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मुरादाबाद: गन्ना मिल शुरू न होने से कोल्हू पर गन्ना बेचने को मजबूर किसान, आधी कीमत भी नहीं हो रही वसूल

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में चीनी मिल के शुरू न होने से किसानों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है. अक्टूबर माह में चीनी मिलें चालू हो जाती हैं लेकिन इस बार चालू न होने से किसान अपने परिवार की रोजी-रोटी भी नहीं चला पा रहे हैं.

गन्ना मिल शुरू न होने से परेशान हुए किसान
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Published : Nov 3, 2019, 2:55 PM IST

मुरादाबाद: गन्ना बेल्ट के नाम से पहचाने जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना किसान परेशान हैं. गन्ने की फसल तैयार होने के बाद भी अभी कई चीनी मिल शुरू नहीं हुई है. इसके चलते किसानों को अपना गन्ना आधी से कम कीमतों पर कोल्हू पर बेचना पड़ रहा है. हर रोज कई कुंतल गन्ना कोल्हू पर पहुंच रहा है और किसान को हजारों रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है.

गेहूं की फसल के लिए खेत खाली करने के चलते भी किसान मिलों के शुरू होने का इंतजार करने के बजाय कोल्हू पर गन्ना बेचने को मजबूर हैं. गन्ना विभाग के अधिकारी जल्द ही मिलों के शुरू होने का आश्वासन दे रहे हैं लेकिन किसानों को इन दावों पर भरोसा नहीं है.

गन्ना मिल शुरू न होने से परेशान हुए किसान.
चीनी मिल पर लटका है तालाकोल्हू में मशीनों के अंदर पीस रहा गन्ना किसानों की वह पीड़ा है जो अक्सर उनकी जुबां पर आ जाता है. गन्ने की बुवाई से लेकर फसल तैयार होने तक कड़ी मेहनत करने वाला किसान इस फसल से पूरे साल परिवार की जरूरतों को पूरा करने का सपना देखता है. लेकिन आखिर में उसके सपने भी सिस्टम के पाटों के बीच गन्ने जैसे ही पीस जाते हैं. पेराई सत्र शुरू होने के बाद भी अभी तक मुरादाबाद मंडल में कई चीनी मिलों में ताला लटका हुआ है. जिसके चलते किसानों को औने- पौने दामों में गन्ना कोल्हू पर बेचना मजबूरी बन गया है. आर्थिक नुकसान झेल रहे किसान जहां आक्रोशित हैं वहीं उनका निशाना गन्ना विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों पर भी है.किसानों को हो रहा नुकसानमुरादाबाद मंडल के पांच जनपदों में किसान हर साल लाखों कुंतल गन्ना उगाते हैं. आम तौर पर अक्टूबर के महीने में चीनी मिलें चालू हो जाती हैं और किसान गन्ना मिलों पर देना शुरू कर देता है. इस पेराई सत्र में अभी तक मंडल की ज्यादातर चीनी मिलें शुरू नहीं हो पाई हैं जिसका सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को हो रहा है. खेतों में तैयार गन्ना मजबूरी में कोल्हू पर बेचा जा रहा है और किसानों को इसके बदले में आधी कीमतें भी नहीं मिल पा रहीं.

सम्भल,अमरोहा, मुरादाबाद जनपदों के देहात क्षेत्रों में हर रोज सैकड़ों कुंतल गन्ना 150 से 200 रुपये प्रति कुंतल के मूल्य पर कोल्हू में बिक रहा है. गन्ना विभाग के अधिकारी इस सप्ताह के अंत तक मिलें शुरू होने का दावा कर रहें है लेकिन किसान इस दावे से सहमत नजर नहीं आते.
नहीं चल पा रही रोजी-रोटी
पेराई सत्र शुरू होने के बाद भी चीनी मिलों के न चलने से जहां किसानो को फसल की पूरी कीमत नहीं मिल रही वहीं उनके सामने परिवार की रोजी-रोटी की चिंता भी है. गन्ना बकाया भुगतान को लेकर सरकार पर निशाना साध रहें किसान मिलों के जल्द शुरू न होने के बाद सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल उठा रहे है.

मुरादाबाद: गन्ना बेल्ट के नाम से पहचाने जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना किसान परेशान हैं. गन्ने की फसल तैयार होने के बाद भी अभी कई चीनी मिल शुरू नहीं हुई है. इसके चलते किसानों को अपना गन्ना आधी से कम कीमतों पर कोल्हू पर बेचना पड़ रहा है. हर रोज कई कुंतल गन्ना कोल्हू पर पहुंच रहा है और किसान को हजारों रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है.

गेहूं की फसल के लिए खेत खाली करने के चलते भी किसान मिलों के शुरू होने का इंतजार करने के बजाय कोल्हू पर गन्ना बेचने को मजबूर हैं. गन्ना विभाग के अधिकारी जल्द ही मिलों के शुरू होने का आश्वासन दे रहे हैं लेकिन किसानों को इन दावों पर भरोसा नहीं है.

