मुरादाबाद: जनपद में वायु प्रदूषण के लगातार बढ़ते स्तर के बाद अब भूमिगत जल के प्रदूषित होने का मामला सामने आया है. एनएबीएल और हिन्दू कॉलेज की संयुक्त रिसर्च में शहर के रामगंगा नदी किनारे लगे मुगलपुरा और बरबलान मौहल्ले में पानी में भारी धातु तत्व पाए गए हैं. पीतल भट्टियों में इलेक्ट्रॉनिक कचरा जलाए जाने से प्रदूषित धातु कण भूमिगत जल में मिल गए हैं, जिसके चलते इन इलाकों में पानी कई रोगों को जन्म दे रहा है.
पहले से वायु प्रदूषण की मार झेल रही पीतलनगरी को जल प्रदूषण से निपटना बड़ी चुनौती है. मुरादाबाद जनपद में पीतल भट्टियों से निकलने वाले मेटल पार्टिकल और इलेक्ट्रॉनिक कचरा जलाए जाने से शहर के कई इलाकों में भूमिगत जल प्रदूषित हो गया है. नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरिटीज में हिन्दू कॉलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा जमा पानी के सैम्पलों की जांच की गई तो हैरान करने वाले नतीजे सामने आए. भूमिगत जल में मिले रासायनिक और धातुओं के तत्व लोगों की सेहत बिगड़ रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक पानी में मरकरी, लैड, निकिल, क्रोमियम, जिंक, कैडमियम और कॉपर जैसे तत्व पाए गए हैं, जो कई बीमारियों को जन्म दे रहे हैं.
इसे भी पढ़ें- लखनऊ: CAA के विरोध में घंटाघर पर प्रदर्शन, महिलाओं ने डिटेंशन सेंटर बनाकर जताया विरोध
शहर के अलावा शहर की सीमा से लगे गांवों के जल को भी जांच के लिए भेजा गया था, जो कम प्रदूषित पाया गया. रामगंगा नदी किनारे इलेक्ट्रॉनिक कचरा जलाए जाने से जहां नदी का पानी प्रदूषित हुआ है, वहीं नदी किनारे उगाई जा रही सब्जियां भी प्रदूषण की चपेट में आ रही हैं. नदी और जमीन से लिए गए पानी से खेतों में सिंचाई और सब्जियां धोने का काम किया जाता है, जो सब्जियों को भी प्रदूषित कर रहा है. रिसर्च टीम के मुताबिक इन क्षेत्रों में रहने वाले लोग प्रदूषित पानी की वजह से बीमार होते जा रहे हैं और बीमारी का आंकड़ा हर साल बढ़ता जा रहा है. रिपोर्ट में प्रदूषित जल में मरकरी (2.13), लैड (.542), निकिल (.650) माइक्रोग्राम प्रति लीटर पाई गई, जबकि ये तत्व शुद्ध जल में बिल्कुल नहीं होने चाहिए.