडियों में पहुंचता है. एक बीघा जमीन पर पेठा उगाने में किसानों को दस हजार रुपये की लागत आती है, जिसमें जमीन का तीन हजार रुपये किराया भी शामिल होता है. फसल के दाम अच्छे मिलने पर मुनाफा होता है, जिससे किसान परिवार की साल भर की जरूरतों को पूरा करते हैं.

खेत में खराब हो रहे पेठा फल
मिठाइयों का काम लॉकडाउन में बंद रहा, लिहाजा अनलॉक उम्मीद का सहारा था. किसानों के मुताबिक आगरा में अभी भी काम पूरी तरह शुरू होने में वक्त लगेगा. इसके चलते ऑर्डर नहीं मिल पा रहें हैं. किसानों के सामने दिक्कत यह भी है कि बारिश शुरू होते ही पेठा फल खराब होना शुरू हो जाता है. ऐसे में अब महज एक सप्ताह ही किसानों के पास बचा हुआ है.

सरकार की ओर से किसानों को तैयार फसल बेचने के लिए अनुमति दी गई है, लेकिन जब फलों की बाजार में मांग ही नहीं है तो किसान भला करे तो क्या करे. जून के महीने की तपती धूप में फसल बचाने के लिए खेतों में किसानों की मेहनत जारी है. एक तरफ परिवार का जीवन यापन और दूसरी तरफ फसल लगाने के लिए लिया कर्जा इन मेहनतकशों की नींद उड़ाए हुए है.

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