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मझवां विधानसभा: इस सीट पर कांग्रेस और बसपा की सबसे ज्यादा हुई है जीत, यहां के जीते विधायक बना करते थे मंत्री - मिर्जापुर

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election) को लेकर यूपी में सियासी पारा चढ़ने लगा है. राजनीतिक पार्टियां पूरी तरह तैयारियों में जुट गई है. यूपी के मिर्जापुर की मझवां विधानसभा सीट पर वर्तमान में भाजपा का कब्जा है. जानिए आगामी विधानसभा चुनाव में यहां का चुनावी समीकरण क्या होगा?

मझवां विधानसभा
मझवां विधानसभा
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Published : Sep 15, 2021, 9:22 AM IST

Updated : Sep 15, 2021, 9:57 AM IST

मिर्जापुर: पांच विधानसभाओं वाला जनपद मिर्जापुर का 397 मझवां विधानसभा का एक अपना अलग इतिहास है. इस सीट पर कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी का दबदबा रहा है. यहां से समाजवादी पार्टी की कभी जीत नहीं हुई है. मझवां सीट 1969 तक रिजर्व थी. 1974 में पहली बार यह सीट सामान्य हुई यहां से कांग्रेस से रूद्र प्रसाद सिंह विधायक बने. यह विधानसभा 1989 तक प्रदेश के वीआईपी विधानसभाओं में शुमार थी. यहां से विधायक बनने के बाद नेता मंत्री हुआ करते थे, लेकिन 1993 के बाद मंत्री का ताज छिन गया और क्षेत्र विकास के दौड़ से काफी पीछे छूट गया. अब यहां पर समस्याओं का अंबार है.

कभी यह सीट उत्तर प्रदेश के वीआईपी सीटों में शुमार थी
स्वतंत्र भारत के बाद उत्तर प्रदेश में पहली बार 1952 में विधानसभा का चुनाव हुआ. उसी समय मझवां विधानसभा सीट भी अस्तित्व में आ गई थी, लेकिन मझवां, कछवां का जो क्षेत्र था वह सदर विधानसभा सीट का हिस्सा हुआ करता था. वर्ष 1969 यह सीट रिजर्व थी. यहां से अनुसूचित जाति के प्रत्याशी चुनकर विधानसभा पहुंचते थे. यह सीट उत्तर प्रदेश के वीआईपी सीटों में शुमार थी जब यहां से विधायक बनने के बाद नेता मंत्री हुआ करते थे. मंत्रियों में पंडित लोकपति त्रिपाठी, रूद्र प्रसाद सिंह, भागवत पाल की गणना दिग्गजों में हुआ करती थी.

जानकारी देते संवाददाता

चुनावी इतिहास
मझवां विधानसभा के चुनाव की इतिहास की बात किया जाए तो यहां पर शुरू में कांग्रेस बाद में बसपा का दबदबा रहा है. कांग्रेस के प्रत्याशी को 8 बार, बहुजन समाज पार्टी को 5 बार, भारतीय जनता पार्टी को दो बार और भारतीय जन संघ, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, जनता दल को एक एक बार सफलता मिली है. यहां से समाजवादी पार्टी का कभी जीत नहीं हुई है.

वर्षपार्टीविधायक
1952 कांग्रेस बेचन राम
1957 कांग्रेस बेचन राम
1960 कांग्रेस बेचन राम
1962 भारतीय जनसंघरामकिशुन
1967 कांग्रेसबेचन राम
1969 कांग्रेसबेचन राम
1974 कांग्रेस रूद्र प्रसाद सिंह
1977 संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी शिवदास
1980 कांग्रेसपंडित लोकपति त्रिपाठी
1985 कांग्रेस पंडित लोकपति त्रिपाठी
1989 जनता दल रूद्र प्रसाद सिंह
1991 बसपा भागवत पाल
1993 बसपा भागवत पाल
1996 भाजपा रामचंद्र मौर्य
2002बसपा डॉक्टर रमेश चंद बिंद
2007 बसपा डॉक्टर रमेश चंद बिंद
2012 बसपा डॉक्टर रमेश चंद बिंद
2017 भारतीय जनता पार्टी सूचीस्मिता मौर्य



जातिगत आंकड़ा
जातिगत आंकड़ों की बात किया जाए तो यहां पर सबसे अधिक ब्राह्मण हैं. इसके बाद दलित और बिंद समाज की संख्या है. ब्राह्मण 84000, दलित 61000 बिंद 60,000, यादव 35000, क्षत्रिय 11000, भूमिहार 20000, मौर्या 33000, मुस्लिम 20000, पाल 20000, पटेल 22000, प्रजापति 10000 है, कहां जाता है ब्राह्मण जिसे चाहता है वही यहां का विधायक बनता है.

