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लॉकडाउन: मुरादाबाद के कव्वालों के कलाम पर संकट, हो रहा लाखों का नुकसान - परेशान हैं मुरादाबाद के कव्वाल

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में कव्वाली के जरिए जीवन यापन करने वालों पर संकट खड़ा हो गया है. सूफियाना संगीत को अपने अंदाज में पेश करने वाले कव्वाल सभी धर्मों के कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं. साल भर देश-विदेश में इनकी डिमांड बनी रहती है, लेकिन कोरोना संकट ने इनके सामने बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है.

मुरादाबाद के कव्वाल परेशान
मुरादाबाद के कव्वाल परेशान
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Published : May 10, 2020, 5:16 PM IST

मुरादाबाद: भारत समेत दुनिया के अधिकतर देशों में कोरोना संक्रमण के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. लगातार खराब होते हालात के बीच सामाजिक कार्यक्रम पूरी तरह से प्रतिबंधित है. जिसका असर साफ दिखने लगा है. संगीत की सूफी परंपरा में अपनी पहचान रखने वाली कव्वाली भी, कोरोना के कहर का शिकार हुई है. वहीं इससे जुड़े कव्वालों के सामने जीवन यापन का सवाल खड़ा हो गया है. मुरादाबाद जनपद में रहने वाले कव्वालों के कोरोना संकट में चालीस से ज्यादा कार्यक्रम रद्द हो चुके हैं. जिससे इनका हर दिन लाखों रूपये का नुकसान हो रहा है. देश-विदेश में प्रस्तुति देने वाले इन कव्वालों के सामने जहां आर्थिक संकट हैं, वहीं भविष्य में सामाजिक समारोहों में लोगों की सहभागिता को लेकर भी संशय बना हुआ है.

मुरादाबाद के कव्वाल परेशान

लाखों का हो चुका है नुकसान

मुरादाबाद जनपद के कुंदरकी क्षेत्र में रहने वाले शमीम अहमद शाबरी अंतरराष्ट्रीय कव्वाल हैं और दुनिया के कई देशों में कव्वाली कार्यक्रमों में हिस्सा ले चुके हैं. कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते देश में लॉकडाउन घोषित कर दिया गया, जिसके बाद शमीम और उनकी टीम घर में ही कैद होकर रह गयी है. लॉकडाउन के दौरान इस टीम के पास देश के कई शहरों से चालीस कार्यक्रमों का निमंत्रण था. उसके लिए होटलों की बुकिंग हो चुकी थी और हवाई टिकट भी खरीदे जा चुके थे.

बता दें कि कव्वालों की एक टीम में दस से पन्द्रह सदस्य होते हैं, और एक कार्यक्रम की बुकिंग एक से डेढ़ लाख रुपये के बीच होती है. ऐसे में शमीम और उनके साथियों को अब तक लगभग पचास लाख रुपयों का नुकसान हो चुका है.

लॉकडाउन में कव्वाल परेशान

सूफियाना संगीत को अपने अंदाज में पेश करने वाले कव्वाल सभी धर्मों के कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं. साल भर देश-विदेश में इनकी डिमांड बनी रहती है, लेकिन कोरोना संकट ने इनके सामने बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है. कव्वाली से जीवन यापन कर रहे इन लोगों की तादात हजारों में है. लॉकडाउन से कव्वालों को हो रही परेशानी समझी जा सकती है, लेकिन अब इन्हें असल चिंता भविष्य में कार्यक्रमों के आयोजन को लेकर भी है.

मुरादाबाद: भारत समेत दुनिया के अधिकतर देशों में कोरोना संक्रमण के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. लगातार खराब होते हालात के बीच सामाजिक कार्यक्रम पूरी तरह से प्रतिबंधित है. जिसका असर साफ दिखने लगा है. संगीत की सूफी परंपरा में अपनी पहचान रखने वाली कव्वाली भी, कोरोना के कहर का शिकार हुई है. वहीं इससे जुड़े कव्वालों के सामने जीवन यापन का सवाल खड़ा हो गया है. मुरादाबाद जनपद में रहने वाले कव्वालों के कोरोना संकट में चालीस से ज्यादा कार्यक्रम रद्द हो चुके हैं. जिससे इनका हर दिन लाखों रूपये का नुकसान हो रहा है. देश-विदेश में प्रस्तुति देने वाले इन कव्वालों के सामने जहां आर्थिक संकट हैं, वहीं भविष्य में सामाजिक समारोहों में लोगों की सहभागिता को लेकर भी संशय बना हुआ है.

मुरादाबाद के कव्वाल परेशान

लाखों का हो चुका है नुकसान

मुरादाबाद जनपद के कुंदरकी क्षेत्र में रहने वाले शमीम अहमद शाबरी अंतरराष्ट्रीय कव्वाल हैं और दुनिया के कई देशों में कव्वाली कार्यक्रमों में हिस्सा ले चुके हैं. कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते देश में लॉकडाउन घोषित कर दिया गया, जिसके बाद शमीम और उनकी टीम घर में ही कैद होकर रह गयी है. लॉकडाउन के दौरान इस टीम के पास देश के कई शहरों से चालीस कार्यक्रमों का निमंत्रण था. उसके लिए होटलों की बुकिंग हो चुकी थी और हवाई टिकट भी खरीदे जा चुके थे.

बता दें कि कव्वालों की एक टीम में दस से पन्द्रह सदस्य होते हैं, और एक कार्यक्रम की बुकिंग एक से डेढ़ लाख रुपये के बीच होती है. ऐसे में शमीम और उनके साथियों को अब तक लगभग पचास लाख रुपयों का नुकसान हो चुका है.

लॉकडाउन में कव्वाल परेशान

सूफियाना संगीत को अपने अंदाज में पेश करने वाले कव्वाल सभी धर्मों के कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं. साल भर देश-विदेश में इनकी डिमांड बनी रहती है, लेकिन कोरोना संकट ने इनके सामने बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है. कव्वाली से जीवन यापन कर रहे इन लोगों की तादात हजारों में है. लॉकडाउन से कव्वालों को हो रही परेशानी समझी जा सकती है, लेकिन अब इन्हें असल चिंता भविष्य में कार्यक्रमों के आयोजन को लेकर भी है.

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