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...तो क्या इतिहास के पन्नों तक ही सिमटकर रह जाएंगे रेलवे स्टेशनों के बुक स्टाल

यूपी के मिर्जापुर स्टेशन पर धीरे-धीरे बुक स्टाल बंद होते जा रहे हैं. जिसकी मुख्य वजह यात्रियों को स्टेशन पर मिलने वाली वाई-फाई की सुविधा है. जिसके चलते यात्री बुक स्टाल से अखबार और मैगजीन नहीं खरीद रहे हैै और स्टेशन पर ज्यादातर यात्री मैगजीन के पन्ने पटलने की जगह मोबाइल की स्क्रीन पर ऊंगलियां फिराते नजर आते हैं.

बुक स्टाल मिर्जापुर रेलवे स्टेशन
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Published : Sep 16, 2019, 9:39 AM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST

मिर्जापुर: आधुनिकता की दौड़ में और मोबाइल का क्रेज बढ़ने से रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में यात्री मैगजीन, अखबार पढ़ते नजर नहीं आते हैं और बुक स्टालों से बिक्री कम होने से धीरे-धीरे दुकानें बंद हो रही हैं. आलम यह है कि दुकानदार भुखमरी के कगार पर आ गए हैं. मिर्जापुर रेलवे स्टेशन पर तीन बुक स्टाल की दुकानें थी, जिसमें से दो बंद हो चुकी हैं. वहीं अब यात्री मैगजीन के पन्ने पलटते हुए नहीं दिखते, खबरों से लेकर मनोरंजन तक यात्री मोबाइल में ही देख लेते हैं. अगर यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं, जब स्टेशनों के बुक स्टाल महज इतिहास के पन्नों तक ही दफन होकर रह जाएंगे.

स्टेशन पर इंटरनेट शुरुआत के बाद बंद हो रहे बुक स्टाल.

पढ़ें: मिर्जापुर में अंतर वाहिनी शूटिंग प्रतियोगिता शुरू

बुक स्टाल पर बिक्री कम होने से भुखमरी की कगार पर दुकानदार
एक दौर था जब दो दशक पहले अच्छी पुस्तकों और अखबार के लिए लोग रेलवे स्टेशन की बुक स्टालों पर जाते थे और सफर के दौरान ज्ञानवर्धक पुस्तकों का सहारा लेते थे. जिससे उनका ज्ञान तो बढ़ता ही था, साथ ही टाइम पास भी हो जाता था. वहीं आज के समय के बदलते दौर में यात्रा के समय किताब और अखबार खरीदना और उनके पन्ना पलटना दूर की बात होती जा रही है. अब रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर बने बुक स्टाल महज केवल अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं.

फ्री वाई-फाई मिलने से घटा मैगजीन और अखबार का क्रेज

वहीं इस मामले पर ईटीवी भारत ने यात्रियों से बातचीत कर उनकी राय जानी, जहां यात्रियों का कहना था कि पहले हम लोग यात्रा के समय या रेलवे स्टेशन पर टाइम पास करने के लिए और ज्ञान के लिए मैगजीन अखबार का सहारा लेते थे लेकिन अब स्टेशन पर वाई-फाई और अपने मोबाइल में नेट होने से हम लोग दुकान से किताब या अखबार नहीं लेते हैं. हम लोग खबरे, गाने और वीडियो मोबाइल में ही देख लेते हैं.

ईटीवी भारत ने इस मामले में दुकानदार बृजेश उपाध्याय से बातचीत की, जहां उन्होंने कहा कि मोबाइल का क्रेज आ गया है और यात्री अखबार और मैगजीन क्यों खरीदेगा. अखबार उसको चार रुपये में में मिलता है. जबकि रेलवे स्टेशन पर फ्री वाईफाई की सुविधा है. वहीं यात्रियों मोबाइल में भी नेट फ्री चल रहा हैं, इसलिए दुकानों पर ग्राहक आना कम हो गए हैं और हम लोग भुखमरी की कगार पर आ गए हैं. मिर्जापुर स्टेशन पर तीन बुक की दुकानें थी. जिसमें से दो दुकानें बंद हो चुकी हैं, एक है अभी तो मैं उसको महज कुछ घंटों के लिए खोलता हूं, लेकिन ग्राहक का इंतजार रहता है. जहां इक्का-दुक्का कोई ग्राहक आ गया तो आ गया, नहीं तो खाली हाथ ही मुझे दुकान बंद करके वापस जाना पड़ता है.

