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मुरादाबाद: इजराइली तकनीक से पश्चिमी यूपी में खेती की बदल रही तस्वीर, गन्ना छोड़ कर रहे केले की खेती

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में गन्ना बेल्ट के नाम से मशहूर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान अब तेजी से केले की फसल की तरफ रुख कर रहे हैं. इजरायल से आयातित टिशू कल्चर से तैयार केले की ग्रैंड-9 प्रजाति किसानों को कम समय में गन्ने के मुकाबले तीन गुना ज्यादा लाभ दे रही है.

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किसान गन्ने की जगह अब केले की फसल की तरफ कर रहे रुख
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Published : Dec 1, 2019, 1:44 PM IST

मुरादाबाद: गन्ने के खेती से हो रहे नुकसान और बकाया भुगतान से परेशान किसान अब फूलों, तुलसी, और सब्जियों को उगा कर मुनाफा कमा रहे हैं. खेती के इसी बदलते दौर में मुरादाबाद जनपद में केले की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. इजरायल से आयातित टिशू कल्चर से तैयार केले की ग्रैंड-9 प्रजाति किसानों को कम समय में गन्ने के मुकाबले तीन गुना ज्यादा लाभ दे रही है.

किसान गन्ने की जगह अब केले की फसल की तरफ कर रहे रुख

इजरायली तकनीक अपना रहे किसान

  • मुरादाबाद के किसान गन्ने की जगह अब केले की फसल की तरफ रुख कर रहे हैं.
  • इजरायल से आयातित टिशू कल्चर से तैयार केले की ग्रैंड-9 प्रजाति से खूब लाभ मिल रहा है.
  • गन्ने के मुकाबले किसानों को कम समय में तीन गुना ज्यादा लाभ मिल रहा है.
  • जिले में पचास हेक्टेयर जमीन पर केला उगाया जा रहा है जिसका लक्ष्य और खेती बढ़ाना है.
  • उद्यान विभाग भी किसानों को केले की खेती पर अनुदान और पौध मुहैया करा रहा है.
  • जिले के बिलारी, मूंढापांडे, दलपतपुर और कुंदरकी क्षेत्र में केला उगाने वाले किसानों की तादाद बढ़ रही है.

मूंढापांडे थाना क्षेत्र के डिलारा रायपुर गांव में रहने वाले किसान सुरेंद्र पिछले पांच साल से केले की खेती कर रहे हैं. सुरेंद्र के मुताबिक पांच साल पहले लिए गए अपने फैसले से वह बहुत खुश है. लोग पहले उनका मजाक उड़ाते थे लेकिन आज चार हेक्टेयर से भी अधिक जमीन में सुरेंद्र केला उगा कर मुनाफा कमा रहे है. केले की ग्रैंड-9 प्रजाति उगाकर स्थानीय किसान हर साल अपनी खेती का दायरा बढ़ा रहे है.

किसान वीरेंद्र ने बताया कि अगर गन्ने की खेती से केले की खेती की तुलना की जाय तो तस्वीर साफ हो जाती है. एक हेक्टेयर खेती में गन्ने की फसल लगाने की लागत जहां 60 से 65 हजार रुपये आती है वहीं केले की खेती की लागत ढाई लाख रुपये है. लेकिन एक कुंतल गन्ने की कीमत 350 से 400 रुपये तक होती है वहीं केला 1800 रुपये कुंतल तक बिकता है. बाजार कैसा भी रहें केले की कीमत एक हजार रुपये कुंतल से अधिक रहती है.