गन्ना मिल शुरू न होने से परेशान हुए किसान.
चीनी मिल पर लटका है तालाकोल्हू में मशीनों के अंदर पीस रहा गन्ना किसानों की वह पीड़ा है जो अक्सर उनकी जुबां पर आ जाता है. गन्ने की बुवाई से लेकर फसल तैयार होने तक कड़ी मेहनत करने वाला किसान इस फसल से पूरे साल परिवार की जरूरतों को पूरा करने का सपना देखता है. लेकिन आखिर में उसके सपने भी सिस्टम के पाटों के बीच गन्ने जैसे ही पीस जाते हैं. पेराई सत्र शुरू होने के बाद भी अभी तक मुरादाबाद मंडल में कई चीनी मिलों में ताला लटका हुआ है. जिसके चलते किसानों को औने- पौने दामों में गन्ना कोल्हू पर बेचना मजबूरी बन गया है. आर्थिक नुकसान झेल रहे किसान जहां आक्रोशित हैं वहीं उनका निशाना गन्ना विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों पर भी है.किसानों को हो रहा नुकसानमुरादाबाद मंडल के पांच जनपदों में किसान हर साल लाखों कुंतल गन्ना उगाते हैं. आम तौर पर अक्टूबर के महीने में चीनी मिलें चालू हो जाती हैं और किसान गन्ना मिलों पर देना शुरू कर देता है. इस पेराई सत्र में अभी तक मंडल की ज्यादातर चीनी मिलें शुरू नहीं हो पाई हैं जिसका सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को हो रहा है. खेतों में तैयार गन्ना मजबूरी में कोल्हू पर बेचा जा रहा है और किसानों को इसके बदले में आधी कीमतें भी नहीं मिल पा रहीं.

सम्भल,अमरोहा, मुरादाबाद जनपदों के देहात क्षेत्रों में हर रोज सैकड़ों कुंतल गन्ना 150 से 200 रुपये प्रति कुंतल के मूल्य पर कोल्हू में बिक रहा है. गन्ना विभाग के अधिकारी इस सप्ताह के अंत तक मिलें शुरू होने का दावा कर रहें है लेकिन किसान इस दावे से सहमत नजर नहीं आते.
नहीं चल पा रही रोजी-रोटी
पेराई सत्र शुरू होने के बाद भी चीनी मिलों के न चलने से जहां किसानो को फसल की पूरी कीमत नहीं मिल रही वहीं उनके सामने परिवार की रोजी-रोटी की चिंता भी है. गन्ना बकाया भुगतान को लेकर सरकार पर निशाना साध रहें किसान मिलों के जल्द शुरू न होने के बाद सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल उठा रहे है.

Intro:एंकर: मुरादाबाद: गन्ना बेल्ट के नाम से पहचाने जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना किसान परेशान है. गन्ने की फसल तैयार होने के बाद भी अभी कई चीनी मिलें शुरू नहीं हुई है जिसके चलते किसानों को अपना गन्ना आधी से कम कीमत पर कोल्हू पर बेचना पड़ रहा है. हर रोज कई कुंतल गन्ना कोल्हू पर पहुंच रहा है और किसान को हजारों रुपये का नुकशान झेलना पड़ रहा है.गेंहू की फसल के लिए खेत खाली करने के चलते भी किसान मिलों के शुरू होने का इंतजार करने के बजाय कोल्हू पर गन्ना बेचने को मजबूर है. गन्ना विभाग के अधिकारी जल्द ही मिलों के शुरू होने का आश्वासन दे रहें है लेकिन किसानों को इन दावों पर भरोषा नही है.


Body:वीओ वन : कोल्हू में मशीनों के अंदर पीस रहा यह गन्ना किसानों की वह पीड़ा है जो अक्सर उनकी जुबा पर आ जाता है. गन्ने की बुवाई से लेकर फसल तैयार होने तक कड़ी मेहनत करने वाला किसान इस फसल से पूरे साल परिवार की जरूरतों को पूरा करने का सपना देखता है लेकिन आखिर में उसके सपने भी सिस्टम के पाटों के बीच गन्ने जैसे पीस जाते है. पेराई सत्र शुरू होने के बाद भी अभी तक मुरादाबाद मंडल में कई चीनी मिलों में ताला लटका हुआ है जिसके चलते किसानों को औने- पौने दामों में गन्ना कोल्हू पर बेचना मजबूरी बन गया है. आर्थिक नुकशान झेल रहे किसान जहां आक्रोशित है वहीं उनका निशाना गन्ना विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों पर भी है.
बाईट: ऋषिपाल सिंहः किसान नेता
बाईट: सत्येंद्र सिंह: किसान
बाईट:

वीओ टू: मुरादाबाद मंडल के पांच जनपदों में किसान हर साल लाखों कुंतल गन्ना उगाते है. आम तौर पर अक्टूबर के महीनें में चीनी मिलें चालू हो जाती है और किसान गन्ना मिलों पर देना शुरू कर देता है. इस पेराई सत्र में अभी तक मंडल की ज्यादातर चीनी मिलें शुरू नहीं हो पाई है जिसका सबसे ज्यादा नुकशान किसानो को हो रहा है. खेतों में तैयार गन्ना मजबूरी में कोल्हू पर बेचा जा रहा है और किसानों को इसके एवज में आधी कीमत भी नहीं मिल पा रही. सम्भल,अमरोहा मुरादाबाद जनपदों के देहात क्षेत्रों में हर रोज सैकड़ों कुंतल गन्ना 150 से 200 रुपये प्रति कुंतल के मूल्य पर कोल्हू में बिक रहा है. गन्ना विभाग के अधिकारी इस सप्ताह के अंत तक मिलें शुरू होने का दावा कर रहें है लेकिन किसान इस दावे से सहमत नजर नहीं आते.
बाईट: भावेश कुमार- गन्ना उपायुक्त मुरादाबाद मंडल




Conclusion:वीओ तीन: पेराई सत्र शुरू होने के बाद भी चीनी मिलों के न चलने से जहां किसानो को फसल की पूरी कीमत नहीं मिल रही वहीं उनके सामने परिवार की रोजी-रोटी की चिंता भी है. गन्ना बकाया भुगतान को लेकर सरकार पर निशाना साध रहें किसान मिलों के जल्द शुरू न होने के बाद सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल उठा रहे है.
भुवन चन्द्र
ईटीवी भारत
मुरादाबाद
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