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मुरादाबाद: सलमान ने शुरू की फैक्ट्री, दिव्यांगों को मिला सहारा

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में दिव्यांगों का हुनर निखर कर सामने आया है. दिव्यांग सलमान ने फैक्ट्री शुरू की है. वह रोजगार तलाश रहे दिव्यांगों को इस फैक्ट्री में काम दे रहे हैं. इससे दिव्यांग आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं.

दिव्यांगों ने शुरू किया फैक्ट्री
दिव्यांगों ने शुरू किया फैक्ट्री
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Published : Jan 8, 2020, 4:38 PM IST

मुरादाबाद: मन में अगर कुछ अलग करने का जज्बा हो तो मुश्किल से मुश्किल राह भी आसान हो जाती है. जी हां ऐसा ही कुछ किया है मुरादाबाद के रहने वाले दिव्यांग सलमान ने. खुद के लिए रोजगार की तलाश कर रहे सलमान को जब रोजगार देने में लोगों ने हाथ खड़े कर दिए तो उन्होंने अपनी फैक्ट्री शुरू करने का फैसला लिया.

दिव्यांग चला रहे फैक्ट्री
दिव्यांगों की मदद से सलमान ने फैक्ट्री शुरू की और आज रोजगार तलाश कर रहे दिव्यांगों को इस फैक्ट्री में काम मिल रहा है. साबुन, सर्फ और चप्पल तैयार कर रहे दिव्यांगकर्मी खुद ही डोर-टू-डोर जाकर अपना उत्पाद बेच रहे हैं. फैक्ट्री के संचालन से लेकर उत्पादन और मार्केटिंग तक दिव्यांग काम मिलने से खुश हैं. वहीं भविष्य में इसे और बड़े स्तर पर ले जाने की योजना बना रहे हैं.

दिव्यांगों ने शुरू की फैक्ट्री.
बचपन से हैं दिव्यांग
जनपद मुख्यालय से 20 किमी दूर काशीपुर हाईवे से सटे गांव हमीरपुर की फैक्ट्री आजकल चर्चा में है. फैक्ट्री शुरू करने वाले सलमान इंटर पास हैं और बचपन से ही दिव्यांगता से जूझ रहे हैं. दिव्यांगता के चलते सलमान को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. उन्होंने अब अपने जैसे अन्य दिव्यांगों की मदद का जिम्मा उठाया है.

टारगेट नाम से शुरू की गई फैक्ट्री

हमीपरपुर गांव में किराए का मकान लेकर सलमान ने 'टारगेट' नाम से एक कम्पनी शुरू की और इस कम्पनी में कई उत्पाद तैयार करने शुरू किए. सलमान की इस फैक्ट्री में काम करने वाले सभी कर्मचारी दिव्यांग हैं. उत्पादन से लेकर मार्केटिंग तक में सभी दिव्यांगकर्मियों को काम दिया गया है.
स्वयं बेचते हैं सामान
फैक्ट्री में तैयार सामान को दिव्यांगकर्मी गांवों में जाकर बेचते हैं, जिसके लिए उन्हें कमीशन दिया जाता है. यह फैक्ट्री बिना किसी सहायता के चल रही है. काम की तलाश कर रहे दिव्यांगों के लिए बनाई गई इस फैक्ट्री में हर रोज कई आवेदन पहुंचते हैं. सलमान और उनके साथियों ने बैंक से लोन लेने के लिए आवेदन भी किया है, लेकिन पिछले कई महीनों से ये सिर्फ बैंकों के चक्कर ही लगा रहे हैं.
दिव्यांगों को देना चाहते हैं सहारा
सलमान और उनके साथियों ने पांच लाख रुपये जमा कर इस फैक्ट्री की नींव रखी और आज इनकी फैक्ट्री में बने उत्पाद पसंद किए जा रहे हैं. सलमान भविष्य में इस फैक्ट्री को बड़े स्तर पर शुरू कर काम तलाश रहे दिव्यांगों को सहारा देना चाहते हैं. सलमान के इस प्रयास से जहां तंगहाली की जिंदगी जी रहे दिव्यांग खुद को आर्थिक तौर पर मजबूत कर रहे हैं, वहीं स्थानीय लोग भी सराहना कर रहे हैं.

सरकार भले ही दिव्यांगों के लिए कई योजनाएं चला रही हो, लेकिन सलमान और उनके साथी अपने ही प्रयासों से अपनी तकदीर बदलने में जुटे हैं. रोजगार पाने में इनके सामने दिव्यांगता एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन आज ये अपने प्रयास से दिव्यांगता को ही चुनौती देते नजर आते हैं.

