मिर्जापुरः जिले के चुनार में बनने वाली लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति कई प्रदेश में बिक्री के लिए जाता है. यहां के लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति की मांग नेपाल में भी है. बहुत कम पूंजी में 50 हजार से लेकर 10 लाख रुपये तक लगाकर कारोबारी दीपावली पर लक्ष्मी गणेश बनाते है जो लोगों के घर घर पहुंच जाते हैं.
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कई सालों से गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां की जाती है तैयार
चुनार में कई सालों से गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां यहां के कारोबारी बनाते हैं. यहां पर लगभग 250 से 300 तक मूर्ती बनाने की यूनिट अभी काम कर रही हैं. इसमें छोटे से लेकर बड़े कारोबारियों तक काम कर रहे हैं. यहां की मूर्तियां छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, बिहार के साथ नेपाल में भी सप्लाई किया जाता है. ज्यादातर कारोबारी गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां घर-घर पहुंचाते हैं.
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जीएसटी से हो रही लोगों को परेशानी
कारोबारी अखिल जोशी का कहना है कि इस व्यापार से बहुत लोग जुड़े हैं. एक लंबा रोजगार है जीएसटी ना हो तो हम लोगों के लिए अच्छा होगा. हम लोग लक्ष्मी-गणेश बनाते हैं. ज्यादातर बिहार में मध्यप्रदेश में छत्तीसगढ़ में और नेपाल में यहां की मूर्तियां जाती हैं. जीएसटी होने से छोटे व्यापारी को बहुत दिक्कत होती है सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए.
पहले चलता था पाटरी उद्योग
पहले यहां पर पाटरी उद्योग चलता था. कोयले की सप्लाई न होने से और रॉ मटेरियल न मिलने से धीरे धीरे यह उद्योग पूरी तरह से बंद हो गया है. उसके जगह प्लास्टर ऑफ पेरिस ले लिया. यहां के मूर्तियों के साथ बर्तन भी फेमस है चीनी मिट्टी का जो पहले बनता था. वह भी प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनने लगा है, लेकिन ज्यादातर अब मूर्तियां और खिलौने का कारोबार किया जा रहा है. पहले कोयला और रॉ मटेरियल न मिलने से पाटरी उद्योग समाप्त हो गया. अब जीएसटी से मूर्तियां और खिलौने में भी परेशानी आना शुरू हो गया है.