केले की खेती करने वाले किसानों के लिए उद्यान विभाग भी अनुदान मुहैया करा रहा है. किसानों को एक हेक्टेयर में केला उगाने पर चालीस हजार रुपये का अनुदान दिया जाता है. केले की पौधे भी मुहैया कराए जा रहे है. किसानों को हो रहें इस फायदे के बाद स्थानीय स्तर पर हर रोज किसान केले के फसल को लेकर जानकारी कर रहें है.
सुनील कुमार, जिला उद्यान अधिकारी

मुरादाबाद: गन्ने के खेती से हो रहे नुकसान और बकाया भुगतान से परेशान किसान अब फूलों, तुलसी, और सब्जियों को उगा कर मुनाफा कमा रहे हैं. खेती के इसी बदलते दौर में मुरादाबाद जनपद में केले की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. इजरायल से आयातित टिशू कल्चर से तैयार केले की ग्रैंड-9 प्रजाति किसानों को कम समय में गन्ने के मुकाबले तीन गुना ज्यादा लाभ दे रही है.

किसान गन्ने की जगह अब केले की फसल की तरफ कर रहे रुख

इजरायली तकनीक अपना रहे किसान

  • मुरादाबाद के किसान गन्ने की जगह अब केले की फसल की तरफ रुख कर रहे हैं.
  • इजरायल से आयातित टिशू कल्चर से तैयार केले की ग्रैंड-9 प्रजाति से खूब लाभ मिल रहा है.
  • गन्ने के मुकाबले किसानों को कम समय में तीन गुना ज्यादा लाभ मिल रहा है.
  • जिले में पचास हेक्टेयर जमीन पर केला उगाया जा रहा है जिसका लक्ष्य और खेती बढ़ाना है.
  • उद्यान विभाग भी किसानों को केले की खेती पर अनुदान और पौध मुहैया करा रहा है.
  • जिले के बिलारी, मूंढापांडे, दलपतपुर और कुंदरकी क्षेत्र में केला उगाने वाले किसानों की तादाद बढ़ रही है.

मूंढापांडे थाना क्षेत्र के डिलारा रायपुर गांव में रहने वाले किसान सुरेंद्र पिछले पांच साल से केले की खेती कर रहे हैं. सुरेंद्र के मुताबिक पांच साल पहले लिए गए अपने फैसले से वह बहुत खुश है. लोग पहले उनका मजाक उड़ाते थे लेकिन आज चार हेक्टेयर से भी अधिक जमीन में सुरेंद्र केला उगा कर मुनाफा कमा रहे है. केले की ग्रैंड-9 प्रजाति उगाकर स्थानीय किसान हर साल अपनी खेती का दायरा बढ़ा रहे है.

किसान वीरेंद्र ने बताया कि अगर गन्ने की खेती से केले की खेती की तुलना की जाय तो तस्वीर साफ हो जाती है. एक हेक्टेयर खेती में गन्ने की फसल लगाने की लागत जहां 60 से 65 हजार रुपये आती है वहीं केले की खेती की लागत ढाई लाख रुपये है. लेकिन एक कुंतल गन्ने की कीमत 350 से 400 रुपये तक होती है वहीं केला 1800 रुपये कुंतल तक बिकता है. बाजार कैसा भी रहें केले की कीमत एक हजार रुपये कुंतल से अधिक रहती है.

केले की खेती करने वाले किसानों के लिए उद्यान विभाग भी अनुदान मुहैया करा रहा है. किसानों को एक हेक्टेयर में केला उगाने पर चालीस हजार रुपये का अनुदान दिया जाता है. केले की पौधे भी मुहैया कराए जा रहे है. किसानों को हो रहें इस फायदे के बाद स्थानीय स्तर पर हर रोज किसान केले के फसल को लेकर जानकारी कर रहें है.
सुनील कुमार, जिला उद्यान अधिकारी

Intro:एंकर:मुरादाबाद: गन्ना बेल्ट के नाम से मशहूर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान तेजी से नगद फसलों का रुख कर रहें है. गन्ने के खेती से हो रहें नुकशान और बकाया भुगतान से परेशान किसान अब फूलों, तुलसी, और सब्जियों को उगा कर मुनाफा कमा रहे है. खेती के इसी बदलते दौर में मुरादाबाद जनपद में केले की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. इजराइल से आयातित टिशू कल्चर से तैयार केले की ग्रैंड-9 प्रजाति किसानों को कम समय में गन्ने के मुकाबले तीन गुना ज्यादा लाभ दे रहीं है. जनपद में पचास हेक्टेयर जमीन पर केला उगाया जा रहा है जो हर साल बढ़ता जा रहा है. उद्यान विभाग भी किसानो को केले की खेती पर अनुदान और पौध मुहैया करा रहा है.


