मिर्जापुर: शहरों और नगर निगमों के तर्ज पर अब ग्रामीण क्षेत्र में भी कूड़ा निस्तारण के लिए तेजी से काम किया जा रहा है. रिसोर्स सेग्रीगेशन सेंटर (कूड़ा छटनी केंद्र) से अब गांवों की तस्वीर बदल रही है. कूड़ा निस्तारण और प्लास्टिक की समस्या से निजात पाने के लिए गांव में अलग-अलग कूड़ा रखने की व्यवस्था की गई है. इस अभियान के तहत कई गांव में रिसोर्स सेग्रीगेशन सेंटर (कूड़ा छटनी केंद्र) बनाया गया है. इस क्रेंद्र की स्थापना के बाद स्वच्छता अभियान को एक नया आयाम मिल रहा है.
गांवों में घरों से निकलने वाला कूड़ा एक बड़ी समस्या बना हुआ था. इसके निस्तारण के लिए जिला प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ती थी. रिसोर्स सेग्रीगेशन सेंटर (कूड़ा छटनी केंद्र) इसके निस्तारण में अहम भूमिका निभा रहा है. इसके चलते जनपद के गांवों में कूड़ा निस्तारण की समस्या से निजात मिल रही है. इस अभियान के तहत जिले की 20 ग्राम पंचायतों में रिसोर्स सेग्रीगेशन सेंटर (कूड़ा छटनी केंद्र) की व्यवस्था की गई है.
कूड़े का विभिन्न माध्यमों से निस्तारण
इस क्रेंद में गीला कूड़ा और सूखे कूड़े को रखने के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गई है. अब गांव वाले जागरूक होकर इसी में अलग-अलग करके कूड़ा रखते हैं. इसके भर जाने पर सफाई कर्मचारी आकर कूड़ा ले जाते हैं. सफाई कर्मी भी कूड़ा निस्तारण में लगे रहते हैं. सॉलिड लिक्विड रिसोर्स मैनेजमेंट सेंटर के माध्यम से गांव का कूड़ा इकट्ठा किया जाएगा. इसके बाद रीसाइकलिंग करने योग्य कूड़े को संबंधित इकाइयों को भेज दिया जाएगा, जबकि शेष कूड़े का सेग्रीगेशन कर खाद और अगरबत्ती या कोई अन्य सामग्री बनाने में उपयोग किया जाएगा. इन उत्पादों की बिक्री की जाएगी.
गांवों को जारी किया गया है बजट
जनवरी 2020 से जिले के विकासखंड सिटी के भटौली, छानबे के भेदपुर, सीखड़ के कठेरवा, आराजीलाइन सुल्तानपुर, नारायणपुर के रामरायपुर जैसी 20 ग्राम पंचायतों में इस योजना की शुरुआत की गई है. प्रशासन का कहना है कि अच्छा रिस्पॉन्स होने पर पूरे जनपद में इन अभियान की शुरुआत की जाएगी. जनपद में कुल 12 ब्लॉक, 105 न्याय पंचायत, 809 ग्राम पंचायत 1877 गांव हैं. इसके लिए जनपद में अब तक 39 लाख 75 हजार का बजट भी इन गांवों को जारी किया गया है.
शहरों और नगरों निगम की तर्ज पर काम
इस बारे में ईटीवी भारत से मुख्य विकास अधिकारी अविनाश सिंह ने बताया कि शहरों और नगरों निगम की तर्ज पर ग्रामीण क्षेत्र में भी कई गांवों को चिन्हित करके गीला कूड़ा, सूखा कूड़ा और पॉलिथीन बैंक बनाया गया है. इसमें गांव वाले अपने घर के कूड़ा अलग-अलग करके रख देते हैं, बाद में सफाई कर्मी की मदद से उस कूड़े को निकाला जाता है. जब यह पॉलिथीन और कूड़ा इकट्ठा हो जाता है तो इसे रिसोर्स सेग्रीगेशन सेंटर के माध्यम से खाद, अगरबत्ती आदि बनाने या अन्य चीजों में प्रयोग में किया जायेगा.
उन्होंने बताया कि इसके साथ ही जनपद में अब 650 सामुदायिक शौचालय गांव में बनाए जा रहे हैं. हर गांव में नगर निगम की तर्ज पर महिलाओं और पुरुषों का अलग-अलग सामुदायिक शौचालय बनाया जाएगा. इनकी साफ-सफाई के लिए एक सफाई कर्मी की भी नियुक्ति की जाएगी. इसके साथ ही शौचालय के सामने पौधारोपण भी किया जाएगा.