इसे भी पढ़ें:- मुरादाबाद नगर निगम सफाई के लिए करा रहा नुक्कड़ नाटक, स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग सुधार की कवायद

मुरादाबाद: मन में अगर कुछ अलग करने का जज्बा हो तो मुश्किल से मुश्किल राह भी आसान हो जाती है. जी हां ऐसा ही कुछ किया है मुरादाबाद के रहने वाले दिव्यांग सलमान ने. खुद के लिए रोजगार की तलाश कर रहे सलमान को जब रोजगार देने में लोगों ने हाथ खड़े कर दिए तो उन्होंने अपनी फैक्ट्री शुरू करने का फैसला लिया.

दिव्यांग चला रहे फैक्ट्री
दिव्यांगों की मदद से सलमान ने फैक्ट्री शुरू की और आज रोजगार तलाश कर रहे दिव्यांगों को इस फैक्ट्री में काम मिल रहा है. साबुन, सर्फ और चप्पल तैयार कर रहे दिव्यांगकर्मी खुद ही डोर-टू-डोर जाकर अपना उत्पाद बेच रहे हैं. फैक्ट्री के संचालन से लेकर उत्पादन और मार्केटिंग तक दिव्यांग काम मिलने से खुश हैं. वहीं भविष्य में इसे और बड़े स्तर पर ले जाने की योजना बना रहे हैं.

दिव्यांगों ने शुरू की फैक्ट्री.
बचपन से हैं दिव्यांग
जनपद मुख्यालय से 20 किमी दूर काशीपुर हाईवे से सटे गांव हमीरपुर की फैक्ट्री आजकल चर्चा में है. फैक्ट्री शुरू करने वाले सलमान इंटर पास हैं और बचपन से ही दिव्यांगता से जूझ रहे हैं. दिव्यांगता के चलते सलमान को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. उन्होंने अब अपने जैसे अन्य दिव्यांगों की मदद का जिम्मा उठाया है.

टारगेट नाम से शुरू की गई फैक्ट्री

हमीपरपुर गांव में किराए का मकान लेकर सलमान ने 'टारगेट' नाम से एक कम्पनी शुरू की और इस कम्पनी में कई उत्पाद तैयार करने शुरू किए. सलमान की इस फैक्ट्री में काम करने वाले सभी कर्मचारी दिव्यांग हैं. उत्पादन से लेकर मार्केटिंग तक में सभी दिव्यांगकर्मियों को काम दिया गया है.
स्वयं बेचते हैं सामान
फैक्ट्री में तैयार सामान को दिव्यांगकर्मी गांवों में जाकर बेचते हैं, जिसके लिए उन्हें कमीशन दिया जाता है. यह फैक्ट्री बिना किसी सहायता के चल रही है. काम की तलाश कर रहे दिव्यांगों के लिए बनाई गई इस फैक्ट्री में हर रोज कई आवेदन पहुंचते हैं. सलमान और उनके साथियों ने बैंक से लोन लेने के लिए आवेदन भी किया है, लेकिन पिछले कई महीनों से ये सिर्फ बैंकों के चक्कर ही लगा रहे हैं.
दिव्यांगों को देना चाहते हैं सहारा
सलमान और उनके साथियों ने पांच लाख रुपये जमा कर इस फैक्ट्री की नींव रखी और आज इनकी फैक्ट्री में बने उत्पाद पसंद किए जा रहे हैं. सलमान भविष्य में इस फैक्ट्री को बड़े स्तर पर शुरू कर काम तलाश रहे दिव्यांगों को सहारा देना चाहते हैं. सलमान के इस प्रयास से जहां तंगहाली की जिंदगी जी रहे दिव्यांग खुद को आर्थिक तौर पर मजबूत कर रहे हैं, वहीं स्थानीय लोग भी सराहना कर रहे हैं.

सरकार भले ही दिव्यांगों के लिए कई योजनाएं चला रही हो, लेकिन सलमान और उनके साथी अपने ही प्रयासों से अपनी तकदीर बदलने में जुटे हैं. रोजगार पाने में इनके सामने दिव्यांगता एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन आज ये अपने प्रयास से दिव्यांगता को ही चुनौती देते नजर आते हैं.

