मिर्जापुर: पांच विधानसभाओं वाला जनपद मिर्जापुर का 397 मझवां विधानसभा का एक अपना अलग इतिहास है. इस सीट पर कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी का दबदबा रहा है. यहां से समाजवादी पार्टी की कभी जीत नहीं हुई है. मझवां सीट 1969 तक रिजर्व थी. 1974 में पहली बार यह सीट सामान्य हुई यहां से कांग्रेस से रूद्र प्रसाद सिंह विधायक बने. यह विधानसभा 1989 तक प्रदेश के वीआईपी विधानसभाओं में शुमार थी. यहां से विधायक बनने के बाद नेता मंत्री हुआ करते थे, लेकिन 1993 के बाद मंत्री का ताज छिन गया और क्षेत्र विकास के दौड़ से काफी पीछे छूट गया. अब यहां पर समस्याओं का अंबार है.
कभी यह सीट उत्तर प्रदेश के वीआईपी सीटों में शुमार थी
स्वतंत्र भारत के बाद उत्तर प्रदेश में पहली बार 1952 में विधानसभा का चुनाव हुआ. उसी समय मझवां विधानसभा सीट भी अस्तित्व में आ गई थी, लेकिन मझवां, कछवां का जो क्षेत्र था वह सदर विधानसभा सीट का हिस्सा हुआ करता था. वर्ष 1969 यह सीट रिजर्व थी. यहां से अनुसूचित जाति के प्रत्याशी चुनकर विधानसभा पहुंचते थे. यह सीट उत्तर प्रदेश के वीआईपी सीटों में शुमार थी जब यहां से विधायक बनने के बाद नेता मंत्री हुआ करते थे. मंत्रियों में पंडित लोकपति त्रिपाठी, रूद्र प्रसाद सिंह, भागवत पाल की गणना दिग्गजों में हुआ करती थी.
चुनावी इतिहास
मझवां विधानसभा के चुनाव की इतिहास की बात किया जाए तो यहां पर शुरू में कांग्रेस बाद में बसपा का दबदबा रहा है. कांग्रेस के प्रत्याशी को 8 बार, बहुजन समाज पार्टी को 5 बार, भारतीय जनता पार्टी को दो बार और भारतीय जन संघ, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, जनता दल को एक एक बार सफलता मिली है. यहां से समाजवादी पार्टी का कभी जीत नहीं हुई है.
वर्ष | पार्टी | विधायक |
1952 | कांग्रेस | बेचन राम |
1957 | कांग्रेस | बेचन राम |
1960 | कांग्रेस | बेचन राम |
1962 | भारतीय जनसंघ | रामकिशुन |
1967 | कांग्रेस | बेचन राम |
1969 | कांग्रेस | बेचन राम |
1974 | कांग्रेस | रूद्र प्रसाद सिंह |
1977 | संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी | शिवदास |
1980 | कांग्रेस | पंडित लोकपति त्रिपाठी |
1985 | कांग्रेस | पंडित लोकपति त्रिपाठी |
1989 | जनता दल | रूद्र प्रसाद सिंह |
1991 | बसपा | भागवत पाल |
1993 | बसपा | भागवत पाल |
1996 | भाजपा | रामचंद्र मौर्य |
2002 | बसपा | डॉक्टर रमेश चंद बिंद |
2007 | बसपा | डॉक्टर रमेश चंद बिंद |
2012 | बसपा | डॉक्टर रमेश चंद बिंद |
2017 | भारतीय जनता पार्टी | सूचीस्मिता मौर्य |
जातिगत आंकड़ा
जातिगत आंकड़ों की बात किया जाए तो यहां पर सबसे अधिक ब्राह्मण हैं. इसके बाद दलित और बिंद समाज की संख्या है. ब्राह्मण 84000, दलित 61000 बिंद 60,000, यादव 35000, क्षत्रिय 11000, भूमिहार 20000, मौर्या 33000, मुस्लिम 20000, पाल 20000, पटेल 22000, प्रजापति 10000 है, कहां जाता है ब्राह्मण जिसे चाहता है वही यहां का विधायक बनता है.
कुल वोटर
यहां पर कुल मतदाता की बात किया जाए तो 391245 है, जिसमें पुरुष मतदाता 206603 महिला मतदाता 184612 हैं.
2017 विधानसभा चुनाव का परिणाम
भारतीय जनता पार्टी से प्रत्याशी सूचीस्मिता मौर्य 1,07,839 मत पाकर यहां से विजयी हुई है. दूसरे नंबर पर लगातार तीन बार से बन रहे विधायक और वर्तमान में बीजेपी से भदोही के सांसद रमेश बिंद को 66680 वोट पाकर संतोष करना पड़ा था. जबकि पहली बार समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के करीबी रोहित शुक्ला को 44212 मत मिले थे.
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क्या रहेगा इस बार यहां का मुद्दा
मझवां विधानसभा ग्रामीण इलाकों में आता है. यहां पर एक नगर पंचायत और तीन विकासखंड लगते हैं. इस विधानसभा में लगभग 20 सालों से सबसे बड़ी मुद्दों की बात किया जाए तो यहां पर किसानों के सिंचाई के लिए गंगा से लिफ्ट कर खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए 4 से 5 कैनाल पंप बनाए गए हैं, कोई भी कैनाल पंप पूरी तरह से पानी किसानों तक नहीं पहुंचा पा रहा है. सरैया पंप कैनाल, रामनगर सीकरी पंप कैनाल इस तरह कई कैनाल है, जो किसानों को पानी देने में असमर्थ हैं, कई पंप कैनाल तो खराब है तो कइयों के पास गंगा का पानी नीचे चले जाने से नहीं दे पाते. इसके अलावा यहां पर कई रेलवे क्रॉसिंग है. जहां पर ओवरब्रिज की जरूरत है, क्योंकि आए दिन इन रेलवे क्रॉसिंग पर हादसा होता रहता है. हर बार चुनाव में आश्वासन दिया जाता है. वादा किया जाता है, लेकिन पूरा नहीं होता है. खराब सड़क भी यहां का मुद्दा हो सकता है.