जातिगत आंकड़ा
जातिगत आंकड़ा

कुल वोटर
यहां पर कुल मतदाता की बात किया जाए तो 391245 है, जिसमें पुरुष मतदाता 206603 महिला मतदाता 184612 हैं.

कुल वोटर
कुल वोटर

2017 विधानसभा चुनाव का परिणाम
भारतीय जनता पार्टी से प्रत्याशी सूचीस्मिता मौर्य 1,07,839 मत पाकर यहां से विजयी हुई है. दूसरे नंबर पर लगातार तीन बार से बन रहे विधायक और वर्तमान में बीजेपी से भदोही के सांसद रमेश बिंद को 66680 वोट पाकर संतोष करना पड़ा था. जबकि पहली बार समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के करीबी रोहित शुक्ला को 44212 मत मिले थे.

मझवां विधानसभा
मझवां विधानसभा सीट.

इसे भी पढ़ें-UP Election 2022: बिलासपुर विधानसभा 36 में इस बार भाजपा की राह मुश्किल, जानें क्या है वजह...

क्या रहेगा इस बार यहां का मुद्दा
मझवां विधानसभा ग्रामीण इलाकों में आता है. यहां पर एक नगर पंचायत और तीन विकासखंड लगते हैं. इस विधानसभा में लगभग 20 सालों से सबसे बड़ी मुद्दों की बात किया जाए तो यहां पर किसानों के सिंचाई के लिए गंगा से लिफ्ट कर खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए 4 से 5 कैनाल पंप बनाए गए हैं, कोई भी कैनाल पंप पूरी तरह से पानी किसानों तक नहीं पहुंचा पा रहा है. सरैया पंप कैनाल, रामनगर सीकरी पंप कैनाल इस तरह कई कैनाल है, जो किसानों को पानी देने में असमर्थ हैं, कई पंप कैनाल तो खराब है तो कइयों के पास गंगा का पानी नीचे चले जाने से नहीं दे पाते. इसके अलावा यहां पर कई रेलवे क्रॉसिंग है. जहां पर ओवरब्रिज की जरूरत है, क्योंकि आए दिन इन रेलवे क्रॉसिंग पर हादसा होता रहता है. हर बार चुनाव में आश्वासन दिया जाता है. वादा किया जाता है, लेकिन पूरा नहीं होता है. खराब सड़क भी यहां का मुद्दा हो सकता है.

मिर्जापुर: पांच विधानसभाओं वाला जनपद मिर्जापुर का 397 मझवां विधानसभा का एक अपना अलग इतिहास है. इस सीट पर कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी का दबदबा रहा है. यहां से समाजवादी पार्टी की कभी जीत नहीं हुई है. मझवां सीट 1969 तक रिजर्व थी. 1974 में पहली बार यह सीट सामान्य हुई यहां से कांग्रेस से रूद्र प्रसाद सिंह विधायक बने. यह विधानसभा 1989 तक प्रदेश के वीआईपी विधानसभाओं में शुमार थी. यहां से विधायक बनने के बाद नेता मंत्री हुआ करते थे, लेकिन 1993 के बाद मंत्री का ताज छिन गया और क्षेत्र विकास के दौड़ से काफी पीछे छूट गया. अब यहां पर समस्याओं का अंबार है.

कभी यह सीट उत्तर प्रदेश के वीआईपी सीटों में शुमार थी
स्वतंत्र भारत के बाद उत्तर प्रदेश में पहली बार 1952 में विधानसभा का चुनाव हुआ. उसी समय मझवां विधानसभा सीट भी अस्तित्व में आ गई थी, लेकिन मझवां, कछवां का जो क्षेत्र था वह सदर विधानसभा सीट का हिस्सा हुआ करता था. वर्ष 1969 यह सीट रिजर्व थी. यहां से अनुसूचित जाति के प्रत्याशी चुनकर विधानसभा पहुंचते थे. यह सीट उत्तर प्रदेश के वीआईपी सीटों में शुमार थी जब यहां से विधायक बनने के बाद नेता मंत्री हुआ करते थे. मंत्रियों में पंडित लोकपति त्रिपाठी, रूद्र प्रसाद सिंह, भागवत पाल की गणना दिग्गजों में हुआ करती थी.

