मिर्जापुर: जिले की ग्रामीण महिलाएं चूल्हा चौका के साथ इन दिनों बड़े इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों को कड़ी टक्कर दे रही हैं. स्वयं सहायता समूह से जुड़कर महिलाएं एलईडी बल्ब का निर्माण कर रही हैं. हजारों रुपए कमा कर परिवार चला रही हैं. बस इन्हें और थोड़ी सहायता की जरूरत है. मार्केटिंग के स्तर पर थोड़ा सरकार का साथ मिल जाए तो यह महिलाएं अंधेरे को रोशनी में तब्दील कर सकती हैं.
बड़ी कंपनियों को कड़ी टक्कर दे रही है ग्रामीण महिलाएं
देश में आजकल इलेक्ट्रॉनिक बाजार में कई मशहूर मल्टीनेशनल कंपनियों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है, लेकिन अब आपको जानकर हैरानी होगी की मिर्जापुर जिले के ग्रामीण इलाके की रहने वाली घरेलू महिलाएं अपने हौसले के दम पर इन दिनों बड़ी कंपनियों को कड़ी टक्कर दे रही हैं. हम बात कर रहे हैं छानबे ब्लॉक के रामपुर नेवढ़िया गांव की महिलाओं की, जो दीनदयाल अंत्योदय योजना उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत जुड़कर अपना अंजली आजीविका स्वयं सहायता समूह बनाकर प्रेरणा एलईडी बल्ब का निर्माण कर रही हैं और बिक्री कर रही हैं.
सस्ते दामों पर एलईडी बल्ब बेच रही हैं महिलाएं
मार्केट में मल्टीनेशनल कंपनियां महंगे दामों पर एलईडी और इलेक्ट्रॉनिक आइटम बेच रही हैं, तो दूसरी तरफ चीन के बने इलेक्ट्रॉनिक सामान भी भारतीय उत्पादों को पीछे छोड़ दिया है. ऐसे में यह ग्रामीण महिलाएं अपने दम पर एलईडी बल्ब असेंबल कर अपने छानबे ब्लॉक और मिर्जापुर शहर से लेकर गांव तक सप्लाई कर रही हैं. मार्केट में जो मल्टीनेशनल कंपनियों के बल्ब हैं उन से सस्ते दामों पर बेच रही हैं और उनसे ज्यादा टिकाऊ बता रही हैं.
स्वयं सहायता समूह से जुड़ कर काम कर रही हैं महिलाएं
स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत उन्हें सहायता और ट्रेनिंग की व्यवस्था की जाती है. महिलाओं को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन जिले में कई तरह का काम उपलब्ध करा रहा है. उसमें से एक काम एलईडी बल्ब का भी है. यह स्वयं सहायता समूह की महिलाएं रॉ मटेरियल यानी कच्चा माल दिल्ली से मंगाती हैं. इसके बाद महिलाएं खुद उनको असेंबल करने में जुट जाती हैं. यह महिलाएं सस्ते दामों पर एलईडी बल्ब बनाती है.
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जो महिलाओं कभी चूल्हे चौके तक ही सीमित थी, आज वह महिलाएं दूसरों को रोशनी देने का काम कर रही हैं. उसी में है शशि देवी और किरण देवी जो स्वयं सहायता समूह का हिस्सा है. अपने दम पर अपने ब्लॉक से लेकर शहर में कई जगह रोशनी बांट रही हैं. करीब 5 महिलाओं का स्वयं सहायता समूह है, पिछले 2 सालों से एलईडी बल्ब का निर्माण कर रहा हैं.
उनका कहना है कि इस समूह से जुड़कर हम पांच महिलाएं एक दिन में 100 बल्ब बना लेते हैं और हर महिलाओं को करीब डेढ़ सौ से लेकर 200 तक की कमाई हो जाती है. इसमें मुख्य विकास अधिकारी का बहुत बड़ा हाथ होता है. उन्हीं की मदद से हम लोग यह काम कर रहे हैं. हम लोग मुख्य विकास अधिकारी कहते हैं कि सर कहीं भी स्टोर लगेगा तो हमें बताइएगा हम अपना एलईडी बल्ब का भी स्टोर वहां लगाएंगे. हम लोगों को सरकार से थोड़ी और सहायता की जरुरत हैं कि जहां 5 महिलाएं हैं सरकार थोड़ी मदद कर दें तो हम पांच सौ महिलाएं एक साथ जुड़कर काम कर सकें. साथ ही इन महिलाओं ने बताया कि सरकार मार्केट उपलब्ध करा दें, तो कुछ बेहतर पहल हो जाएगी. ताकि हम महिलाएं भी बड़ी-बड़ी कंपनियों के मध्य जा सकें. साथ ही प्रचार-प्रसार हो जाए तो हम लोगों के जीवन में और रोशनी आ जाएगी.