मिर्जापुर: जेल में सजा काट रहे कैदी जब सजा पूरी कर वापस अपने घर पहुंचे, तो अपने पैरों पर खड़े होकर समाज में अच्छी जिंदगी जी सकें. इसके लिए मिर्जापुर जिला कारागार में कैदियों को हुनरमंद बनाया जा रहा है. जिला प्रशासन कैदियों को दरी, कारपेट और कालीन बनाना सीखा रहा है. कैदियों को प्रशासन बुनाई करने की मजदूरी देती है. अपने इस काम से कैदियों ने अबतक पांच लाख रुपये कमाये हैं. जिसे कैदियों ने अपने घर जीविकोपार्जन के लिए भेजा है.
जिला कारागार अधीक्षक ने बताया 2019 में तीन पक्षीय अनुबंध हुआ था. जिसमें पहला पक्ष दर्शन सहकार संघ, जबलपुर व दूसरा पक्ष जिला कारागार मिर्जापुर और तीसरा पक्ष मैसर्स विक्रम कारपेट शामिल है. तीनों के सहयोग से दरी उद्योग (Establishment of carpet industry) की स्थापना की गई. मैसर्स विक्रम कारपेट कैदियों को कच्चा माल उपलब्ध कराता है.
काम करने व दरी बनाने के बदले कैदियों को साढ़े तीन सौ रुपये प्रति स्क्वायर गज से मजदूरी दी जाती है. अभी तक जब से उद्योग की स्थापना हुई है, तब से पांच लाख रुपये कैदियों ने कमाई की है. जेल अधीक्षक की निगरानी में कैदी दरी की बुनाई से कमाई कर रहे हैं. कैदियों के द्वारा बने कालीन(दरी) को मैसर्स विक्रम कारपेट विदेशों तक सप्लाई करता है. कमाई के पैसो को कैदियों ने अपने घर भी जीविकोपार्जन के लिए भेजा है. वहीं, कुछ ने इन पैसों से अपनी जमानत भी कराई है.
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उत्तर प्रदेश सरकार ने "एक जिला एक उत्पाद योजना" चला रखा है. इसी योजना के तहत मिर्जापुर जिला कारागार में दरी व कालीन उद्योग की स्थापना की गई. जिला कारागार में बंद कैदी प्रशिक्षण लेकर अपने हुनर से दरी का बना रहे हैं. वर्तमान में 12 कैदी दरी की बुनाई कर रहे हैं. आगे जेल प्रशासन का और भी बंदियों को प्रशिक्षण दिए जाने की योजना बनाई जा रही है. जो बंदी प्रशिक्षण लेना चाहेंगे, उन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा. जिससे वह हुनर सीख कर अपना और परिवार का जीविकोपार्जन कर सके और समाज में एक अच्छी जिंदगी जी सकें.
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