मिर्जापुर: आधुनिकता की दौड़ में और मोबाइल का क्रेज बढ़ने से रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में यात्री मैगजीन, अखबार पढ़ते नजर नहीं आते हैं और बुक स्टालों से बिक्री कम होने से धीरे-धीरे दुकानें बंद हो रही हैं. आलम यह है कि दुकानदार भुखमरी के कगार पर आ गए हैं. मिर्जापुर रेलवे स्टेशन पर तीन बुक स्टाल की दुकानें थी, जिसमें से दो बंद हो चुकी हैं. वहीं अब यात्री मैगजीन के पन्ने पलटते हुए नहीं दिखते, खबरों से लेकर मनोरंजन तक यात्री मोबाइल में ही देख लेते हैं. अगर यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं, जब स्टेशनों के बुक स्टाल महज इतिहास के पन्नों तक ही दफन होकर रह जाएंगे.

स्टेशन पर इंटरनेट शुरुआत के बाद बंद हो रहे बुक स्टाल.

पढ़ें: मिर्जापुर में अंतर वाहिनी शूटिंग प्रतियोगिता शुरू

बुक स्टाल पर बिक्री कम होने से भुखमरी की कगार पर दुकानदार
एक दौर था जब दो दशक पहले अच्छी पुस्तकों और अखबार के लिए लोग रेलवे स्टेशन की बुक स्टालों पर जाते थे और सफर के दौरान ज्ञानवर्धक पुस्तकों का सहारा लेते थे. जिससे उनका ज्ञान तो बढ़ता ही था, साथ ही टाइम पास भी हो जाता था. वहीं आज के समय के बदलते दौर में यात्रा के समय किताब और अखबार खरीदना और उनके पन्ना पलटना दूर की बात होती जा रही है. अब रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर बने बुक स्टाल महज केवल अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं.

फ्री वाई-फाई मिलने से घटा मैगजीन और अखबार का क्रेज

वहीं इस मामले पर ईटीवी भारत ने यात्रियों से बातचीत कर उनकी राय जानी, जहां यात्रियों का कहना था कि पहले हम लोग यात्रा के समय या रेलवे स्टेशन पर टाइम पास करने के लिए और ज्ञान के लिए मैगजीन अखबार का सहारा लेते थे लेकिन अब स्टेशन पर वाई-फाई और अपने मोबाइल में नेट होने से हम लोग दुकान से किताब या अखबार नहीं लेते हैं. हम लोग खबरे, गाने और वीडियो मोबाइल में ही देख लेते हैं.

ईटीवी भारत ने इस मामले में दुकानदार बृजेश उपाध्याय से बातचीत की, जहां उन्होंने कहा कि मोबाइल का क्रेज आ गया है और यात्री अखबार और मैगजीन क्यों खरीदेगा. अखबार उसको चार रुपये में में मिलता है. जबकि रेलवे स्टेशन पर फ्री वाईफाई की सुविधा है. वहीं यात्रियों मोबाइल में भी नेट फ्री चल रहा हैं, इसलिए दुकानों पर ग्राहक आना कम हो गए हैं और हम लोग भुखमरी की कगार पर आ गए हैं. मिर्जापुर स्टेशन पर तीन बुक की दुकानें थी. जिसमें से दो दुकानें बंद हो चुकी हैं, एक है अभी तो मैं उसको महज कुछ घंटों के लिए खोलता हूं, लेकिन ग्राहक का इंतजार रहता है. जहां इक्का-दुक्का कोई ग्राहक आ गया तो आ गया, नहीं तो खाली हाथ ही मुझे दुकान बंद करके वापस जाना पड़ता है.

