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मुरादाबाद: बैंड-बाजा कारोबार पर कोरोना का असर, बुकिंग रद्द होने से परेशान कामगार

कोरोना संकट के चलते जहां अधिकतर शादियों के कार्यक्रम रद्द हुए हैं. वहीं मुरादाबाद में बैंड-बाजा कारोबार पूरी तरह पटरी से उतर गया है. लॉकडाउन के चलते बैंड-बाजा कारोबारियों को मिली बुकिंग रद्द हो चुकी है और अब आगे कब बुकिंग मिलेंगी, इसका जवाब भी किसी के पास नहीं है.

बैंड-बाजा कारोबार
बैंड-बाजा कारोबार
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Published : May 17, 2020, 9:09 PM IST

मुरादाबाद: जनपद में बैंड कारोबार से जुड़े कारोबारी भी आजकल परेशानी की हालत में हैं. बैंड-बाजा कारोबार करने वाले हर कारोबारी की टीम में पंद्रह से बीस कामगार होते हैं, जिनकी साल भर की कमाई का जरिया शादियों में बैंड बजाने से चलता है. सामाजिक कार्यक्रमों पर लगी रोक के बाद जहां इनके पास काम नहीं है तो वहीं इस सीजन में अब तक लाखों रुपयों का नुकसान भी हो चुका है.

बैंड-बाजा कारोबार पर कोरोना का असर
शादियों में दूल्हे के बैठने के लिए बग्घी से लेकर आर्केस्ट्रा कलाकार और बैंड-बाजा से लेकर बारात के साथ चलने वाली लाइट लेकर जाने वाले कामगार कोरोना संकट से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. कोरोना के चलते लागू लॉकडाउन से जहां पहले से तय शादियों की बुकिंग रद्द हो गई हैं, वहीं आने वाले समय में बुकिंग को लेकर भी संशय बना हुआ है.


जनपद के बैंड-बाजा कारोबारी कोरोना संकट के चलते लाखों रुपये का नुकसान झेल चुके हैं. गर्मियों के इस मौसम में अप्रैल से जून तक शादियों का मुहूर्त होता है और शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्र से भी बैंड-बाजा कारोबारियों को बुकिंग मिलती है. तीन महीने की बुकिंग के सहारे ही कारोबारियों और कामगारों के साल भर का खर्चा चलता है. पन्द्रह से बीस लोगों की एक टीम को शादी की बुकिंग पच्चीस से तीस हजार रुपये तक मिलती है, लेकिन इस बार तो पहले हुई बुकिंग भी रद्द हो चुकी है.

आंकड़ों के मुताबिक जिले में सत्तर बैंड-बाजा कारोबारी हैं, जो शहर के साथ देहात क्षेत्रों में शादियों में बैंड-बाजा बजाते हैं. इन कारोबारियों से लगभग दो हजार कामगार जुड़े हुए हैं. इसके साथ ही कई अन्य कामगार भी शादियों के सीजन में बैंड कारोबारियों द्वारा जरूरत के हिसाब से मंगाए जाते हैं. लॉकडाउन के चलते कामगारों के पास जो जमा रकम थी, वह अब समाप्त हो गई है. ऐसे में भविष्य की चिंता कामगारों को परेशान किए हुए है. बैंड कारोबार से जुड़े कामगार इस बात को लेकर भी चिंतित है कि लॉकडाउन के बाद सामाजिक दूरी का पालन जरूरी है तो फिर उनका कारोबार कैसे वापस पटरी पर आ पाएगा.

कोरोना संकट से निकलने का फिलहाल कोई रास्ता नजर नहीं आता है. ऐसे में बैंड-बाजे के साथ कब शादियां शुरू होंगी, ये कह पाना काफी मुश्किल है. सार्वजनिक कार्यक्रमों में कोरोना का खतरा बरकरार रहने से बैंड कारोबार से जुड़े कामगार अन्य विकल्पों को भी तलाश कर रहें है, ताकि परिवार की जरूरतें पूरी हो सकें.

इसे भी पढ़ें:-अब 31 मई तक भर सकेंगे यूपीएसईई-2020 के आवेदन पत्र

मुरादाबाद: जनपद में बैंड कारोबार से जुड़े कारोबारी भी आजकल परेशानी की हालत में हैं. बैंड-बाजा कारोबार करने वाले हर कारोबारी की टीम में पंद्रह से बीस कामगार होते हैं, जिनकी साल भर की कमाई का जरिया शादियों में बैंड बजाने से चलता है. सामाजिक कार्यक्रमों पर लगी रोक के बाद जहां इनके पास काम नहीं है तो वहीं इस सीजन में अब तक लाखों रुपयों का नुकसान भी हो चुका है.

बैंड-बाजा कारोबार पर कोरोना का असर
शादियों में दूल्हे के बैठने के लिए बग्घी से लेकर आर्केस्ट्रा कलाकार और बैंड-बाजा से लेकर बारात के साथ चलने वाली लाइट लेकर जाने वाले कामगार कोरोना संकट से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. कोरोना के चलते लागू लॉकडाउन से जहां पहले से तय शादियों की बुकिंग रद्द हो गई हैं, वहीं आने वाले समय में बुकिंग को लेकर भी संशय बना हुआ है.


जनपद के बैंड-बाजा कारोबारी कोरोना संकट के चलते लाखों रुपये का नुकसान झेल चुके हैं. गर्मियों के इस मौसम में अप्रैल से जून तक शादियों का मुहूर्त होता है और शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्र से भी बैंड-बाजा कारोबारियों को बुकिंग मिलती है. तीन महीने की बुकिंग के सहारे ही कारोबारियों और कामगारों के साल भर का खर्चा चलता है. पन्द्रह से बीस लोगों की एक टीम को शादी की बुकिंग पच्चीस से तीस हजार रुपये तक मिलती है, लेकिन इस बार तो पहले हुई बुकिंग भी रद्द हो चुकी है.

आंकड़ों के मुताबिक जिले में सत्तर बैंड-बाजा कारोबारी हैं, जो शहर के साथ देहात क्षेत्रों में शादियों में बैंड-बाजा बजाते हैं. इन कारोबारियों से लगभग दो हजार कामगार जुड़े हुए हैं. इसके साथ ही कई अन्य कामगार भी शादियों के सीजन में बैंड कारोबारियों द्वारा जरूरत के हिसाब से मंगाए जाते हैं. लॉकडाउन के चलते कामगारों के पास जो जमा रकम थी, वह अब समाप्त हो गई है. ऐसे में भविष्य की चिंता कामगारों को परेशान किए हुए है. बैंड कारोबार से जुड़े कामगार इस बात को लेकर भी चिंतित है कि लॉकडाउन के बाद सामाजिक दूरी का पालन जरूरी है तो फिर उनका कारोबार कैसे वापस पटरी पर आ पाएगा.

कोरोना संकट से निकलने का फिलहाल कोई रास्ता नजर नहीं आता है. ऐसे में बैंड-बाजे के साथ कब शादियां शुरू होंगी, ये कह पाना काफी मुश्किल है. सार्वजनिक कार्यक्रमों में कोरोना का खतरा बरकरार रहने से बैंड कारोबार से जुड़े कामगार अन्य विकल्पों को भी तलाश कर रहें है, ताकि परिवार की जरूरतें पूरी हो सकें.

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