मुरादाबाद : उत्तर प्रदेश सरकार भले ही आम लोगों के लिए विकास की नई इबारत लिखने का दावा करती हो लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी समस्याओं का अंबार लगा हुआ है. मुरादाबाद के देहात क्षेत्र में पिछले दस सालों से दर्जनों गांवों के लोग गांव-गांव से चंदा जमा कर गांगन नदी पर लकड़ी का पुल बनाकर सफर तय कर रहे हैं.
इस पुल पर आवाजाही के दौरान दर्जनों लोग घायल भी हो चुके हैं लेकिन अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक गुहार लगा चुके लोगों को आज तक कोई समाधान नहीं मिला.
मुरादाबाद के पाकबड़ा क्षेत्र को देहात से जोड़ने के लिए गांगन नदी पर बना यह एकमात्र लकड़ी का पुल ही लोगों की आवाजाही का जरिया है. गांगन नदी के पार चौधरपुर गांव और उसके आस-पास के दर्जनों गांव को जोड़ने के लिए इस पुल का निर्माण स्थानीय लोगों द्वारा हर साल चंदा जमा कर किया जाता है. बरसात के मौसम में लकड़ी का यह पुल पानी के तेज बहाव में बह जाता है, जिसके बाद स्थानीय लोगों को पंद्रह से बीस किलोमीटर दूर जाकर नदी को पार करना पड़ता है. पुल पर कई बार हादसे भी हो चुके हैं और नदी पार करने के दौरान कई लोग गंभीर घायल भी हुए हैं.
पुल पर बिछाई गई हैं लकड़ियां
स्थानीय लोगों की आवाजाही के साथ-साथ यह पुल दर्जनों गांवों के हजारों छात्र-छात्राओं के लिए भी आवाजाही का एकमात्र साधन है. देहात के इन गांवों को पाकबड़ा बाजार से जोड़ने के लिए बनाए इस पुल से हर रोज हजारों लोग आवाजाही करते है. लकड़ी के खंभे पर बनाए गए पुल पर लकड़ियां बिछाई गई हैं, जो अक्सर खराब हो जाती हैं. हर साल आस-पास के दर्जनों गांव के लोग दस-दस रुपये चंदा करते हैं और उसके बाद पुल की मरम्मत का काम पूरा किया जाता है. स्थानीय लोगों के मुताबिक, अधिकारी हर बार आश्वासन देकर चले जाते हैं और खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता है.
पंचायती राज मंत्री ने किया समाधान का दावा
पिछले दस सालों से पुल निर्माण की मांग कर रहे ग्रामीणों की समस्या का समाधान कब होगा, इसकी जानकारी किसी को नहीं है. ईटीवी भारत द्वारा जब इस समस्या से उत्तर प्रदेश सरकार के पंचायती राज मंत्री को अवगत कराया गया तो उन्होंने मामले की जानकारी लेकर समस्या का समाधान करने का दावा किया. पंचायती राज मंत्री के मुताबिक, ईटीवी भारत द्वारा पुल की समस्या से अवगत कराने के बाद वह अब इसके निरीक्षण और जल्द कार्रवाई को लेकर अधिकारियों से बात करेंगे.
आज भी तरस रहे लोग
समस्याओं से जूझ रही जनता को समाधान के लिए सालों चक्कर लगाना नियति बन चुका है. कई हादसों और बरसात में आने वाली मुश्किलो के बावजूद आज तक गांगन नदी के पार रह रहे लोग एक अदद पुल को तरस रहे हैं. सरकार, सिस्टम और स्थानीय जनप्रतिनिधि हर बार आश्वासन देकर लोगों को शांत करने की कोशिश करते हैं, लेकिन जर्जर पुल पर जान जोखिम में डालकर सफर करना हर रोज हजारों लोगों की नियति ही है और रहेगा.