इसे भी पढ़ें:- मुरादाबाद नगर निगम सफाई के लिए करा रहा नुक्कड़ नाटक, स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग सुधार की कवायद

Intro:एंकर: मुरादाबाद: मन में कुछ अलग करने का जज्बा हो तो मुश्किल से मुश्किल राह भी आसान हो जाती है. जी हां ऐसा ही कुछ किया है मुरादाबाद में रहने वाले दिव्यांग सलमान ने. खुद के लिए रोजगार की तलाश कर रहें सलमान को जब रोजगार देने में लोगों ने हाथ खड़े कर दिए तो सलमान ने निराश होने के बजाय अपनी फैक्ट्री शुरू करने का फैसला लिया. अपने साथी दिव्यांगों की मदद से सलमान ने फैक्ट्री शुरू की और आज रोजगार तलाश कर रहें दिव्यांगों को इस फैक्ट्री में काम मिल रहा है. साबुन, सर्फ और चप्पल तैयार कर रहें दिव्यांग कर्मी खुद ही डोर टू डोर जाकर अपना उत्पाद बेच रहें है. फैक्ट्री के संचालन से लेकर उत्पादन और मार्केटिंग कर रहें दिव्यांग जहां काम मिलने से खुश है वहीं भविष्य में इसे और बड़े स्तर पर ले जाने की योजना बना रहे है.


Body:वीओ वन: मुरादाबाद जनपद मुख्यालय से बीस किलोमीटर दूर काशीपुर हाइवे से सटे गांव हमीरपुर की ये फैक्ट्री आजकल चर्चा में है. फैक्ट्री शुरू करने वाले सलमान इंटर पास है और बचपन से ही दिव्यांगता से जूझ रहे है. दिव्यांगता के चलते सलमान को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा लिहाजा उन्होंने अपने जैसे अन्य दिव्यांगों की मदद का जिम्मा उठाया. हमीपरपुर गांव में किराए का मकान लेकर सलमान ने टारगेट नाम से एक कम्पनी शुरू की और इस कम्पनी में कई उत्पाद तैयार करने शुरू किए. सलमान की इस फैक्ट्री में काम करने वाले सभी कर्मचारी दिव्यांग है. उत्पादन से लेकर मार्केटिंग में सभी दिव्यांग कर्मियों को काम दिया गया है.
बाईट: सलमान: फैक्ट्री संचालक
वीओ टू: फैक्ट्री में तैयार सामान को दिव्यांग कर्मी गांवों में जाकर बेचते है जिसके लिए उन्हें कमीशन दिया जाता है. बिना किसी सहायता के चल रहीं इस फैक्ट्री को शुरू करने के लिए सभी दिव्यांगों द्वारा प्रयाश किया गया जिसके बाद फैक्ट्री अस्तित्व में आई है. दिन भर काम की तलाश कर रहें दिव्यांगों के लिए बनाई इस फैक्ट्री में हर रोज कई आवेदन पहुंचते है लेकिन अभी शुरुआत होने के चलते कम लोगों को ही रखा गया है. सलमान और उनके साथियों ने बैंक से लोन लेने के लिए आवेदन भी किया है लेकिन पिछले कई महीनों से ये सिर्फ बैंकों के चक्कर ही लगा रहें है.
बाईट: सईम बेग: दिव्यांग
वीओ तीन: सलमान और उनके साथियों ने पांच लाख रुपये जमा कर इस फैक्ट्री की नींव रखी और आज इनकी फैक्ट्री में बने उत्पाद पसंद किए जा रहें है. सलमान भविष्य में इस फैक्ट्री को बड़े स्तर पर शुरू कर काम तलाश रहें दिव्यांगों को सहारा देना चाहते है. सलमान के इस प्रयाश से जहां तंगहाली की जिंदगी जी रहें दिव्यांग खुद को आर्थिक तौर पर मजबूत कर रहें है वहीं स्थानीय लोग भी सराहना कर रहें है.
बाईट: सौरभ: स्थानीय निवासी


Conclusion:वीओ चार: सरकार द्वारा भले ही दिव्यांगों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रहीं हो लेकिन सलमान और उनके साथी अपने ही प्रयाशों से अपनी तकदीर बदलने में जुटे है. रोजगार पाने में इनके सामने दिव्यांगता एक बड़ी चुनौती थी लेकिन आज ये अपने प्रयाश से दिव्यांगता को ही चुनौती देते नजर आते है.
भुवन चन्द्र
ईटीवी भारत
मुरादाबाद
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