मिर्जापुर: पत्थर के चाक पर कड़ी मेहनत, संघर्ष और कम मुनाफा बन चुके कुम्हारों की पहचान को अब इलेक्ट्रॉनिक चाक से उनके दिन बहुरने वाले हैं. मिर्जापुर के जिला खादी ग्रामोद्योग पथरिया कार्यालय में 48 कुम्हारों को माटी कला योजना के तहत इलेक्ट्रॉनिक चाक का वितरण किया गया. हाईटेक इलेक्ट्रॉनिक चाक से कुम्हार मिट्टी के बर्तन को सुंदर और कम समय में ज्यादा बर्तन बनाकर अच्छी कमाई कर सकेंगे.
इलेक्ट्रॉनिक चाक मिलने से कुम्हार खुश दिखाई दिए. उन्होंने कहा कि पत्थर के चाक में ज्यादा मेहनत लगता था और कमाई कम होती थी. अब इलेक्ट्रॉनिक चाक मिल जाने से कम समय में अच्छी कमाई होने लगेगी.
कुम्हारों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार माटी कला योजना के अंतर्गत कुम्हारों को इलेक्ट्रॉनिक चाक मुहैया करा रही है. पत्थर के चाक को बार-बार लकड़ी के डंडे से चलाना पढ़ता था. कुम्हारों की पत्थर के चाक में अधिक मेहनत लगती थी और कम बर्तन बना पाते थे. पूरी शक्ति चाक चलाने में ही समाप्त हो जाती थी. इस शक्ति को बचाने और तीव्र गति से काम करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक चाक दी जा रही है.
इस चाक को चलाने में बिजली की शक्ति का प्रयोग किया जाएगा, जिससे कुम्हार कम समय में अधिक काम कर पाएंगे. कई डिजाइनें भी मिट्टी के बर्तनों पर बना सकते हैं. कुम्हारों की परंपरागत आजीविका को बचाए रखने के लिए इलेक्ट्रॉनिक चाक दिया जा रहा है. मिर्जापुर के जिला खादी ग्रामोद्योग पथरिया कार्यालय में उपायुक्त उद्योग विनोद कुमार चौधरी और जिला ग्रामोद्योग अधिकारी जवाहरलाल ने चयनित 48 कुम्हारों को माटी कला योजना के तहत इलेक्ट्रॉनिक चाक का वितरण किया. इस इलेक्ट्रॉनिक चाक की कीमत लगभग 15 हजार है. मिट्टी के बर्तनों दीप, कुल्हड़, मटका, घड़ा और कई बर्तनों को अब सुंदर आकृति प्रदान कर यह कुम्हार इलेक्ट्रॉनिक चाक से कर पाएंगे. इससे इनकी आमदनी दोगुनी होगी और परिवार का खर्च भी चलेगा. एक चाक से एक परिवार के चार सदस्यों को लाभ मिलेगा.
जिला ग्रामोद्योग अधिकारी जवाहरलाल ने बताया कि 48 को कुम्हारों को इलेक्ट्रॉनिक चाक दिया जा रहा है. इसके पहले भी 27 कुम्हारों को चाक वितरण किया जा चुका है. इलेक्ट्रॉनिक चाक मिल जाने से कुम्हार कम मेहनत में ज्यादा सामान का निर्माण कर सकेंगे और मुनाफा ज्यादा कमा सकेंगे. एक चाक से 4 सदस्य को रोजगार मिलेगा. वहीं 48 चाक, जो मंगलवार को दिए जा रहे हैं. इससे लगभग 200 लोगों को रोजगार मिलने जा रहा है.
चाक पाए कुम्हारों का कहना है कि पहले वे लोग पत्थर के चाक पर बर्तन बनाते थे, जिसमें मेहनत लगती थी. अब इलेक्ट्रॉनिक चाक मिल जाने से वे लोग कम समय में ज्यादा बर्तन बनाकर अच्छी कमाई कर पाएंगे. वे लोग बहुत खुश हैं कि सरकार उन कुम्हारों के लिए भी योजना चला रही है. इससे वे लोग अपनी परंपरागत पेशे से भी जुड़े रहेंगे और परिवार का खर्चा भी चलता रहेगा.