मिर्जापुर: जिले मे स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए क्षेत्रीय ग्रामोद्योग एवं खादी संस्था सूत कातने की ट्रेनिंग देने जा रही है. इसके लिए जिला अधिकारी सुशील कुमार पटेल ने छानबे ब्लॉक के गैपुरा में सोलर चरखा का स्वतंत्रता दिवस पर उद्घाटन किया. समूह से जुड़ी महिलाओं को 15 दिन का प्रशिक्षण दिया जाएगा. महिलाओं को एक किलो सूत कातने पर दो सौ रुपये मिलेंगे. इन चरखों को चलाना उनका रखरखाव बेहद आसान है. ये महिलाएं प्रशिक्षण लेने के बाद अपने घर पर ले जाकर सूत कातने का काम करेंगी. इससे जहां महिलाओं को घर में रोजगार मिलेगा, वहीं इनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी.
स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार प्रयासरत है. यह महिलाएं कभी मास्क, तो कभी कपड़ा सिलाई, तो कभी अगरबत्ती बनाने जैसे तमाम कार्य करती हैं, लेकिन अब ये महिलाएं सूत कातने का भी काम करेंगी. इसके लिए क्षेत्रीय ग्रामोद्योग एवं खादी संस्था राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाओं को सोलर चरखा मुहैया कराने जा रही है. इसका उद्घाटन स्वतंत्रता दिवस यानी 15 अगस्त को जिला अधिकारी सुशील कुमार पटेल ने किया है. 25 सोलर चरखा पर महिलाओं को पन्द्रह दिन का प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसके बाद ये महिलाएं अपने घर पर ले जाकर सूत कातने काम करेंगी. एक किलो सूत कातने पर इन्हें दो सौ रुपये की कमाई होगी. स्वयं सहायता समूह में ज्यादातर प्रवासी महिलाओं को जोड़ने की कोशिश की जा रही है. जिले में अभी तक समूह से एक हजार से ज्यादा प्रवासी महिलाएं जुड़कर काम कर रही हैं.स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि हम लोग स्वयं सहायता समूह से जुड़ कर अपने घर का खर्च चला रही हूं. पहले हम लोग समूह से जुड़कर कई चीजें तैयार करते थे, अब हम लोगों को सोलर चरखा पर सूत कातने की प्रशिक्षण दिया जाएगा. इससे भी प्रशिक्षण लेकर हम लोग अपने घर पर ले जाकर सूत काटेंगे और आत्मनिर्भर बनकर घर का खर्च उठाएंगे. लॉकडाउन में समूह से हम लोग जुड़ कर बहुत कुछ कर रहे हैं.
जिलाधिकारी सुशील कुमार पटेल कहना है कि एक हजार से ज्यादा प्रवासी महिलाओं को स्वयं सहायता समूह से जोड़कर रोजगार दिया गया है. ये महिलाएं अभी हाल में स्कूली बच्चों के ड्रेस सिल रही थीं. अब इन्हें सूत कातने का प्रशिक्षण दिया जाएगा. 17 समूह इस तरह के काम में जिले भर लगे हुए हैं. ये महिलाएं लगभग दस हजार रुपये महीना यहां से कमा ले रही हैं, जिससे ये अपने परिवार का खर्च निकाल रही हैं.