मिर्जापुर: विंध्याचल के अष्टभुजा पहाड़ी की तलहटी से 500 फीट नीचे जड़ी बूटियों से मिश्रित जल है. जिसका सेवन करने के लिए भैरव कुंड में भक्तों का जमावड़ा लगा. इस अमृत जल को पाने के लिए काफी दूर से लोग आते हैं. प्राचीनकाल से ही पहाड़ों से छनकर भैरवकुण्ड में पानी पहुंचता है.12 महीने इसी तरह पहाड़ पानी बना रहता है. लोगों का मानना है कि जड़ी बूटियों से मिश्रित जल पाचन शक्ति बढ़ाता है.
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विंध्य पर्वत पर विराजमान भैरव कुंड-
मिर्जापुर विंध्य पर्वत के कौन नहीं जानता है. विंध्य पर्वत का छठा देखकर सब मोहित होते हैं. उसमें एक अष्टभुजा के पास भैरव कुंड है. इस कुंड में 12 महीना पानी पहाड़ों मे रहता है. कुंड के पानी पीने से शरीर की तकलीफें दूर होती है. दूर-दूर से लोग यहां से पानी लेने आते हैं. जब तक यहां पर रहते हैं उसी पानी का सेवन भी करते हैं. पहाड़ की तलहटी से करीब सैकड़ों फीट नीचे निकल रहे जड़ी-बूटी युक्त पानी को लेने के लिए कभी-कभी तो लंबी-लंबी लाइनें भी लगानी पड़ती है.
अमृत है भैरव कुंड का पानी-
लोगों का मानना है कि जड़ी बूटियों से युक्त पानी के सेवन से पाचन शक्ति ठीक रहती है. इसलिए यहां के पानी को लोग भर कर दूर-दूर तक ले जाते हैं. बिहार और बंगाल के सबसे ज्यादा लोग यहां आते हैं. सब लोग पानी को शरीर के लिए रामबाण बताते हैं. यहां तक कि कुछ लोग कई वर्षों से इस पानी को घर ले जाकर पीते हैं. प्राचीन काल से ही इस कुंड में पानी पहाड़ों से छनकर पहुंचता है. अनवरत पानी छन छन कर आता रहता है. गर्मी के मौसम में थोड़ा धीमा हो जाता है. अभी तक कभी यह कुंड सूखा नहीं है.
त्रिकोण के माध्यम से तीनों देवियों के दर्शन-
यहां पर लोग देश प्रदेश से दर्शन पूजन करने के लिए आते हैं. नवरात्र में तो संख्या लाखों में पहुंच जाती है. यहां पहाड़ पर बसी तीन देवियां मां विंध्यवासिनी, मां काली और मां अष्टभुजा तीनों देवियों का दर्शन त्रिकोण के माध्यम से होता है. श्रद्धालु कुंड के पानी का भी सेवन करके जाता है. विंध्य पर्वत पर हमेशा हैं दूर-दूर से पर्यटक आते हैं.