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मिर्जापुर: किसानों के लिए योगेंद्र बने मिसाल, पराली से बनाई जैविक खाद - organic manure

मिर्जापुर जिले के सिखड़ ब्लॉक के रहने वाले योगेंद्र कुमार सिंह खेतों में पराली जलाने के बजाए जैविक खाद बनाकर किसानों के लिए मिसाल बन रहे हैं. वह पराली जलाने के बदले उससे जैविक खाद तैयार कर रहे हैं. योगेंद्र द्वारा पराली से जैविक खाद तैयार करने के तरीके को पढ़ें ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट में और जानें कैसे वह तैयार करते हैं जैविक खाद.

किसान योगेंद्र ने पराली से बनाई जैविक खाद.
किसान योगेंद्र ने पराली से बनाई जैविक खाद.
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Published : Nov 11, 2020, 6:48 PM IST

Updated : Nov 11, 2020, 7:35 PM IST

मिर्जापुर: खेतों में पराली जलने से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है. इसको लेकर सरकार किसानों को जागरूक कर रही है. साथ ही साथ शासन-प्रशासन द्वारा भारी-भरकम खर्च करके पूरे प्रदेश में सैटेलाइट से खेतों की निगरानी कराई जा रही है, जिससे कोई किसान पराली न जलाने पाए.

देखें ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...

वहीं मिर्जापुर जिले के सिखड़ ब्लॉक के योगेंद्र कुमार सिंह पराली से जैविक खाद तैयार कर रहे हैं. साथ ही किसानों को पराली जलाने के बदले घर में जैविक खाद तैयार करने के लिए निशुल्क में वेस्ट डी कंपोजर दे रहे हैं. पराली पर वेस्ट डी कंपोजर डालने से 30 से 40 दिन में पराली सड़कर जैविक खाद के रूप में तैयार हो जा रही है. इस खाद से फसल की पैदावार अच्छी होगी. योगेंद्र के अनूठे प्रयास की सराहना जनपद के साथ पूरे प्रदेश में की जा रही है.

प्रदेश में हो रही योगेंद्र की सराहना
पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण के प्रति योगी सरकार पहले से सतर्क है. किसी गांव में पराली जलती है तो संबंधित किसान के साथ ही वहां के प्रधान की भी जिम्मेदारी तय कर कार्रवाई की जाएगी. इसके लिए जिला प्रशासन पोस्टर, बैनर और लाउडस्पीकर के माध्यम से पराली न जलाने के प्रति लोगों को लगातार जागरूक करने का काम कर रहा है.

वहीं खेतों में पराली जलाने के बजाय सिखड़ ब्लॉक के योगेंद्र कुमार सिंह पराली से जैविक खाद तैयार कर किसानों के लिए मिसाल बन गये हैं. योगेंद्र के इस प्रयास की सराहना अब हर कोई कर रहा है. साथ ही योगेंद्र कुमार सिंह पराली देने वाले किसानों को खाद तैयार करके जैविक खाद निशुल्क वितरित कर रहे हैं. इसके साथ ही वेस्ट डी कंपोजर भी निशुल्क दे रहे हैं. अभी तक लगभग 300 किसान योगेंद्र से वेस्ट डी कंपोजर ले जा चुके हैं, जो अपने घरों पर पराली जलाने के बदले खाद तैयार कर रहे हैं.

जानें पराली से कैसे बनाएं जैविक खाद
सरकार की लाख हिदायतों के बाद भी किसान खेतों में पराली जलाकर वायु प्रदूषण को बढ़ावा देने से बाज नहीं आ रहे हैं. साथ ही किसानों के खेतों को लगातार सैटेलाइट के माध्यम से निगरानी की जा रही है और ताबड़तोड़ कार्रवाई भी की जा रही है. इसी को देखते हुए किसान योगेंद्र पराली जलाने के बजाय जैविक खाद तैयार कर रहे हैं. एक एकड़ खेत की पराली के लिए दो किलोग्राम गुड़, 200 लीटर के ड्रम में 200 लीटर पानी, 100 एमएल वेस्ट डी कंपोजर के साथ थोड़ा सा सरसों की खली मिला देने से लिक्विड तैयार हो जाता है. एक महीने के लिए लिक्विड को छोड़ दिया जाता है. बीच-बीच में इसे चलाते रहते हैं. फिर इसे पराली पर डालने से 30 से 40 दिन में पराली पूरी तरह से सड़कर खाद बन जाती है. यह जैविक खाद फसल पैदावार में बहुत उपयोगी है.