Intro:आधुनिकता की दौड़ में और मोबाइल के क्रेज में अब रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में यात्री मैगजीन अखबार पढ़ते नजर नहीं आते हैं बुक स्टालों से बिक्री कम होने से धीरे-धीरे दुकानें बंद हो रही हैं दुकानदार भुखमरी के कगार पर आ गए हैं मिर्जापुर रेलवे स्टेशन पर तीन बुक स्टाल की दुकानें थी जिसमें से दो बंद हो चुके हैं एक है भी तो कुछ घंटे के लिए ही खोला जाता है अब यात्री पन्ना नहीं पलटता खबरों के साथ मनोरंजन तक मोबाइल में ही देख लेता है यही हाल रहा तो स्टेशन पर बुक स्टाल इतिहास के पन्नों में दफन होकर महज कहानी बनकर रह जाएंगी।


Body:एक दौर था दो दशक पहले जब अच्छी पुस्तकों और अखबार के लिए लोग रेलवे स्टेशन की बुक स्टालों पर जाते थे सफर के दौरान व ज्ञानवर्धक पुस्तकों का सहारा लेते थे इससे उनका ज्ञान बढ़ता और टाइम पास भी हो जाता था यात्रा के समय लेकिन बदलते दौर में किताब और अखबार खरीदना और उसके पन्ना पलटना दूर की बात होती जा रही है अब रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर बने बुक स्टाल महज केवल अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं । तीन बुक स्टाल की दुकानें थी मिर्जापुर रेलवे स्टेशन पर उसमें से दो बंद हो गए हैं एक है भी तो वह कुछ घंटे के लिए खोला जाता है और यह तय नहीं है कि उस समय भी कुछ बिक्री हो जाए। फिर भी दुकानदार अपने काम को अंजाम देने में लगे हैं दुकानें बंद होने और बिक्री कम होने से दुकानदार भुखमरी की कगार पर आ गए हैं।
स्टेशन पर आए यात्रीयो का कहना है कि पहले हम लोग यात्रा के समय या रेलवे स्टेशन पर टाइम पास करने के लिए और ज्ञान के लिए मैगजीन अखबार का सहारा लेते थे लेकिन अब स्टेशन पर वाई-फाई और अपने मोबाइल में नेट होने से हम लोग दुकान से किताब या अखबार नहीं लेते हैं इसी मोबाइल में से पढ़ लेते हैं और किताब और अखबार मंगा भी पड़ता है इस कारण अब हम लोग मोबाइल कहीं से भी बैठ कर पढ़ लेते हैं।
दुकानदार भी मानते हैं कि मोबाइल का क्रेज आ गया है कोई क्यों अखबार हमारा और मैं जिन खरीदेगा अखबार उसको 4:00 बजे ही मोबाइल में मिल जा रहा है रेलवे स्टेशन पर वाई फाई है उनके मोबाइल में भी नेट फ्री चल रहा है इसलिए दुकानों को ग्राहक कम हो गए हैं हम लोग भुखमरी की कगार पर आ गए हैं हमारे स्टेशन पर तीन दुकानें थी दो दुकानें बंद हो चुकी हैं एक है अभी तो मैं उसको महज कुछ घंटे के लिए खोलता हूं लेकिन ग्राहक का इंतजार रहता है इक्का-दुक्का कोई आ गया तो आ गया नहीं तो खाली हाथ ही मुझे दुकान बंद करके वापस जाना पड़ता है।

Bite-अनुराग मिश्रा-यात्री
Bite-बृजेश-यात्री
Bite-बृजेश उपाध्याय-दुकानदार


Conclusion:ज्ञान को बढ़ाने के लिए पुस्तक के अति आवश्यक है पुस्तकों को सच्चा मित्र कहा गया है लेकिन यह मित्रम मोबाइल के माध्यम से ही लोगों के लिए सहारा बन गया है पैसा खर्च करके पुस्तक करना उसे सजना और फिर पढ़ना दूर की बात होती जा रही है मोबाइल के अंदर ही सब कुछ उपलब्ध होने के कारण अब छात्र और यात्री मोबाइल पर ही मनोरंजन के साथ पुस्तक पढ़ रहे हैं। अब यात्रियों के बीच सफर के दौरान किताब के पन्नों के पलटने की परंपरा धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है मोबाइल के कारण लोग अब पुस्तक और अखबार से दूर हो रहे हैं यही हाल रहा तो बुक स्टाल इतिहास के पन्नों में दफन होकर रह जाएंगी।

जय प्रकाश सिंह
मिर्ज़ापुर
9453881630
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST
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