ETV Bharat / state

यहां महिलाएं करती हैं पितरों का श्राद्ध और तर्पण, त्रेता युग से चली आ रही परंपरा

इन दिनों पितृ पक्ष चल रहा है. ऐसे में हम आपको लिए चलते हैं सीता कुंड जहां महिलाएं अपने पूर्वजों का श्राद्ध करती हैं. कहा जता है कि माता सीता ने यहां अपने पूर्वजों का तर्पण किया था, जिसके बाद से ये परंपरा चलती आ रही है.

सीता कुंडा का इतिहास
सीता कुंडा का इतिहास
author img

By

Published : Sep 30, 2021, 11:14 PM IST

मिर्जापुर : पितृ पक्ष के महीने में अपने पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध के साथ ही दान करते अभी तक आप पुरुषों को देखे होंगे लेकिन, आज हम आपको मिर्जापुर में एक ऐसा स्थान दिखाने जा रहे हैं जहां पर महिलाएं अपने पितरों का श्राद्ध और तर्पण करती हैं. यह परंपरा त्रेता युग से चला रहा है. हम बात कर रहे हैं मिर्जापुर जनपद में विंध्य पर्वत स्थित सीता कुंड की. मानता है कि इसकी स्थापना सीता मां त्रेता युग में की थी. कहा जाता है कि माता सीता ने यहां पर अपने पूर्वजों का तर्पण और श्राद्ध किया था. जिसके बाद से महिलाएं पितृ पक्ष में मातृ नवमी के दिन केवल महिलाएं सीता कुंड पर तर्पण करती हैं. महिलाएं पहले सीता कुंड में स्नान करती हैं इसके बाद माता सीता के साथ भगवान राम और उनके भाई लक्ष्मण का दर्शन पूजन कर अपने पूर्वजों को जल चढ़ाकर पिंडदान करती हैं. साथ ही गरीबों को दान कर अपने पितरों का आशीर्वाद लेती है.


शास्त्रों में मान्यता है कि श्राद्ध कर्म पर पहला अधिकार पुरुषों का है. इन दिनों पितृपक्ष का महीना चल रहा है और पितरों की तृप्ति करने का काम किया जा रहा है. ऐसे में मिर्जापुर का एक ऐसा स्थान है जहां पर महिलाएं रूढ़िवादी जंजीरों को तोड़ कर अपने पूर्वजों के लिए तर्पण कर रही हैं. इसे उनकी मजबूरी कहें या आधुनिक सोच से कदमताल लेकिन यह कदम नारी शक्ति के उदय को प्रतिबिंबित करने के लिए यहां की तस्वीर काफी है. महिलाएं अब अर्थी को कंधा देने मुख्य अग्नि देने के साथ तर्पण भी करती दिखाई दे रही हैं. मिर्जापुर के विंध्याचल पहाड़ी पर स्थित सीता कुंड में हजारों की संख्या में महिलाएं मातृ नवमी के दिन पहुंचकर अपने पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध और दान करती हैं.

सीता कुंडा का इतिहास
विंध्य पर्वत भक्तों के लिए आस्था का केंद्र हमेशा से रहा है. त्रेता युग में बनवास कार्य के दौरान जब भगवान राम लक्ष्मण और माता सीता के साथ जंगल में घूम रहे थे तब राजा दशरथ की मृत्यु की खबर लगने पर भगवान राम ने राम घाट पर पिंडदान किया था. माता-सीता ने सीता कुंड में स्नान कर तर्पण किया था. तब से यह परंपरा चली आ रही है. हजारों की संख्या में महिलाएं दिल्ली महाराष्ट्र मध्य प्रदेश झारखंड उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों से महिलाएं सीता कुंड पहुंचती है और सीता कुंड में स्नान करती हैं. इसके बाद सीता माता और भगवान राम-लक्ष्मण के दर्शन पूजन करती हैं. इसके बाद अपने पूर्वजों के लिए जल देकर पिंड दान करती है साथ ही गरीबों को भी दान पुण्य करती हैं.श्राद्ध पक्ष के चलते कई जगह पवित्र स्थलों पर बड़ी संख्या में लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए नियमित तर्पण और पिंडदान कर रहे हैं. मिर्जापुर के सीता कुंड में तर्पण करने आए महिलाओं का कहना है कि यहां पर सदियों से महिलाएं तर्पण करती चली आ रही है. ऐसा मानता है कि यहां पर सीता ने अपने पूर्वजों के लिए तर्पण की थी इसलिए हम लोग भी यहां पर पहुंचकर तर्पण करते हैं. जिससे हमारे पूर्वजों के आत्मा को शांति मिले और हमें उनका आशीर्वाद मिले.