जानकारी देते संवाददाता

चुनावी इतिहास
मझवां विधानसभा के चुनाव की इतिहास की बात किया जाए तो यहां पर शुरू में कांग्रेस बाद में बसपा का दबदबा रहा है. कांग्रेस के प्रत्याशी को 8 बार, बहुजन समाज पार्टी को 5 बार, भारतीय जनता पार्टी को दो बार और भारतीय जन संघ, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, जनता दल को एक एक बार सफलता मिली है. यहां से समाजवादी पार्टी का कभी जीत नहीं हुई है.

वर्षपार्टीविधायक
1952 कांग्रेस बेचन राम
1957 कांग्रेस बेचन राम
1960 कांग्रेस बेचन राम
1962 भारतीय जनसंघरामकिशुन
1967 कांग्रेसबेचन राम
1969 कांग्रेसबेचन राम
1974 कांग्रेस रूद्र प्रसाद सिंह
1977 संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी शिवदास
1980 कांग्रेसपंडित लोकपति त्रिपाठी
1985 कांग्रेस पंडित लोकपति त्रिपाठी
1989 जनता दल रूद्र प्रसाद सिंह
1991 बसपा भागवत पाल
1993 बसपा भागवत पाल
1996 भाजपा रामचंद्र मौर्य
2002बसपा डॉक्टर रमेश चंद बिंद
2007 बसपा डॉक्टर रमेश चंद बिंद
2012 बसपा डॉक्टर रमेश चंद बिंद
2017 भारतीय जनता पार्टी सूचीस्मिता मौर्य



जातिगत आंकड़ा
जातिगत आंकड़ों की बात किया जाए तो यहां पर सबसे अधिक ब्राह्मण हैं. इसके बाद दलित और बिंद समाज की संख्या है. ब्राह्मण 84000, दलित 61000 बिंद 60,000, यादव 35000, क्षत्रिय 11000, भूमिहार 20000, मौर्या 33000, मुस्लिम 20000, पाल 20000, पटेल 22000, प्रजापति 10000 है, कहां जाता है ब्राह्मण जिसे चाहता है वही यहां का विधायक बनता है.

जातिगत आंकड़ा
जातिगत आंकड़ा

कुल वोटर
यहां पर कुल मतदाता की बात किया जाए तो 391245 है, जिसमें पुरुष मतदाता 206603 महिला मतदाता 184612 हैं.

कुल वोटर
कुल वोटर

2017 विधानसभा चुनाव का परिणाम
भारतीय जनता पार्टी से प्रत्याशी सूचीस्मिता मौर्य 1,07,839 मत पाकर यहां से विजयी हुई है. दूसरे नंबर पर लगातार तीन बार से बन रहे विधायक और वर्तमान में बीजेपी से भदोही के सांसद रमेश बिंद को 66680 वोट पाकर संतोष करना पड़ा था. जबकि पहली बार समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के करीबी रोहित शुक्ला को 44212 मत मिले थे.

मझवां विधानसभा
मझवां विधानसभा सीट.

इसे भी पढ़ें-UP Election 2022: बिलासपुर विधानसभा 36 में इस बार भाजपा की राह मुश्किल, जानें क्या है वजह...

क्या रहेगा इस बार यहां का मुद्दा
मझवां विधानसभा ग्रामीण इलाकों में आता है. यहां पर एक नगर पंचायत और तीन विकासखंड लगते हैं. इस विधानसभा में लगभग 20 सालों से सबसे बड़ी मुद्दों की बात किया जाए तो यहां पर किसानों के सिंचाई के लिए गंगा से लिफ्ट कर खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए 4 से 5 कैनाल पंप बनाए गए हैं, कोई भी कैनाल पंप पूरी तरह से पानी किसानों तक नहीं पहुंचा पा रहा है. सरैया पंप कैनाल, रामनगर सीकरी पंप कैनाल इस तरह कई कैनाल है, जो किसानों को पानी देने में असमर्थ हैं, कई पंप कैनाल तो खराब है तो कइयों के पास गंगा का पानी नीचे चले जाने से नहीं दे पाते. इसके अलावा यहां पर कई रेलवे क्रॉसिंग है. जहां पर ओवरब्रिज की जरूरत है, क्योंकि आए दिन इन रेलवे क्रॉसिंग पर हादसा होता रहता है. हर बार चुनाव में आश्वासन दिया जाता है. वादा किया जाता है, लेकिन पूरा नहीं होता है. खराब सड़क भी यहां का मुद्दा हो सकता है.

Last Updated : Sep 15, 2021, 9:57 AM IST
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