मुरादाबाद: पीतल नगरी के नाम से दुनिया में मशहूर मुरादाबाद जिले में उद्योग के लिए दिया गया 400 करोड़ का ऋण डूबने के कगार पर है. सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के तहत उद्यमियों को बैंकों द्वारा यह ऋण दिया गया था. इस वित्तीय वर्ष में अब तक 356 करोड़ रुपये के ऋण की किस्तें जमा नहीं हुई हैं, जबकि 433 बैंक खाते एनपीए होने के कगार पर हैं.
400 करोड़ रुपये डूबने की आशंका से जहां बैंककर्मियों की नींद उड़ी हुई है, वहीं ऋण लेने वाले ग्राहकों को तलाश कर किस्त जमा करने की अपील की जा रही है.
पीतल उद्योग के जरिये सालाना 800 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाले मुरादाबाद शहर में आजकल बैंककर्मियों में हड़कंप मचा हुआ है. सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत मुरादाबाद जनपद में कारोबारियों को उद्योग-धंधे शुरू करने के लिए बड़े पैमाने पर लोन दिया गया. इन योजनाओं में उत्तर प्रदेश सरकार की 'वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट' योजना के लोन भी शामिल हैं. जनपद के बैंकों द्वारा कुल 3382 करोड़ रुपये के लोन स्वीकृत हुए, जिसमें से 1198 करोड़ रुपये कारोबारियों को दिए गए हैं. इस वित्तीय वर्ष में अब तक 356 करोड़ रुपये के लोन एनपीए घोषित किए जा चुके हैं, जबकि मार्च 2020 तक 433 बैंक खातों के एनपीए होने की आशंका है.
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बैंकों द्वारा लोन की किस्त समय पर जमा न करने वाले ग्राहकों के खाते एनपीए लिस्ट में शामिल किए जाते हैं. तीन किस्त जमा न होने पर बैंक खातों को एनपीए घोषित कर ग्राहक से हर किस्त पर दो प्रतिशत जुर्माना वसूलता है. इसके बाद भी अगर लोन की किस्तें जमा नहीं की जाती हैं, तो बैंक अपने स्तर से कानूनी कार्रवाई कर सकता है. जनपद में उद्योगों के अलावा अन्य क्षेत्रों में दिए गए लोन को शामिल किया जाए, तो एनपीए खातों की रकम 754 करोड़ रुपये है. ऐसे में अगर यह रकम डूबती है तो बैंकों को इससे बड़ा नुकसान होना तय है.