मेरठः ठंड में बढ़ते प्रदूषण के स्तर ने जिले को लखनऊ के बाद प्रदेश का सबसे सांतवा प्रदूषित शहर बना दिया है. यहां पर स्थिति इतनी खराब है कि लोगों को गंभीर बीमारियां हो रही हैं. वहीं जिन लोगों पर इसे कंट्रोल करने की जिम्मेदारी है, वह चेतने का नाम नहीं ले रहे हैं. जबकि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) लगातार प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर सख़्त नज़र आ रहा है.
धीमी होती हवा, बढ़ता प्रदूषण
प्रदूषण का बढ़ता स्तर मुरादाबाद के तकरीबन 20 लाख शहरी नागरिकों के लिए समस्या का सबब बनता जा रहा है. हवा की लगातार धीमी होती रफ़्तार और छाते घने कोहरे के कारण पीतल नगरी की आबोहवा जहरीली होती जा रही है. वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने के कारण लोगों में स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो रही हैं. वातावरण में प्रदूषण का सूचकांक स्तर बुधवार को 386 नापा गया. जबकि इसमें पीएम 2.5 का अधिकतम स्तर 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया. जो मानक से तकरीबन 8 गुना अधिक है.
देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल
देश के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में मुरादाबाद का स्थान दसवां है. जबकि प्रदेश के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में सातवें नंबर पर है. इसके बावजूद नगर निगम सहित जिला प्रशासन के तमाम अधिकारियों की नींद टूटने का नाम नहीं ले रही है.
वायु प्रदूषण मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक
विशेषज्ञों की माने तो पीएम 2.5 और पीएम 10 का बढ़ता स्तर मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक होता है. पीतल नगरी के नाम से जाने जाने वाले इस शहर के वायु प्रदूषण पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से निगरानी तो की जा रही है. लेकिन इसका कोई विशेष प्रभाव पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है. ज्यादातर समय वायु प्रदूषण की गुणवत्ता (एक्यूआई) 300 के पार बनी रहती है.
प्रदूषण के ये हैं मुख्य कारण
हिंदू कॉलेज में बायोलॉजी की विभागाध्यक्ष व पर्यावरण एक्टिविस्ट डॉ. अनामिका त्रिपाठी बताया कि मुरादाबाद में प्रदूषण के तीन मुख्य कारण है. यहां पर कूड़े का जलना, इलेक्ट्रॉनिक कचरे का जलना, लगातार चलते निर्माण कार्यों की वजह से पीएम 2.5 व पीएम 10 के माइक्रोपार्टिकल्स की संख्या का बढ़ना है. इसके साथ ही घनी आबादी होने की वजह और अनप्लाण्ड तरीके से बसे शहर के कारण भी प्रदूषण की समस्या हो रही है.
पैदा हो रही है बीमारियांई-कचरे के विषय पर कई शोध पत्र व किताबें लिख चुकी डॉ. अनामिका त्रिपाठी का कहना है कि बढ़ते प्रदूषण के कारण लोग श्वसन तंत्र और टीबी से जुड़ी समस्याओं से दो-चार हो रहे हैं. पीतल नगरी में बड़े पैमाने पर कुटीर उद्योग के रूप में पीतल भट्ठियों में जलाया जाता है, जिसमें मोनो डाई ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड व कार्बन डाइऑक्साइड जैसी ज़हरीली गैसें बड़े पैमाने पर उत्सर्जित होती है. जो लोगों द्वारा इन्हेल करने से उनके श्वसन तंत्र में जाकर फेफड़ों में पहुंचती हैं.
लगातार कर रहे हैं कार्रवाई
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी विकास मिश्र ने बताया कि हम लगातार मुरादाबाद विकास प्राधिकरण, मुरादाबाद नगर निगम, जिला प्रशासन के साथ मिलकर इस तरह की समस्या पर अंकुश लगाने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदूषण सर्दियों में बढ़ जाता है. इस वजह से तमाम तरह के प्रिकॉशंस भी बरते जा रहे हैं. मुरादाबाद एक घनी आबादी वाला शहर है, इस कारण से यहां पर प्रदूषण की मात्रा ज्यादा दिखाई देती है. लगातार पीतल नगरी में अभियान के ज़रिए यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि लोगों को प्रदूषण से जुड़ी किसी तरह की समस्या ना हो.