किसान योगेंद्र ने पराली से बनाई जैविक खाद.
किसान योगेंद्र ने पराली से बनाई जैविक खाद.

कृषि विभाग से ले चुके हैं प्रशिक्षण
उपनिदेशक कृषि डॉ. अशोक उपाध्याय ने बताया कि किसान योगेंद्र कुमार सिंह कृषि विभाग से जैविक खाद बनाने का प्रशिक्षण ले चुके हैं. उन्हें कई जगह प्रशिक्षण के लिए विभाग भेज चुका है. पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है. फसलों की वृद्धि वा उत्पादन प्रभावित होने के साथ ही खेत में पाए जाने वाले मित्र कीटों के मरने से खेत की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है. फसल उगाना संभव नहीं होता है. पराली जलाने के बजाय जैविक खाद तैयार कर इसे किसान उपयोग कर सकते हैं. किसान योगेंद्र कुमार सिंह एक अच्छा काम कर रहे हैं. उन्होंने अपने साथ कई किसानों को निशुल्क में वेस्ट डी कंपोजर देकर पराली जलाने के बजाय खाद तैयार करने के लिए अपील की है.

इस तरह कम हो जाती है खेत की उर्वरा शक्ति
किसान योगेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है. प्रदेश सरकार पर्यावरण को लेकर चिंतित है. सरकार पर्यावरण रोकने के लिए खर्च भी कर रही है. इसी को देखते हुए हम पराली से जैविक खाद तैयार कर रहे हैं. वेस्ट डी कंपोजर डालने से पराली 30 से 40 दिन में सड़कर जैविक खाद के रूप में तैयार हो जा रही है. यह खेतों की उर्वरक शक्ति को बढ़ाने वाला खाद है. इससे फसल की पैदावार बहुत अच्छी होगी. पराली को इकट्ठा करके भी खाद तैयार की जा सकती है या खेतों में फैलाकर वेस्ट डी कंपोजर पानी डाल देने से पराली सड़ जाएगी.

किसान योगेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि किसान पराली जलाने के बजाय जैविक खाद तैयार करके अपने खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ा सकते हैं. सभी किसानों से अपील है कि वेस्ट डी कंपोजर का प्रयोग कर जैविक खाद तैयार करें और पराली जलाने से बचें, क्योंकि पराली जलाने से कुम्हार की मिट्टी जैसे जल जाती है, वहां कुछ नहीं होता है. उसी तरह पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती है. कीट मित्र भी जल जाते हैं, जिससे पैदावार न के बराबर हो जाती है. इसलिए किसी को पराली जलाना नहीं चाहिए.

मिर्जापुर: खेतों में पराली जलने से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है. इसको लेकर सरकार किसानों को जागरूक कर रही है. साथ ही साथ शासन-प्रशासन द्वारा भारी-भरकम खर्च करके पूरे प्रदेश में सैटेलाइट से खेतों की निगरानी कराई जा रही है, जिससे कोई किसान पराली न जलाने पाए.

देखें ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...

वहीं मिर्जापुर जिले के सिखड़ ब्लॉक के योगेंद्र कुमार सिंह पराली से जैविक खाद तैयार कर रहे हैं. साथ ही किसानों को पराली जलाने के बदले घर में जैविक खाद तैयार करने के लिए निशुल्क में वेस्ट डी कंपोजर दे रहे हैं. पराली पर वेस्ट डी कंपोजर डालने से 30 से 40 दिन में पराली सड़कर जैविक खाद के रूप में तैयार हो जा रही है. इस खाद से फसल की पैदावार अच्छी होगी. योगेंद्र के अनूठे प्रयास की सराहना जनपद के साथ पूरे प्रदेश में की जा रही है.

प्रदेश में हो रही योगेंद्र की सराहना
पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण के प्रति योगी सरकार पहले से सतर्क है. किसी गांव में पराली जलती है तो संबंधित किसान के साथ ही वहां के प्रधान की भी जिम्मेदारी तय कर कार्रवाई की जाएगी. इसके लिए जिला प्रशासन पोस्टर, बैनर और लाउडस्पीकर के माध्यम से पराली न जलाने के प्रति लोगों को लगातार जागरूक करने का काम कर रहा है.