सीता कुंड के पुजारी राजकुमार ने बताया कि यह परंपरा त्रेता युग से होता चला आ रहा है. कोई नहीं बता पाएगा कब से यहां पर महिलाएं तर्पण श्राद्ध और दान पूर्ण मातृ नवमी के दिन करती हैं चली आ रही हैं. बताया जाता है सीता मां ने यहां पर अपने पितरों के लिए तर्पण की थी तभी से यह परंपरा चली आ रही है हजारों की संख्या में कई प्रदेशों के महिलाएं यहां आकर तर्पण करती हैं.

मिर्जापुर : पितृ पक्ष के महीने में अपने पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध के साथ ही दान करते अभी तक आप पुरुषों को देखे होंगे लेकिन, आज हम आपको मिर्जापुर में एक ऐसा स्थान दिखाने जा रहे हैं जहां पर महिलाएं अपने पितरों का श्राद्ध और तर्पण करती हैं. यह परंपरा त्रेता युग से चला रहा है. हम बात कर रहे हैं मिर्जापुर जनपद में विंध्य पर्वत स्थित सीता कुंड की. मानता है कि इसकी स्थापना सीता मां त्रेता युग में की थी. कहा जाता है कि माता सीता ने यहां पर अपने पूर्वजों का तर्पण और श्राद्ध किया था. जिसके बाद से महिलाएं पितृ पक्ष में मातृ नवमी के दिन केवल महिलाएं सीता कुंड पर तर्पण करती हैं. महिलाएं पहले सीता कुंड में स्नान करती हैं इसके बाद माता सीता के साथ भगवान राम और उनके भाई लक्ष्मण का दर्शन पूजन कर अपने पूर्वजों को जल चढ़ाकर पिंडदान करती हैं. साथ ही गरीबों को दान कर अपने पितरों का आशीर्वाद लेती है.


शास्त्रों में मान्यता है कि श्राद्ध कर्म पर पहला अधिकार पुरुषों का है. इन दिनों पितृपक्ष का महीना चल रहा है और पितरों की तृप्ति करने का काम किया जा रहा है. ऐसे में मिर्जापुर का एक ऐसा स्थान है जहां पर महिलाएं रूढ़िवादी जंजीरों को तोड़ कर अपने पूर्वजों के लिए तर्पण कर रही हैं. इसे उनकी मजबूरी कहें या आधुनिक सोच से कदमताल लेकिन यह कदम नारी शक्ति के उदय को प्रतिबिंबित करने के लिए यहां की तस्वीर काफी है. महिलाएं अब अर्थी को कंधा देने मुख्य अग्नि देने के साथ तर्पण भी करती दिखाई दे रही हैं. मिर्जापुर के विंध्याचल पहाड़ी पर स्थित सीता कुंड में हजारों की संख्या में महिलाएं मातृ नवमी के दिन पहुंचकर अपने पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध और दान करती हैं.

सीता कुंडा का इतिहास
विंध्य पर्वत भक्तों के लिए आस्था का केंद्र हमेशा से रहा है. त्रेता युग में बनवास कार्य के दौरान जब भगवान राम लक्ष्मण और माता सीता के साथ जंगल में घूम रहे थे तब राजा दशरथ की मृत्यु की खबर लगने पर भगवान राम ने राम घाट पर पिंडदान किया था. माता-सीता ने सीता कुंड में स्नान कर तर्पण किया था. तब से यह परंपरा चली आ रही है. हजारों की संख्या में महिलाएं दिल्ली महाराष्ट्र मध्य प्रदेश झारखंड उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों से महिलाएं सीता कुंड पहुंचती है और सीता कुंड में स्नान करती हैं. इसके बाद सीता माता और भगवान राम-लक्ष्मण के दर्शन पूजन करती हैं. इसके बाद अपने पूर्वजों के लिए जल देकर पिंड दान करती है साथ ही गरीबों को भी दान पुण्य करती हैं.श्राद्ध पक्ष के चलते कई जगह पवित्र स्थलों पर बड़ी संख्या में लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए नियमित तर्पण और पिंडदान कर रहे हैं. मिर्जापुर के सीता कुंड में तर्पण करने आए महिलाओं का कहना है कि यहां पर सदियों से महिलाएं तर्पण करती चली आ रही है. ऐसा मानता है कि यहां पर सीता ने अपने पूर्वजों के लिए तर्पण की थी इसलिए हम लोग भी यहां पर पहुंचकर तर्पण करते हैं. जिससे हमारे पूर्वजों के आत्मा को शांति मिले और हमें उनका आशीर्वाद मिले.


सीता कुंड के पुजारी राजकुमार ने बताया कि यह परंपरा त्रेता युग से होता चला आ रहा है. कोई नहीं बता पाएगा कब से यहां पर महिलाएं तर्पण श्राद्ध और दान पूर्ण मातृ नवमी के दिन करती हैं चली आ रही हैं. बताया जाता है सीता मां ने यहां पर अपने पितरों के लिए तर्पण की थी तभी से यह परंपरा चली आ रही है हजारों की संख्या में कई प्रदेशों के महिलाएं यहां आकर तर्पण करती हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.