Body:बाईट: सुरेंद्र यादव: केला उगा रहें किसान

वीओ वन: पिछले पांच साल से केले की खेती कर रहें किसान सुरेंद्र पांच साल पहले लिए गए अपने फैसले से खुश नजर आते है. मुरादाबाद जनपद के मूंढापांडे थाना क्षेत्र के डिलारा रायपुर गांव में रहने वाले सुरेंद्र ने जब केले की खेती शुरू की तो लोग उनका मजाक उड़ाते थे लेकिन आज चार हेक्टेयर से भी अधिक जमीन में सुरेंद्र केला उगा कर मुनाफा कमा रहे है. केले की ग्रैंड-9 प्रजाति उगा रहें स्थानीय किसान हर साल अपनी खेती का दायरा बढ़ा रहें है और केले को स्थानीय बाजार में बेच रहे है. किसानों के मुताबिक केले के खेती करने के बाद खरीदारों को तलाश नहीं करना पड़ता और फसल की रकम भी हाथों- हाथ मिल जाती है.
बाईट: सत्येंद्र: किसान
वीओ टू: गन्ना बेल्ट में अगर गन्ने की फसल की केले की खेती से तुलना की जाय तो तस्वीर साफ हो जाती है. एक हेक्टेयर खेती में गन्ने की फसल लगाने की लागत जहां साठ से पैसठ हजार रुपये आती है वहीं केले की खेती की लागत ढाई लाख रुपये है. केले की खेती की लागत ज्यादा होने के बाद भी उत्पादन गन्ने के बराबर ही होता है. इस लिहाज से केले की खेती घाटे का सौदा नजर आती है लेकिन जब बात तैयार फसल के बाजार मूल्य की हो तो तस्वीर पलट जाती है. एक कुंतल गन्ने की कीमत 350 से 400 रुपये तक होती है जबकी केला 1800 रुपये कुंतल तक बिकता है. किसानो के मुताबिक बाजार कैसा भी रहें केले की कीमत हजार रुपये कुंतल से अधिक ही होती है.
बाईट: वीरेंद्र: किसान
वीओ तीन: केले की खेती करने वाले किसानों के लिए उद्यान विभाग भी अनुदान मुहैया करा रहा है. किसानों को एक हेक्टेयर में केला उगाने पर चालीस हजार रुपये का अनुदान दिया जाता है साथ ही केले की पौध भी मुहैया कराई जाती है. किसानों को हो रहें इस फायदे के बाद स्थानीय स्तर पर हर रोज किसान केले के फसल को लेकर जानकारी कर रहें है. जनपद के बिलारी, मूंढापांडे, दलपतपुर और कुंदरकी क्षेत्र में केला उगाने वाले किसानों की तादात बढ़ रही है.
बाईट: सुनील कुमार- जिला उद्यान अधिकारी


Conclusion:वीओ चार: तेरह महीने में तैयार होने वाली केले की फसल जहां कम मेहनत में तैयार होती है वहीं इसके जरिये स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मुहैया हो रहा है. बिहार और बंगाल में इस साल आई बाढ़ के बाद बड़े पैमाने पर केले की फसल बर्बाद हुई है जिसका असर बाजार में कम सप्लाई और मंडी में अधिक कीमत के रूप में सामने आया है. मुरादाबाद में केला उगा रहें किसानों से व्यापारी फसल तैयार होने से पहले ही सम्पर्क कर लेते है और खेतों से ही फसल उठा रहे है. ऐसे में कहा जा सकता है कि इजराइल और भारत की दोस्ती के बाद अब ग्रैंड-9 इस दोस्ती में नया रंग भर रहा है.
भुवन चन्द्र
ईटीवी भारत
मुरादाबाद
9634544417
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