मुरादाबाद: गन्ने के खेती से हो रहे नुकसान और बकाया भुगतान से परेशान किसान अब फूलों, तुलसी, और सब्जियों को उगा कर मुनाफा कमा रहे हैं. खेती के इसी बदलते दौर में मुरादाबाद जनपद में केले की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. इजरायल से आयातित टिशू कल्चर से तैयार केले की ग्रैंड-9 प्रजाति किसानों को कम समय में गन्ने के मुकाबले तीन गुना ज्यादा लाभ दे रही है.
इजरायली तकनीक अपना रहे किसान
- मुरादाबाद के किसान गन्ने की जगह अब केले की फसल की तरफ रुख कर रहे हैं.
- इजरायल से आयातित टिशू कल्चर से तैयार केले की ग्रैंड-9 प्रजाति से खूब लाभ मिल रहा है.
- गन्ने के मुकाबले किसानों को कम समय में तीन गुना ज्यादा लाभ मिल रहा है.
- जिले में पचास हेक्टेयर जमीन पर केला उगाया जा रहा है जिसका लक्ष्य और खेती बढ़ाना है.
- उद्यान विभाग भी किसानों को केले की खेती पर अनुदान और पौध मुहैया करा रहा है.
- जिले के बिलारी, मूंढापांडे, दलपतपुर और कुंदरकी क्षेत्र में केला उगाने वाले किसानों की तादाद बढ़ रही है.
मूंढापांडे थाना क्षेत्र के डिलारा रायपुर गांव में रहने वाले किसान सुरेंद्र पिछले पांच साल से केले की खेती कर रहे हैं. सुरेंद्र के मुताबिक पांच साल पहले लिए गए अपने फैसले से वह बहुत खुश है. लोग पहले उनका मजाक उड़ाते थे लेकिन आज चार हेक्टेयर से भी अधिक जमीन में सुरेंद्र केला उगा कर मुनाफा कमा रहे है. केले की ग्रैंड-9 प्रजाति उगाकर स्थानीय किसान हर साल अपनी खेती का दायरा बढ़ा रहे है.
किसान वीरेंद्र ने बताया कि अगर गन्ने की खेती से केले की खेती की तुलना की जाय तो तस्वीर साफ हो जाती है. एक हेक्टेयर खेती में गन्ने की फसल लगाने की लागत जहां 60 से 65 हजार रुपये आती है वहीं केले की खेती की लागत ढाई लाख रुपये है. लेकिन एक कुंतल गन्ने की कीमत 350 से 400 रुपये तक होती है वहीं केला 1800 रुपये कुंतल तक बिकता है. बाजार कैसा भी रहें केले की कीमत एक हजार रुपये कुंतल से अधिक रहती है.
केले की खेती करने वाले किसानों के लिए उद्यान विभाग भी अनुदान मुहैया करा रहा है. किसानों को एक हेक्टेयर में केला उगाने पर चालीस हजार रुपये का अनुदान दिया जाता है. केले की पौधे भी मुहैया कराए जा रहे है. किसानों को हो रहें इस फायदे के बाद स्थानीय स्तर पर हर रोज किसान केले के फसल को लेकर जानकारी कर रहें है.
सुनील कुमार, जिला उद्यान अधिकारी