मिर्जापुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मां विंध्यवासिनी स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय का 25 अक्टूबर को वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किए थे तो वहीं, मिर्जापुर के लोगों को उम्मीद जगी कि अब जिले में इलाज की सुविधा और अच्छी होगी. लेकिन मिर्जापुर मंडलीय अस्पताल में भर्ती मरीजों के तीमारदार बाहर से दवा खरीदने को मजबूर हैं. बुखार दर्द के साथ ही वार्ड में भर्ती मरीजों को डीएनएस की बोतल भी बाहर से लानी पड़ रही है. अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ. आलोक ने बताया कि कुछ दवा खत्म हो गई है. दवाओं को उपलब्ध कराने के लिए कंपनी को पत्र भेजा गया है. लेकिन अभी तक दवा नहीं मिल पाई है. मेडिकल कॉलेज होने के बावजूद भी जिले में गरीब मरीज बाहर से दवा लेने को मजबूर हैं.
मंडलीय अस्पताल में दवा की किल्लत
सरकार हर वर्ष मेडिकल के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च करती है. दवा भी मुहैया कराई जाती है. जिले के सभी अस्पतालों में मुफ्त में दवा व इलाज की व्यवस्था है. लेकिन सरकार के इन दावों की असल सूरत मिर्जापुर के मंडलीय अस्पताल में देखने को मिली.
इस अस्पताल में दवा की कमी के कारण मरीजों के परिजनों को बाहर से दवा लानी पड़ रही है. तीमारदारों की मानें तो कुछ दवा यहां मिल रही है, लेकिन ज्यादातर दवाइयां बाहर से ही लेनी पड़ रही है. आलम यह है कि अस्पताल में दर्द से लेकर बुखार तक की दवाइयां नहीं हैं.
प्रयागराज जनपद से आए राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि सीने में दर्द होने के चलते मरीज को लाए हैं. यहां पर थोड़ी बहुत दवा अंदर से दी गई है तो वही, शेष दवा, इंजेक्शन और पानी बाहर से खरीदने को मजबूर हैं. बता दें कि मंडलीय स्थल होने के चलते मिर्जापुर के साथ ही सोनभद्र, भदोही के अलावा मध्य प्रदेश तक के मरीज यहां इलाज के लिए आते हैं.
दवाइयों की कमी पर सवाल पूछे जाने पर प्रमुख अधीक्षक डॉ. आलोक ने कहा कि कुछ दवाओं की कमी है और आपूर्ति के लिए विभाग को पत्र लिखा गया है. खैर, बीच-बीच में दवाइयां खत्म होती रहती है. पत्र लिखा गया है कि और उम्मीद है कि जल्द ही दवा उपलब्ध करा दी जाएगी.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप