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नाविकों को सता रहा डर, लॉकडाउन हुआ तो कैसे चलेगा घर

उत्तर प्रदेश में बढ़ते कोरोना मामलों को देखते हुए वीकेंड लॉकडाउन लगाया गया है. पूर्ण लॉकडाउन लगने की अफवाहों से मिर्जापुर के नाविकों में डर का माहौल है. उनका कहना है कि अगर सरकार लॉकडाउन लगाती है, तो भूखमरी की स्थिति पैदा हो जाएगी.

नाविकों को सता रहा लाकडॉउन का डर.
नाविकों को सता रहा लाकडॉउन का डर.
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Published : Apr 19, 2021, 1:21 PM IST

मिर्जापुर: जिले में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मरीजों के कारण नाइट कर्फ्यू लगाया गया है. इससे मिर्जापुर के नाविकों को फिर से लॉकडाउन का डर सता रहा है. नाविक पिछले साल की पीड़ा से अब तक नहीं उबर पाए हैं. नाविकों का कहना है कि अब पूंजी नहीं बची है, जिससे परिवार चलाया जा सकें. अगर अब लॉकडाउन लगा, तो परिवार पालना मुश्किल हो जाएगा.

नाविकों को सता रहा लाकडॉउन का डर.
दोबारा लॉकडाउन हुआ तो कैसे पार होगी नैय्याकोरोना वायरस की दूसरी लहर ने कई राज्यों की हालत खराब कर दी है. इसमें यूपी भी शामिल है. बढ़ते कोरोना के चलते मिर्जापुर में नाइट कर्फ्यू के अलावा सख्ती बढ़ा दी गई है. ऐसे में पूरे दिन मेहनत कर परिवार चलाने वाले लोगों को अब फिर से लॉकडाउन का डर सताने लगा है. मिर्जापुर के कचहरी घाट से सैकड़ों लोगों को गंगा नदी के इस पार से उस पार लगाने वाले नाविकों को डर है कि सरकार फिर से लॉकडाउन न लगा दे.

कड़ी धूप में पसीना बहा रहे नाविकों का कहना है कि पिछले साल लॉकडाउन लगने से चार महीने नाव का संचालन नहीं हुआ था. बची-खुची कमाई से ही परिवार का खर्च चल रहा था और रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया था. अब धीरे-धीरे गाड़ी रास्ते पर आ रही थी, लेकिन लॉकडाउन की आशंका बढ़ रही है. अगर इस बार फिर लॉकडाउन लगा, तो अब हमारे पास कुछ भी नहीं बचा है, जिससे घर चलाया जा सके.


अब लॉकडाउन लगा तो परिवार चलाना होगा मुश्किल
पिछले साल लगे लॉकडाउन से मजदूरों की जहन में आज भी कड़वी यादें ताजा हैं. नाविक श्यामा चरण और बलराम ने बताया कि पिछले साल लगे लॉकडाउन की वजह से स्थिति बहुत खराब हो गई थी. जिले में नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है. दोबारा लॉकडाउन लगा तो बहुत मुश्किल हो जाएगी.

इसे भी पढ़ें- आम श्रद्धालुओं के लिए मां विंध्यवासिनी मंदिर 21 अप्रैल तक बन्द

इसे भी पढ़ें- सड़क हादसे में जिला पंचायत प्रत्याशी समेत दो की मौत, 6 घायल

जिला पंचायत से लाइसेंस लेकर चलाते हैं नाविक नाव
नाविक प्रति एक यात्री से निर्धारित किराया 5 रुपये लेते हैं. दिन भर की मेहनत के बाद 250 से लेकर 400 रुपये तक की कमाई कर लेते हैं. गंगा में बाढ़ आती है, तो नाव चलना भी बंद हो जाती है. इन नाविकों के पास जीविका चलाने का मात्र एक साधन नाव ही है. नाविकों का कहना है कि पिछली बार जब लॉकडाउन लगा था, तो पूरे कचहरी घाट को सील कर दिया गया था. हालांकि सरकार की तरफ से राशन मुहैया कराया जाता था, लेकिन उसके बाद भी लोगों को कई अन्य तरीके की समस्या झेलनी पड़ी थी. उनका कहना है कि कोरोना का प्रकोप एक बार फिर बढ़ रहा है, जिससे अब मन में डर है कि कहीं फिर से लॉकडाउन न लगा दिया जाय. और ऐसा हुआ तो आगे क्या होगा.