वहीं खेतों में पराली जलाने के बजाय सिखड़ ब्लॉक के योगेंद्र कुमार सिंह पराली से जैविक खाद तैयार कर किसानों के लिए मिसाल बन गये हैं. योगेंद्र के इस प्रयास की सराहना अब हर कोई कर रहा है. साथ ही योगेंद्र कुमार सिंह पराली देने वाले किसानों को खाद तैयार करके जैविक खाद निशुल्क वितरित कर रहे हैं. इसके साथ ही वेस्ट डी कंपोजर भी निशुल्क दे रहे हैं. अभी तक लगभग 300 किसान योगेंद्र से वेस्ट डी कंपोजर ले जा चुके हैं, जो अपने घरों पर पराली जलाने के बदले खाद तैयार कर रहे हैं.

जानें पराली से कैसे बनाएं जैविक खाद
सरकार की लाख हिदायतों के बाद भी किसान खेतों में पराली जलाकर वायु प्रदूषण को बढ़ावा देने से बाज नहीं आ रहे हैं. साथ ही किसानों के खेतों को लगातार सैटेलाइट के माध्यम से निगरानी की जा रही है और ताबड़तोड़ कार्रवाई भी की जा रही है. इसी को देखते हुए किसान योगेंद्र पराली जलाने के बजाय जैविक खाद तैयार कर रहे हैं. एक एकड़ खेत की पराली के लिए दो किलोग्राम गुड़, 200 लीटर के ड्रम में 200 लीटर पानी, 100 एमएल वेस्ट डी कंपोजर के साथ थोड़ा सा सरसों की खली मिला देने से लिक्विड तैयार हो जाता है. एक महीने के लिए लिक्विड को छोड़ दिया जाता है. बीच-बीच में इसे चलाते रहते हैं. फिर इसे पराली पर डालने से 30 से 40 दिन में पराली पूरी तरह से सड़कर खाद बन जाती है. यह जैविक खाद फसल पैदावार में बहुत उपयोगी है.

किसान योगेंद्र ने पराली से बनाई जैविक खाद.
किसान योगेंद्र ने पराली से बनाई जैविक खाद.

कृषि विभाग से ले चुके हैं प्रशिक्षण
उपनिदेशक कृषि डॉ. अशोक उपाध्याय ने बताया कि किसान योगेंद्र कुमार सिंह कृषि विभाग से जैविक खाद बनाने का प्रशिक्षण ले चुके हैं. उन्हें कई जगह प्रशिक्षण के लिए विभाग भेज चुका है. पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है. फसलों की वृद्धि वा उत्पादन प्रभावित होने के साथ ही खेत में पाए जाने वाले मित्र कीटों के मरने से खेत की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है. फसल उगाना संभव नहीं होता है. पराली जलाने के बजाय जैविक खाद तैयार कर इसे किसान उपयोग कर सकते हैं. किसान योगेंद्र कुमार सिंह एक अच्छा काम कर रहे हैं. उन्होंने अपने साथ कई किसानों को निशुल्क में वेस्ट डी कंपोजर देकर पराली जलाने के बजाय खाद तैयार करने के लिए अपील की है.

इस तरह कम हो जाती है खेत की उर्वरा शक्ति
किसान योगेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है. प्रदेश सरकार पर्यावरण को लेकर चिंतित है. सरकार पर्यावरण रोकने के लिए खर्च भी कर रही है. इसी को देखते हुए हम पराली से जैविक खाद तैयार कर रहे हैं. वेस्ट डी कंपोजर डालने से पराली 30 से 40 दिन में सड़कर जैविक खाद के रूप में तैयार हो जा रही है. यह खेतों की उर्वरक शक्ति को बढ़ाने वाला खाद है. इससे फसल की पैदावार बहुत अच्छी होगी. पराली को इकट्ठा करके भी खाद तैयार की जा सकती है या खेतों में फैलाकर वेस्ट डी कंपोजर पानी डाल देने से पराली सड़ जाएगी.

किसान योगेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि किसान पराली जलाने के बजाय जैविक खाद तैयार करके अपने खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ा सकते हैं. सभी किसानों से अपील है कि वेस्ट डी कंपोजर का प्रयोग कर जैविक खाद तैयार करें और पराली जलाने से बचें, क्योंकि पराली जलाने से कुम्हार की मिट्टी जैसे जल जाती है, वहां कुछ नहीं होता है. उसी तरह पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती है. कीट मित्र भी जल जाते हैं, जिससे पैदावार न के बराबर हो जाती है. इसलिए किसी को पराली जलाना नहीं चाहिए.

Last Updated : Nov 11, 2020, 7:35 PM IST
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