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दुर्लभ प्रजाति के उल्लू को बचाने के लिए कुत्तों से भिड़ गया बच्चा - पक्षी की जान

मुरादाबाद में एक बच्चे की बहादुरी चर्चा का विषय बनी हुई है. दरअसल यहां 12 साल के शिमोन एक अनजान पक्षी की जान बचाने के लिए अपनी गली के कुत्तों से भीड़ गए.

उल्लू को बचाने के लिए कुत्तों से भिड़ गया बच्चा.
उल्लू को बचाने के लिए कुत्तों से भिड़ गया बच्चा.
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Published : Jan 26, 2021, 10:53 AM IST

मुरादाबाद : बच्चों के बहादुरी की तमाम कहानियां आपने सुनी होंगी, लेकिन मुरादाबाद शहर के रहने वाले शिमोन मेसी की कहानी थोड़ी जुदा है. 12 साल के शिमोन एक अनजान पक्षी की जान बचाने के लिए अपनी गली के कुत्तों से भीड़ गए. हालांकि उन्हें चोट तो नहीं आई लेकिन पक्षी की जान बच गईं. वहीं जब पक्षी के बारे में गूगल किया गया तो पता चला कि यह विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुका बॉर्न ऑउल (एक प्रकार का उल्लू, जो जंगली इलाकों में पाया जाता है) है. फिर बच्चे ने उसका तीन-चार दिन तक इलाज करवाया, खाना दिया. जब उल्लू के घाव भरने लगे तो वन विभाग के अधिकारियों के सुपुर्द कर दिया गया.

उल्लू को बचाने के लिए कुत्तों से भिड़ गया बच्चा.
उल्लू को बचाने के लिए कुत्तों से भिड़ गया बच्चा.

कैसे मिला यह पक्षी
मुरादाबाद उत्तराखंड की पहाड़ियों और जंगलों से सटा हुआ है. इस कारण यहां के वेट लैंड पर सैलानी पक्षी आते रहते हैं. यहां से बहने वाली रामगंगा नदी में भी ऑस्ट्रेलियन पक्षी प्रायः देखे जाते है, जो सर्दियों के मौसम में प्रवास के लिए आते हैं. लेकिन इसी तरह का एक विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुका बॉर्न ऑउल (सफेद धारीदार उल्लू) भी उड़कर शहर में पहुंच गया.

उल्लू को बचाने के लिए कुत्तों से भिड़ गया बच्चा.

इस दौरान पारकर इंटर कॉलेज के परिसर में शिमोन शाम के समय साइकिल चला रहा था. तभी उल्लू जमीन पर आकर गिरा और उसे कुछ कुत्ते घायल करने लगे. शिमोन ने झट से अपने भाई का जैकेट लेकर उल्लू पर डाल दिया और कुत्तों को भगाया. किसी तरह शिमोन ने उल्लू की जान बचा ली. अजीब से दिखने वाले उल्लू का शिमोन ने प्राथमिक स्तर पर इलाज भी करवाया. वहीं खाने की भी व्यवस्था की. वहीं जब उल्लू की हालत सुधरने लगी तो शिमोन उसे अपने स्कूल पारकर इंटर कॉलेज लेकर आया. जहां पर उसके टीचर और पिता नितिन मेसी ने गूगल की मदद से बताया कि यह बॉर्न ऑउल है. इसके बाद नितिन ने वन विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर उल्लू को उनके हवाले कर दिया. पारकर इंटर कॉलेज में अध्यापन का काम करने वाले नितिन मेसी ने बताया कि गूगल से हमें पता चला कि यह एक बॉर्न ऑउल है. बच्चे ने बहुत ही अच्छा काम किया है, जो एक पक्षी को बचा लिया, वरना कुत्ते शायद उसे मार ही डालते.

उल्लू को बचाने के लिए कुत्तों से भिड़ गया बच्चा.
उल्लू को बचाने के लिए कुत्तों से भिड़ गया बच्चा.
उल्लू को बचाने के लिए कुत्तों से भिड़ गया बच्चा.
उल्लू को बचाने के लिए कुत्तों से भिड़ गया बच्चा.

मुरादाबाद : बच्चों के बहादुरी की तमाम कहानियां आपने सुनी होंगी, लेकिन मुरादाबाद शहर के रहने वाले शिमोन मेसी की कहानी थोड़ी जुदा है. 12 साल के शिमोन एक अनजान पक्षी की जान बचाने के लिए अपनी गली के कुत्तों से भीड़ गए. हालांकि उन्हें चोट तो नहीं आई लेकिन पक्षी की जान बच गईं. वहीं जब पक्षी के बारे में गूगल किया गया तो पता चला कि यह विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुका बॉर्न ऑउल (एक प्रकार का उल्लू, जो जंगली इलाकों में पाया जाता है) है. फिर बच्चे ने उसका तीन-चार दिन तक इलाज करवाया, खाना दिया. जब उल्लू के घाव भरने लगे तो वन विभाग के अधिकारियों के सुपुर्द कर दिया गया.

उल्लू को बचाने के लिए कुत्तों से भिड़ गया बच्चा.
उल्लू को बचाने के लिए कुत्तों से भिड़ गया बच्चा.

कैसे मिला यह पक्षी
मुरादाबाद उत्तराखंड की पहाड़ियों और जंगलों से सटा हुआ है. इस कारण यहां के वेट लैंड पर सैलानी पक्षी आते रहते हैं. यहां से बहने वाली रामगंगा नदी में भी ऑस्ट्रेलियन पक्षी प्रायः देखे जाते है, जो सर्दियों के मौसम में प्रवास के लिए आते हैं. लेकिन इसी तरह का एक विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुका बॉर्न ऑउल (सफेद धारीदार उल्लू) भी उड़कर शहर में पहुंच गया.

उल्लू को बचाने के लिए कुत्तों से भिड़ गया बच्चा.

इस दौरान पारकर इंटर कॉलेज के परिसर में शिमोन शाम के समय साइकिल चला रहा था. तभी उल्लू जमीन पर आकर गिरा और उसे कुछ कुत्ते घायल करने लगे. शिमोन ने झट से अपने भाई का जैकेट लेकर उल्लू पर डाल दिया और कुत्तों को भगाया. किसी तरह शिमोन ने उल्लू की जान बचा ली. अजीब से दिखने वाले उल्लू का शिमोन ने प्राथमिक स्तर पर इलाज भी करवाया. वहीं खाने की भी व्यवस्था की. वहीं जब उल्लू की हालत सुधरने लगी तो शिमोन उसे अपने स्कूल पारकर इंटर कॉलेज लेकर आया. जहां पर उसके टीचर और पिता नितिन मेसी ने गूगल की मदद से बताया कि यह बॉर्न ऑउल है. इसके बाद नितिन ने वन विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर उल्लू को उनके हवाले कर दिया. पारकर इंटर कॉलेज में अध्यापन का काम करने वाले नितिन मेसी ने बताया कि गूगल से हमें पता चला कि यह एक बॉर्न ऑउल है. बच्चे ने बहुत ही अच्छा काम किया है, जो एक पक्षी को बचा लिया, वरना कुत्ते शायद उसे मार ही डालते.

उल्लू को बचाने के लिए कुत्तों से भिड़ गया बच्चा.
उल्लू को बचाने के लिए कुत्तों से भिड़ गया बच्चा.
उल्लू को बचाने के लिए कुत्तों से भिड़ गया बच्चा.
उल्लू को बचाने के लिए कुत्तों से भिड़ गया बच्चा.
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