मिर्जापुर: जिले में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मरीजों के कारण नाइट कर्फ्यू लगाया गया है. इससे मिर्जापुर के नाविकों को फिर से लॉकडाउन का डर सता रहा है. नाविक पिछले साल की पीड़ा से अब तक नहीं उबर पाए हैं. नाविकों का कहना है कि अब पूंजी नहीं बची है, जिससे परिवार चलाया जा सकें. अगर अब लॉकडाउन लगा, तो परिवार पालना मुश्किल हो जाएगा.

नाविकों को सता रहा लाकडॉउन का डर.
दोबारा लॉकडाउन हुआ तो कैसे पार होगी नैय्याकोरोना वायरस की दूसरी लहर ने कई राज्यों की हालत खराब कर दी है. इसमें यूपी भी शामिल है. बढ़ते कोरोना के चलते मिर्जापुर में नाइट कर्फ्यू के अलावा सख्ती बढ़ा दी गई है. ऐसे में पूरे दिन मेहनत कर परिवार चलाने वाले लोगों को अब फिर से लॉकडाउन का डर सताने लगा है. मिर्जापुर के कचहरी घाट से सैकड़ों लोगों को गंगा नदी के इस पार से उस पार लगाने वाले नाविकों को डर है कि सरकार फिर से लॉकडाउन न लगा दे.

कड़ी धूप में पसीना बहा रहे नाविकों का कहना है कि पिछले साल लॉकडाउन लगने से चार महीने नाव का संचालन नहीं हुआ था. बची-खुची कमाई से ही परिवार का खर्च चल रहा था और रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया था. अब धीरे-धीरे गाड़ी रास्ते पर आ रही थी, लेकिन लॉकडाउन की आशंका बढ़ रही है. अगर इस बार फिर लॉकडाउन लगा, तो अब हमारे पास कुछ भी नहीं बचा है, जिससे घर चलाया जा सके.


अब लॉकडाउन लगा तो परिवार चलाना होगा मुश्किल
पिछले साल लगे लॉकडाउन से मजदूरों की जहन में आज भी कड़वी यादें ताजा हैं. नाविक श्यामा चरण और बलराम ने बताया कि पिछले साल लगे लॉकडाउन की वजह से स्थिति बहुत खराब हो गई थी. जिले में नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है. दोबारा लॉकडाउन लगा तो बहुत मुश्किल हो जाएगी.

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नाविक प्रति एक यात्री से निर्धारित किराया 5 रुपये लेते हैं. दिन भर की मेहनत के बाद 250 से लेकर 400 रुपये तक की कमाई कर लेते हैं. गंगा में बाढ़ आती है, तो नाव चलना भी बंद हो जाती है. इन नाविकों के पास जीविका चलाने का मात्र एक साधन नाव ही है. नाविकों का कहना है कि पिछली बार जब लॉकडाउन लगा था, तो पूरे कचहरी घाट को सील कर दिया गया था. हालांकि सरकार की तरफ से राशन मुहैया कराया जाता था, लेकिन उसके बाद भी लोगों को कई अन्य तरीके की समस्या झेलनी पड़ी थी. उनका कहना है कि कोरोना का प्रकोप एक बार फिर बढ़ रहा है, जिससे अब मन में डर है कि कहीं फिर से लॉकडाउन न लगा दिया जाय. और ऐसा हुआ तो आगे क्या होगा.

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