मिर्जापुर: त्रेता युग से विंध्याचल के राम गया घाट पर पिंडदान करने की परंपरा चली आ रही है, लेकिन इस बार कोरोना के चलते यह परंपरा टूट जाएगी. अमावस्या के दिन यहां पर मध्य प्रदेश से लेकर उत्तर प्रदेश के कई जनपदों से हजारों लोग पहुंचते हैं. कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए यह कार्यक्रम इस बार स्थगित कर दिया गया है.
मान्यता है कि त्रेता युग में वनवास के समय श्रीराम ने अपने पिता राजा दशरथ के देहांत के बाद गुरु वशिष्ट ने श्रीराम को सलाह दी थी कि पिता का श्राद्ध करना होगा. इसके बाद श्रीराम अपने पिता का पहला श्रद्धा सरयू में करते हैं, दूसरा श्राद्ध प्रयागराज में करते हैं. इसके बाद वे गया के लिए रवाना होते हैं.
गया आने से पहले रास्ते में विंध्य पर्वत पड़ता है, यहां स्थित शिवपुर के पास गंगा और विंध्य पर्वत का जहां संगम है, यहां पर भगवान श्रीराम तीसरा श्राद्ध करते हैं. इसी के बाद से इस जगह का नाम राम गया घाट पड़ गया. इसके बाद चौथा श्राद्ध काशी में एवं पांचवा गया में होता है.
यहां पर पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है, लेकिन त्रेता युग से चली आ रही यह परंपरा इस बार टूटने जा रही है. विंध्याचल पुलिस ने प्रेस नोट जारी करते हुए कहा है कि परंपरागत रूप से प्रत्येक वर्ष राम गया घाट पर पितृ विसर्जन के दिन काफी भीड़ होती है. दूर-दूर से लोग यहां पर आते हैं, इसको देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने को लेकर उच्च अधिकारियों के आदेश पर इस बार राम गया घाट पर कोई भी आयोजन नहीं होगा. साथ ही सभी से अपील किया कि पिंडदान का कार्यक्रम अपने अपने गांव में संपन्न कराएं.